Explore

Search

June 19, 2025 8:47 am

अपरा एकादशी: व्रत विधि, महत्व, तिथि और लाभ – जानिए कैसे पाएं पापों से मुक्ति और मोक्ष

अपरा एकादशी 2025: तिथि और समय

  • व्रत तिथि: शुक्रवार, 23 मई 2025

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 23 मई को प्रातः 01:12 बजे

  • एकादशी तिथि समाप्त: 23 मई को रात्रि 10:29 बजे

  • पारण (व्रत खोलने का समय): 24 मई को प्रातः 05:25 से 08:10 बजे तक

  • द्वादशी समाप्ति: 24 मई को सायं 07:20 बजे


🌟 अपरा एकादशी का महत्व

अपरा एकादशी, जिसे अचला एकादशी भी कहा जाता है, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है और व्रत करने से पापों से मुक्ति, यश, कीर्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो लोग इस एकादशी का व्रत करते हैं, उन्हें यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है। इसका व्रत रखने से ब्रह्महत्या, भूत, और परनिनंदा आदि सभी पाप दूर हो जाते हैं। इस व्रत से पर स्त्री गमन, झूठी गवाही देेना, झूठ बोलना, कल्पित शास्त्र पढ़ना, झूठा ज्योतिष और झूठा वैद्य बनना आदि पाप भी नष्ट हो जाते हैं। जो क्षत्रिय होकर युद्ध से भाग जाता है और जो शिष्य गुरु से शिक्षा ग्रहण करते समय उसकी निंदा करता है, वे नरक में जाते हैं, लेकिन इस एकादशी का व्रत करने से सभी पाप कट जाते हैं।


🛐 व्रत विधि और पूजा प्रक्रिया

  1. प्रातः स्नान: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र स्नान करें।

  2. पूजा स्थल की सफाई: पूजा स्थान को स्वच्छ करें और भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

  3. दीप प्रज्वलन: देशी घी का दीपक जलाएं।

  4. अर्पण: तुलसी पत्र, फूल, फल, धूप आदि अर्पित करें।

  5. मंत्र जाप: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।

  6. उपवास: निराहार या फलाहार व्रत रखें।

  7. जागरण और भजन: रात्रि में भजन-कीर्तन करें और जागरण करें।

  8. दान: अन्न, वस्त्र, धन आदि का दान करें।


📖 अपरा एकादशी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को अपरा एकादशी का महत्व बताया था। इस व्रत को करने से व्यक्ति को असीम पुण्य की प्राप्ति होती है और वह समस्त पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है।

ऐसा कहा जाता है कि तीनों पुष्कर में कार्तिक पूर्णिमा स्नान करने से या गंगातट पर पितरों का पिंडदान करने से फल मिलता है, वो अपरा एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है। मकर के सूर्य में प्रयागराज के स्नान, शिवरात्रि व्रत में सिंह राशि के गुरु में गोमती नदी में स्नान करने से कुंभ में केदारनाथ या बदरीनाथ की यात्रा करने और सूर्यग्रहणमें कुरुक्षेत्र के स्नान, स्वर्ण, हाथी घोड़े दान करने या नव प्रसूता गौ दान करने से जो फल मिलता है, वो अपरा एकादशी के व्रत से मिल जाता है। यह व्रत पापरुपी वृक्ष को काटने के लिए कुल्हाड़ी है और पापरुपी ईंधन को जलाने के लिए अग्नि है। इस एकासधी का व्रत और भगवान का पूजन करने से सब पाप से मुक्त होकर भक्त विष्णुलोक को जाते हैं।


⚠️ व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

  • मांसाहार, शराब, प्याज, लहसुन का सेवन न करें।

  • क्रोध, झूठ, द्वेष भावना से बचें।

  • सात्विक आहार का सेवन करें।

  • पूजा में पूर्ण श्रद्धा और भक्ति रखें।


🌈 अपरा एकादशी के लाभ

  • पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति।

  • यश, कीर्ति और समृद्धि में वृद्धि।

  • मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन।

  • आध्यात्मिक उन्नति और भगवान विष्णु की कृपा।

अपरा एकादशी का व्रत न केवल पापों से मुक्ति का मार्ग है, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का अवसर भी है। इस व्रत को श्रद्धा और नियमपूर्वक करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Leave a Comment