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16/12/2025 3:30 pm

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छठ महापर्व- केवल पूजा नहीं, बल्कि आत्मा और प्रकृति का मिलन

रांची के कांके रोड स्थित तिरुपति अपार्टमेंट में इस वर्ष छठ महापर्व का आयोजन भक्ति, उल्लास और आस्था से परिपूर्ण वातावरण में किया गया। चार दिनों तक चलने वाले इस पवित्र पर्व ने पूरे अपार्टमेंट परिसर को भक्तिमय बना दिया। सुबह से लेकर शाम तक छठी मइया के गीतों की मधुर ध्वनि वातावरण में गूंजती रही, जिससे पूरे परिसर में आध्यात्मिक शांति और ऊर्जा का अनुभव हुआ। इस अवसर पर अपार्टमेंट के निवासी, महिलाएं और बच्चे सभी ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

भगवान भास्कर की उपासना और नारी शक्ति की आस्था

छठ पूजा को सूर्योपासना का महापर्व कहा जाता है, जहां भगवान सूर्य और छठी मइया की आराधना की जाती है। तिरुपति अपार्टमेंट की श्रद्धालु महिलाओं — अनुराधा सर्राफ और अनु सिन्हा ने पूरे नियम और संयम के साथ व्रत रखा। उन्होंने बिना अन्न-जल ग्रहण किए पूरे चार दिनों तक पूजा के सभी नियमों का पालन किया। व्रतियों ने अपने परिवार और समाज के कल्याण की कामना करते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया। इस आस्था का दृश्य हर किसी के मन को छू गया।

छत पर सुसज्जित छठ घाट — श्रद्धा का केंद्र

अपार्टमेंट की छत पर छठ घाट का निर्माण बेहद सुंदर ढंग से किया गया था। हरे पत्तों, केले के पेड़ों और दीपमालाओं से सजा यह स्थल किसी मंदिर से कम नहीं लग रहा था। सांध्य अर्घ्य के समय डूबते सूर्य को और प्रातः अर्घ्य के समय उगते सूर्य को अर्पण करने के दौरान पूरा वातावरण श्रद्धा और शांति से भर गया। दीपों की रौशनी और लोकगीतों की मधुर लहरियों ने इस छत को एक अद्भुत आध्यात्मिक स्थल बना दिया।

छठ गीतों और लोकधुनों से गूंजा परिसर

छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह लोक संस्कृति और पारंपरिक संगीत का भी उत्सव है। तिरुपति अपार्टमेंट परिसर में जब “केलवा के पात पर उगले सूरज देव” और “कांच ही बांस के बहंगिया” जैसे पारंपरिक छठ गीत गूंजे, तो वातावरण आनंदमय हो उठा। छोटे-बड़े सभी लोग तालियों की गूंज और गीतों की मधुरता में झूम उठे। इस अवसर पर कई महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में सुंदर नृत्य भी प्रस्तुत किया।

समाजसेवियों का संदेश — छठ पूजा का अर्थ है अनुशासन और एकता

इस आयोजन में समाजसेवी संजय सर्राफ और अनिल सिन्हा विशेष रूप से उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि छठ पूजा सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह अनुशासन, पवित्रता, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक एकता का प्रतीक है। संजय सर्राफ ने कहा कि छठ पूजा हमें सिखाती है कि प्रकृति और मानव जीवन का संबंध कितना गहरा है। इस पर्व के माध्यम से हम सूर्य, जल, वायु और धरती के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।

पर्यावरण और स्वच्छता का संदेश

इस वर्ष तिरुपति अपार्टमेंट में छठ पूजा के दौरान पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया। पूजा स्थल को सजाने में केवल प्राकृतिक सामग्री जैसे केले के पत्ते, मिट्टी के दीये और फूलों का इस्तेमाल किया गया। प्लास्टिक या कृत्रिम सजावट से पूरी तरह परहेज किया गया। यह उदाहरण देता है कि श्रद्धा और पर्यावरण जागरूकता को एक साथ कैसे जोड़ा जा सकता है।

भक्ति, अनुशासन और आध्यात्मिक ऊर्जा का संगम

छठ पूजा का असली संदेश आत्मसंयम, पवित्रता और निष्ठा में छिपा है। व्रतियों का उपवास केवल शरीर का नहीं बल्कि मन का भी शुद्धिकरण करता है। जब वे सूर्य की पहली किरण को अर्घ्य देती हैं, तो वह केवल पूजा नहीं बल्कि अपने भीतर के प्रकाश को जगाने की साधना होती है। तिरुपति अपार्टमेंट में यह भाव स्पष्ट रूप से दिखाई दिया — जहां हर व्यक्ति ने मिलजुलकर भक्ति और अनुशासन का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया।

सामूहिक आस्था का अद्भुत उदाहरण

तिरुपति अपार्टमेंट का यह आयोजन सामूहिकता और सद्भाव का एक प्रेरक उदाहरण बना। सभी निवासी चाहे किसी भी पृष्ठभूमि से हों, एक साथ मिलकर इस पर्व को सफल बनाने में जुटे रहे। बच्चों ने सजावट में मदद की, युवाओं ने व्यवस्था संभाली और बुजुर्गों ने अपने अनुभव साझा किए। यह आयोजन न केवल धार्मिक उत्सव रहा बल्कि समाज के भीतर एकता, प्रेम और सहयोग का प्रतीक बन गया।

छठ पूजा, जीवन में प्रकाश और अनुशासन का पर्व

तिरुपति अपार्टमेंट में मनाया गया यह छठ महापर्व दिखाता है कि आस्था और संस्कृति जब एक साथ आती हैं, तो वह केवल पूजा नहीं बल्कि जीवन का उत्सव बन जाती है। सूर्य की उपासना के माध्यम से लोगों ने अपने भीतर की ऊर्जा, संतुलन और प्रकाश को महसूस किया। यह पर्व हमें सिखाता है कि सच्चा सुख बाहरी भोग में नहीं बल्कि आत्मिक शांति और सामूहिक सद्भाव में निहित है।

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