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June 19, 2025 12:02 pm

पीठ दर्द से छुटकारा पाना चाहते है तो करे ये आसन…मिले कई लाभ

धनुरासन करते समय आसन करने वालों का शरीर धनुष के आकार का बन जाता है इसलिए इसे धनुरासन कहते हैं. चूंकि इस आसन को करते समय पूरा प्रभाव दिल पर होता है इसलिए यह दिल और दमें के रोगियों के लिए मना है.

विधि- (How to do Dhanurasana ?)

पेट के बल लेट जाएं. हाथ-पैर सीधे रहें, पैरों की एड़ियां आपस में जुडी हुई हों. फिर टांगों को घुटनों से ऊपर की ओर दोहराकर पैरों को पीछे की ओर खींचे. हाथों स पैरों के टखने पकड़कर आगे की ओर धकेलें. अब धीरे धीरे झंघा, सिर और छाती भी ऊपर की ओर उठाएं. पूर बोझ केवल पेट पर ही रखें.

धनुरासन के लाभ -(Benefits of Dhanurasana):

  1. पीठ और रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाना:
    • धनुरासन पीठ के पूरे हिस्से को मजबूत करता है और रीढ़ की हड्डी की लचीलापन को बढ़ाता है। इससे पीठ के दर्द में राहत मिलती है और मुद्रा में सुधार होता है।
  2. कोर मांसपेशियों को सुदृढ़ करना:
    • यह आसन पेट की मांसपेशियों को सक्रिय करता है और कोर को मजबूत बनाता है, जिससे आपके शरीर की स्थिरता और संतुलन में सुधार होता है।
  3. छाती और फेफड़ों को खोलना:
    • धनुरासन छाती को खोलता है और फेफड़ों को फैलाता है, जिससे श्वसन तंत्र में सुधार होता है और साँस लेने में आसानी होती है।
  4. पाचन तंत्र को उत्तेजित करना:
    • पेट के क्षेत्र पर दबाव डालने से पाचन तंत्र की गतिविधियाँ उत्तेजित होती हैं, जिससे अपच, कब्ज, और अन्य पाचन समस्याओं में राहत मिलती है।
  5. लिवर और किडनी की सेहत को सुधारना:
    • यह आसन लिवर और किडनी पर हल्का दबाव डालता है, जिससे इन अंगों की कार्यक्षमता में सुधार होता है।
  6. ऊर्जा और उत्साह को बढ़ाना:
    • धनुरासन शरीर और मन दोनों को सक्रिय करता है, जिससे ऊर्जा का स्तर बढ़ता है और मानसिक उत्साह मिलता है।
  7. खिंचाव और लचीलापन:
    • यह आसन पूरे शरीर के पिछड़े हिस्से को खींचता है, जिससे शरीर में लचीलापन बढ़ता है और खिंचाव दूर होता है।
  8. तनाव और चिंता में कमी:
    • धनुरासन करने से तनाव और चिंता कम होती है, क्योंकि यह आसन शरीर को रिलैक्स करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।

सावधानियाँ:

  • गर्भवती महिलाएँ और जिन्हें पीठ के गंभीर समस्याएँ हैं, उन्हें इस आसन को करने से पहले डॉक्टर या योग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।
  • ध्यान रखें कि आसन को धीरे-धीरे और सही रूप में करें ताकि आप चोट से बच सकें।

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