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03/10/2025 1:54 am

सावधान-कोविड से भी ज्यादा खतरनाक है डेंगू…आपके दिल को भी कर सकता है डैमेज

 

डेंगू, जो एक वायरल बुखार है और एडीज मच्छरों द्वारा फैलता है, आमतौर पर उच्च बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ में दर्द, और त्वचा पर लाल चकत्ते के लक्षण के साथ होता है। डेंगू के गंभीर रूप, जैसे डेंगू हेमोरेजिक बुखार (DHF) और डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS), में अधिक गंभीर जटिलताएँ हो सकती हैं।

सावधान- डेंगू है जानलेवा

हाल में ही किए गए एक अध्ययन में बड़ा खुलासा हुआ है कि डेंगू से ठीक हो चुके मरीजों में कोविड रोगियों की तुलना में हृदय संबंधी जटिलताओं का जोखिम 55% अधिक देखा गया है. इसलिए यदि किसी को डेंगू होती है तो इसे हल्के में मत लीजिए. इस बिमारी का सही से इलाज कराए ताकि बाद में इसके दुष्प्रभाव को कम किया जा सकें. देश में हर साल इन दिनों डेंगू के मामलों में काफ़ी बढ़ौती देखने को मिलती है । डेंगू एक गंभीर बीमारी है जिसके कारण हर साल बड़ी संख्या में लोगों को अस्पतालों में भर्ती होते हैं. सिंगापुर के वैज्ञानिकों ने डेंगू के कारण होने वाले इस दुष्प्रभाव का अध्ययन किया है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि डेंगू संक्रमण के बाद रोगियों में हृदय संबंधी बीमारियों की आशंका काफी अधिक होती है। ऐसे में डेंगू के बाद हृदय की सेहत को लेकर विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। इस अध्ययन के लिए, सिंगापुर में जुलाई 2021 से अक्तूबर 2022 के बीच डेंगू से पीड़ित 11,707 और कोविड से पीड़ित 1,248,326 रोगियों की जांच की गई। वैज्ञानिको ने पाया कि डेंगू शरीर पर कई प्रकार से गंभीर प्रभाव डाल सकता है। कई मामलों में गंभीर डेंगू के कारण लिवर डैमेज होने, मायोकार्डिटिस और तंत्रिका संबंधी समस्याएं भी देखी गई हैं।

Sameer Bhati, Health expert

 

क्या है हार्ट अटैक और डेंगू का कनेक्शन

जब पूरी दुनिया में कोराना आया तो विश्व में कोहराम मच गया. लेकिन कोरोना के बाद से मरीजों में कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक के मामले काफी देखे जाने लगे हैं. अपने दिल का ठीक रखना थोड़ा मुश्किल हो गया है. आज दिल का ख्याल रखना चुनौती बन गया है ऐसे में अध्ययन में एक बड़ा खुलासा हुआ है। जब से कोरोना प्रकोप शुरू हुआ था, तब से इसके शरीर पर होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में लगातार चर्चा होती रही है शोध में पाया गया कि कोविड-19 रोग के कारण हृदय स्वास्थ्य पर गंभीर असर हो सकता है।

डेंगू से हार्ट अटैक का खतरा:

–डेंगू में तरल पदार्थों की कमी, प्लाज़्मा रिसाव, और रक्तस्राव के कारण सर्कुलेटरी सिस्टम पर प्रभाव पड़ सकता है। यह हृदय की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकता है और कभी-कभी हृदय को अतिरिक्त दबाव में डाल सकता है।
प्रेरक और संक्रमण से संबंधित प्रभाव:

–डेंगू के गंभीर मामलों में शरीर के विभिन्न अंगों में संक्रमण हो सकता है और इससे हृदय के आसपास के ऊतकों में सूजन आ सकती है, जो हृदय के कार्य में विघ्न डाल सकती है।

दवाओं और चिकित्सा का प्रभाव:

कुछ दवाएं और उपचार जो डेंगू के लिए उपयोग किए जाते हैं, जैसे कि स्टेरॉयड, हृदय की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।

गंभीर मामलों में जटिलता:

बहुत ही गंभीर मामलों में, जैसे कि डेंगू शॉक सिंड्रोम में, शरीर में तरल पदार्थ का स्तर बहुत कम हो सकता है, जिससे हृदय पर अत्यधिक दबाव पड़ सकता है और इससे हृदय संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।

सावधानियाँ :
अगर डेंगू के लक्षण गंभीर हो जाएं या यदि आपको दिल के लक्षण महसूस हों, जैसे कि छाती में दर्द, धड़कन में असमानता, या अत्यधिक थकावट, तो तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करें।

डेंगू होने पर तरल पदार्थ ज्यादा लें-

-उचित मात्रा में तरल पदार्थों की भरपाई और इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है, जो डेंगू के दौरान शरीर को ठीक करने में मदद करता है।
नियमित निगरानी:

-डेंगू के मामलों की नियमित निगरानी और चिकित्सकीय परामर्श से जटिलताओं को जल्दी पहचानने में मदद मिलती है और उनका उचित इलाज किया जा सकता है।
रात भर की चिकित्सा:

-अस्पताल में भर्ती होने और चिकित्सकीय निगरानी के तहत रहना भी महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से डेंगू के गंभीर मामलों में।

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