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June 19, 2025 2:34 am

कर्क्यूमिन मोटापा को नियंत्रण करने में कितना मददगार है?

कर्क्यूमिन (Curcumin) हल्दी (Turmeric) का प्रमुख सक्रिय घटक है, जिसे आयुर्वेद में हजारों वर्षों से औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। हाल के आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधानों ने कर्क्यूमिन को एक शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, और न्यूरोप्रोटेक्टिव एजेंट के रूप में मान्यता दी है। इसके लाभ मोटापा नियंत्रण, सूजन कम करने और अल्जाइमर तथा पार्किंसन जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण पाए गए हैं।


1. मोटापा और कर्क्यूमिन

कई क्लिनिकल और प्रीक्लिनिकल स्टडीज के अनुसार, कर्क्यूमिन मोटापे पर निम्नलिखित प्रकार से प्रभाव डालता है:

  • वसा कोशिकाओं की वृद्धि में बाधा: कर्क्यूमिन ‘adipogenesis’ (वसा कोशिकाओं के बनने की प्रक्रिया) को रोकता है, जिससे शरीर में फैट स्टोर होने की प्रक्रिया धीमी होती है।

  • मेटाबोलिज्म में सुधार: यह AMP-activated protein kinase (AMPK) को सक्रिय करता है, जो शरीर की ऊर्जा को संतुलित करता है और फैट बर्निंग प्रक्रिया को तेज करता है।

  • इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाना: 2020 में प्रकाशित Phytotherapy Research की एक स्टडी के अनुसार, कर्क्यूमिन इंसुलिन रेसिस्टेंस को कम करता है और टाइप-2 डायबिटीज के जोखिम को घटाता है, जो मोटापे से जुड़ी प्रमुख समस्या है।


2. सूजन (Inflammation) पर प्रभाव

कर्क्यूमिन को सबसे प्रभावी प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट्स में से एक माना जाता है। यह शरीर में सूजन पैदा करने वाले अणुओं को प्रभावित करता है:

  • NF-κB pathway को ब्लॉक करना: यह एक प्रमुख जैविक पथ है जो सूजन से जुड़ा है। कर्क्यूमिन इसे अवरुद्ध करके सूजन को कम करता है।

  • साइटोकाइंस (Cytokines) पर प्रभाव: TNF-α, IL-1 और IL-6 जैसे प्रो-इंफ्लेमेटरी साइटोकाइंस का उत्पादन कम करता है।

  • ऑक्सीडेटिव तनाव में कमी: इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर की कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं, जिससे सूजन और ऑक्सीडेटिव डैमेज दोनों कम होते हैं।

2022 की Journal of Inflammation Research में प्रकाशित एक मेटा-विश्लेषण में पाया गया कि कर्क्यूमिन सप्लीमेंट लेने से क्रोनिक सूजन वाले रोगों (जैसे रुमेटाइड आर्थराइटिस और मेटाबोलिक सिंड्रोम) में लक्षणों में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया।


3. न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों में भूमिका

कर्क्यूमिन का मस्तिष्क पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है, खासकर अल्जाइमर, पार्किंसन और मल्टीपल स्क्लेरोसिस जैसी बीमारियों में:

  • बेटा-एमिलॉइड के जमाव को रोकना: कर्क्यूमिन अल्जाइमर रोग में पाए जाने वाले हानिकारक प्लाक्स (beta-amyloid plaques) के निर्माण को रोकने और उन्हें हटाने में सहायक होता है।

  • BDNF स्तर में वृद्धि: यह मस्तिष्क की प्लास्टिसिटी को बढ़ाता है और नई न्यूरॉन कोशिकाओं के बनने में मदद करता है।

  • मस्तिष्क की सूजन को कम करना: माइक्रोग्लिया और एस्ट्रोसाइट्स द्वारा उत्पन्न सूजन को कम करता है, जिससे न्यूरोडीजेनेरेशन धीमी होती है।

2021 की Frontiers in Aging Neuroscience की एक स्टडी में पाया गया कि कर्क्यूमिन सप्लीमेंट लेने वाले बुजुर्गों में स्मृति और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बेहतर थी।


बहुआयामी प्राकृतिक यौगिक

आधुनिक अनुसंधानों से यह सिद्ध हुआ है कि कर्क्यूमिन एक बहुआयामी प्राकृतिक यौगिक है, जो मोटापे को नियंत्रित करने, सूजन कम करने और न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों के जोखिम को घटाने में प्रभावशाली है। हालांकि इसकी बायोअवेलेबिलिटी (शरीर में अवशोषण) सीमित होती है, लेकिन पिपेरिन (काली मिर्च का तत्व) के साथ लेने पर इसका असर कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए, कर्क्यूमिन को आधुनिक चिकित्सा और पोषण में एक संभावित पूरक के रूप में देखा जा रहा है, जो दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है।

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