रांची- पुंदाग स्थित श्री कृष्ण प्रणामी मंगल राधिका सदानंद सेवा धाम—श्री राधा कृष्ण प्रणामी मंदिर में रविवार को भक्ति, सेवा और आध्यात्मिकता से परिपूर्ण 241वाँ महाप्रसाद आयोजन सम्पन्न हुआ। सुबह से ही मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गईं। दूर-दूर से आए भक्तों ने दिव्य दर्शन कर स्वयं को धन्य महसूस किया। पाँच हजार से अधिक लोगों की उपस्थिति इस आयोजन की भव्यता और लोकप्रियता का प्रमाण है।
श्रद्धा और सेवा की परंपरा को आगे बढ़ाता महाप्रसाद
श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट द्वारा वर्षों से संचालित यह अन्नपूर्णा सेवा अब भक्तों के बीच एक आध्यात्मिक पर्व का रूप ले चुकी है। 241वें महाप्रसाद का आयोजन विद्या देवी अग्रवाल एवं ट्रस्ट सदस्यों के सौजन्य से किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य केवल भोजन वितरण नहीं, बल्कि प्रेम, समर्पण और सामुदायिक सद्भाव को बढ़ावा देना है। अन्न सेवा को श्रीकृष्ण भक्ति का अनिवार्य अंग माना जाता है और रविवार का यह आयोजन उसी परंपरा का अनुपालन करता है।
श्री राधा-कृष्ण का दिव्य अलौकिक श्रृंगार भक्तों को मोह ले गया
पूजा-आरती से पहले मंदिर के विग्रहों का भव्य और अलौकिक श्रृंगार किया गया। केसरिया वस्त्र, फूल-मालाएं, चमकदार आभूषण और मनमोहक सजावट ने परिसर को पूरी तरह कृष्णमय बना दिया। भक्तों ने बताया कि ऐसा दिव्य श्रृंगार वर्ष में कुछ ही बार देखने को मिलता है, और यह आत्मा को गहरी शांति और आनंद से भर देता है। विग्रहों के समक्ष खड़े होते ही भक्तों को ऐसा अनुभव होता था जैसे स्वयं राधा-कृष्ण उनके सामने साक्षात् दर्शन दे रहे हों।
केसरिया खीर का महाप्रसाद और हजारों भक्तों की प्रसादी ग्रहण
दोपहर ठीक 12 बजे मंदिर के पुजारी अरविंद कुमार पांडे ने मेवा-युक्त केसरिया खीर का भोग विधिवत अर्पित किया। यह महाप्रसाद शुद्ध घी, मेवा और केसर से तैयार किया गया था। इसके बाद तीन हजार से अधिक श्रद्धालुओं के बीच महाप्रसाद का वितरण प्रारंभ हुआ। भक्तों ने अत्यंत श्रद्धा के साथ प्रसाद ग्रहण किया।
विशाल जालान द्वारा भक्तों को आलू चिप्स का पैकेट भी वितरित किया गया, जिससे बच्चों और युवाओं में विशेष उत्साह दिखा। अन्नपूर्णा सेवा का यह दृश्य भक्ति और सेवा के अद्भुत संगम को दर्शाता है।
भजन-संध्या में गूँजे कृष्ण नाम के सुर
महाप्रसाद वितरण के बाद शाम को भजन-संध्या का आयोजन किया गया। ट्रस्ट के सुप्रसिद्ध भजन गायकों ने “श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम” और “जग में सुख देने वाला नाम तू ही है” जैसे मधुर भजनों से माहौल को मंत्रमुग्ध कर दिया।
श्रोताओं के चेहरे भक्ति के रंग में रंग गए और पूरा वातावरण “राधे-राधे” और “जयराधे-कृष्ण” के जयकारों से गूंज उठा। यह भजन-संध्या भक्तों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देने वाला अनुभव रही।
सामूहिक महाआरती ने भक्ति की ज्योति को और प्रखर किया
संध्या होते ही मंदिर परिसर में सामूहिक महाआरती का आयोजन किया गया। सैकड़ों दीपकों की लौ, घंटे-घड़ियालों की ध्वनि और राधा-कृष्ण नाम के संकीर्तन ने वातावरण को अद्भुत ऊर्जा से भर दिया।
भक्तों ने आरती में हिस्सा लेते हुए अपने परिवार, समाज और संपूर्ण विश्व के कल्याण की प्रार्थना की। महाआरती का दृश्य इतना दिव्य था कि श्रद्धालु इसे अपनी जीवन की अविस्मरणीय आध्यात्मिक स्मृतियों में जोड़ रहे थे।
ट्रस्ट द्वारा आयोजित सेवा-कार्य और प्रबंधन की सराहना
ट्रस्ट के प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी संजय सर्राफ ने बताया कि दिनभर में पाँच हजार से अधिक भक्तों ने दर्शन किए। उन्होंने यह भी बताया कि मंदिर में लगातार सेवा, भक्ति और अनुशासन का प्रवाह बनाए रखने के लिए ट्रस्ट सदस्यों और स्वयंसेवकों ने विशेष तैयारी की थी।
इस आयोजन में अध्यक्ष डूंगरमल अग्रवाल, उपाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल, निर्मल जालान, मनोज चौधरी, सज्जन पाड़िया, शिव भगवान अग्रवाल, मधुसूदन जाजोदिया, पूरणमल सर्राफ, सुनील पोद्दार, सुरेश अग्रवाल, विशाल जालान, सुरेश भगत, विष्णु सोनी, ज्ञान प्रकाश शर्मा, धीरज गुप्ता, परमेश्वर साहू, हरीश कुमार सहित बड़ी संख्या में महिलाएँ और पुरुष श्रद्धालु उपस्थित रहे।
भक्ति, सेवा और समाज को जोड़ने वाली परंपरा
241वें महाप्रसाद का यह आयोजन केवल धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने वाली परंपरा का प्रतीक है। यहाँ भक्तों को भोजन ही नहीं, बल्कि भक्ति का रस, सेवा की भावना और समुदाय के साथ जुड़ने का अवसर मिलता है।
यह आयोजन लोगों को बताता है कि आध्यात्मिकता केवल मंदिरों तक सीमित नहीं, बल्कि हमारे दैनिक जीवन की प्रेरक शक्ति भी हो सकती है। राधा-कृष्ण के प्रेम और समर्पण का संदेश समाज में एकता, करुणा और सद्भाव फैलाने का मार्ग दिखाता है।







