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June 22, 2025 5:41 am

परिवर्तिनी एकादशी क्यों करें? इस एकादशी की क्या है धार्मिक कहानी?

परिवर्तिनी एकादशी, जिसे आमतौर पर “विक्रमादित्य एकादशी” भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो प्रत्येक साल कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा और व्रत के लिए समर्पित होता है। इस दिन को लेकर मान्यता है कि भगवान विष्णु का शयनकाल समाप्त होता है और वह अपने योग निद्रा से जागते हैं। इस दिन का पालन भक्तों द्वारा बड़े श्रद्धा और ध्यान के साथ किया जाता है। इस एकादशी के व्रत को करने से व्यक्ति की सभी प्रकार की बाधाओं और पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। व्रति इस दिन उपवासी रहते हैं, विशेष प्रकार के पूजन और आराधना करते हैं, और इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा का आयोजन किया जाता है। यह एकादशी प्रमुख रूप से भारत के विभिन्न हिस्सों में विशेष महत्व रखती है और इसके साथ जुड़े धार्मिक अनुष्ठान और आचार्य प्रथा का पालन किया जाता है।

परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत काल में पांडव भाइयों में सबसे बड़े युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की एकादशी व्रत के बारे में पूछा. तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें ब्रह्मा जी के नारद मुनि को सुनाई एक कथा सुनाई. नारद जी ने ब्रह्मा जी से पूछा था कि भाद्रपद की एकादशी को भगवान विष्णु के किस रूप की पूजा की जाती है. ब्रह्मा जी ने नारद मुनि को बताया कि भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान हृषिकेश की पूजा होती है. उन्होंने बताया कि सूर्यवंश में मान्धाता नाम का एक चक्रवती और महा प्रतापी राजर्षि हुआ करता था. उसके राज्य में सभी सुखी थे. एक बार कर्म फल के कारण उसके राज्य में तीन वर्ष तक अकाल पड़ा. प्रजा के निवेदन पर मान्धाता अकाल का कारण जानने निकल पड़े. इस दौरान उनकी मुलाकात अंगिरा ऋषि से हुई और उन्होंने अपनी परेशानी उन्हें बताई और उसका कारण जानना चाहा. अंगिरा ऋषि ने बताया कि सत्य युग में केवल ब्राह्मण ही तपस्या कर सकते हैं लेकिन तुम्हारे राज्य में एक शुद्र तपस्या कर रहा है. मान्धाता ने कहा मैं तपस्या करने के लिए उसे दंड नहीं दे सकता. तब ऋषि अंगिरा ने उन्हें भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत (Ekadashi Vrat) रखने की सलाह दी. इसके बाद मान्धाता लौट आए और प्रजा के साथ भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत रखा. इसके बाद राज्य में वर्षा होने लगी और सभी समस्याओं का अंत हो गया. भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि परिवर्तिनी या पद्मा एकादशी का व्रत रखने और कथा सुनने से सभी प्रकार के पाप कट जाते हैं.

धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ

पापों से मिलती है मुक्ति:
परिवर्तिनी एकादशी के व्रत को श्रद्धा और भक्ति से करने से व्यक्ति के पाप समाप्त होते हैं और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है।

आध्यात्मिकता का होता है विकास-
इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा और भक्ति करने से व्यक्ति की आत्मा को शांति और उन्नति मिलती है। यह व्रत व्यक्ति के आध्यात्मिक मार्ग को सुधारने में सहायक होता है।

कष्टों से मिलती है मुक्ति:
इस दिन व्रत करने से जीवन में आने वाली समस्याओं और संकटों का निवारण होता है। भक्तों का विश्वास है कि भगवान विष्णु की कृपा से कठिनाइयों और बाधाओं से राहत मिलती है। भौतिक सुख और समृद्धि: व्रत करने वाले व्यक्तियों को धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह विश्वास है कि भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख और समृद्धि बढ़ती है।

स्वास्थ्य और दीर्घायु होते है:
इस दिन उपवासी रहकर और विशेष पूजन विधियों का पालन करके व्यक्ति के स्वास्थ्य में सुधार होता है और दीर्घायु प्राप्ति का मार्ग खुलता है।

परिवारिक में मिलती है शांति:
परिवर्तिनी एकादशी के व्रत से परिवार में शांति और समृद्धि बनी रहती है। घर के सभी सदस्य सुखी और स्वस्थ रहते हैं। इन लाभों को प्राप्त करने के लिए व्रति को इस दिन उपवासी रहना चाहिए, भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए, और संयमित और सात्विक आहार का पालन करना चाहिए।

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