मोक्षदा एकादशी हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है और इसे मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी माना जाता है। मोक्षदा एकादशी का उल्लेख पौराणिक ग्रंथों और पुराणों में मिलता है। इसे गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद्गीता का उपदेश दिया था।
मोक्षदा एकादशी का आध्यात्मिक महत्व
मोक्षदा एकादशी का प्रमुख उद्देश्य आत्मा को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त कराना है। “मोक्ष” का अर्थ है मुक्ति और “एकादशी” का अर्थ है ग्यारहवां दिन। यह दिन उन लोगों के लिए विशेष होता है, जो सांसारिक बंधनों से छुटकारा पाकर आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करना चाहते हैं। इस दिन किए गए व्रत, पूजा, और जप से व्यक्ति को न केवल व्यक्तिगत लाभ मिलता है, बल्कि उसके पूर्वजों की आत्मा को भी शांति और मोक्ष प्राप्त होता है।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, गंधार्व नगर के राजा वैखानस ने एक बार अपने गुरु से अपने पिता की मुक्ति का उपाय पूछा। गुरु ने उन्हें बताया कि उनके पिता पापों के कारण नर्क में कष्ट भोग रहे हैं और उन्हें मोक्ष दिलाने के लिए मोक्षदा एकादशी का व्रत करना चाहिए। राजा और उनकी प्रजा ने मिलकर इस व्रत का पालन किया और भगवान विष्णु की कृपा से राजा के पिता को मोक्ष प्राप्त हुआ।
व्रत और पूजन विधि
मोक्षदा एकादशी पर व्रत रखने वाले व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। पूजा में तुलसी के पत्तों का उपयोग अनिवार्य माना गया है।
- व्रती को इस दिन पूरे दिन उपवास रखना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- भगवद्गीता का पाठ करना या सुनना विशेष पुण्यफलदायक माना गया है।
- रात में जागरण और भजन-कीर्तन करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- अगले दिन द्वादशी तिथि पर ब्राह्मणों को भोजन कराकर व्रत का पारण करना चाहिए।
गीता जयंती का महत्व
मोक्षदा एकादशी के दिन ही भगवद्गीता का जन्म हुआ था। महाभारत के युद्ध के दौरान, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का दिव्य ज्ञान दिया था। इसलिए इसे गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। गीता के अध्ययन और उसके उपदेशों का पालन करने से व्यक्ति अपने जीवन के उद्देश्य को समझ सकता है और मोक्ष प्राप्त कर सकता है।
फल और लाभ
- इस व्रत से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और उसे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
- व्रतकर्ता के पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है।
- यह व्रत जीवन में शांति, समृद्धि, और सुख लेकर आता है।
- भगवद्गीता के उपदेशों का अनुसरण करने से व्यक्ति को आत्मज्ञान और मोक्ष प्राप्त करने की दिशा मिलती है।
