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02/10/2025 4:44 pm

Pitra Paksha-पिंडदान के लिए गया जी कैसे पहुंचे?

भारत एक ऐसा देश है जहां लोगों को जन्म से पहले और मौत के बाद भी उसकी पूजा की जाती है. यह ऐसा देश है जहां लोग अपने पूर्वजों को याद में पूजा-पाठ किया जाता है. इसके पीछे यह कारण है कि लोगों को पता हो कि उनके पूर्वज कौन है. इसलिए हर साल पितृ पक्ष में लोग अपने पूर्वजों को याद करते है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. यह भाद्रपद पूर्णिमा के अगले दिन से आरंभ होता है और अमावस्या तक चलता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान पितरों की आत्माएँ पृथ्वी पर आती हैं और अपने वंशजों से तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान की अपेक्षा करती हैं। श्राद्ध में जल, तिल, चावल, जौ, दूध, खीर और पकवान अर्पित किए जाते हैं तथा ब्राह्मणों को भोजन और दान देकर पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष की प्रार्थना की जाती है। इसका उद्देश्य पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करना और परिवार में सुख–समृद्धि बनाए रखना होता है।

गया जी में ही पितृ पक्ष क्यों?

वैसे तो पितृ पक्ष भारत के अलग अलग नदियों के किनारे करने की परंपरा है लेकिन बिहार के गया जी को पितृ पक्ष और श्राद्ध के लिए सबसे पवित्र स्थान माना गया है. इसके पीछे धार्मिक और पौराणिक दोनों कारण हैं। धर्मशास्त्र के अनुसार गया जी में पिंडदान और श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों के अनुसार स्वयं भगवान विष्णु ने गयाधाम को यह वरदान दिया कि यहाँ जो भी अपने पूर्वजों का तर्पण करेगा, उसके पितरों को स्वर्गलोक और मुक्ति की प्राप्ति होगी। महाभारत और पुराणों में यह पढ़ने को मिलता है कि भगवान राम ने भी सीता जी के साथ आकर गया जी में राजा दशरथ का पिंडदान किया था। यहाँ फाल्गु नदी, अक्षवट (बड़ा पीपल का पेड़), विष्णुपाद मंदिर और पिंडदान स्थलों का विशेष महत्व है। गया जी की मिट्टी और यहाँ का धार्मिक वातावरण पितरों की आत्मा को शांति और संतुष्टि प्रदान करता है। इसलिए पितृ पक्ष में लाखों लोग देश–विदेश से यहाँ आकर श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं, ताकि उनके पूर्वजों को मोक्ष मिल सके और परिवार पर पितरों का आशीर्वाद बना रहे।

गया जी कैसे पहुंचे?

सड़क मार्ग

गया जी पहुंचे के लिए सबसे पहले सड़क मार्ग की बात करे तो पटना से गया जी पहुंचा जा सकता है. वैसे तो कई दिशाओं से गया जी पहुंचा जा सकता है. पटना से गया जी की दूरी करीब 100 से 116 किलोमीटर के बीच है. इस दूरी को तय करने में करीब 2 से 3 घंटे का समय लगता है. यहां सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है. किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है. जान लेते है किस गाड़ी का एक अनुमानित किराया कितना है. यह आगे पीछे हो सकता है.

Car Tentative Rate-

Dzire: ₹2,300 (₹11/km अतिरिक्त)
Triber: ₹2,600 (₹13/km)
Ertiga: ₹3,200 (₹14/km)
Scorpio: ₹3,400 (₹15/km)
Innova: ₹3,500 (₹16/km)
Crysta: ₹4,000 (₹18/km)

रेल मार्ग

गया जी पहुंचने के लिए कई राज्यों से कई ट्रेन चलाई गई है. खासकर पितृ पक्ष के दौरान रेलवे कई स्पेशल ट्रेन कई राज्यों से चलाती है ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं हो. दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई जैसे बड़े महानगरों से गया जी पहुँचना रेलमार्ग द्वारा बहुत आसान है क्योंकि गया जंक्शन एक महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन है और यहाँ से देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों के लिए सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं। दिल्ली से गया आने में लगभग 15–16 घंटे लगते हैं और पूर्वा एक्सप्रेस या राजधानी जैसी ट्रेनें इस मार्ग पर चलती हैं। कोलकाता से दूरी अपेक्षाकृत कम है, जहाँ से गया तक की यात्रा लगभग 6–7 घंटे में पूरी हो जाती है। मुंबई से गया की दूरी लंबी होने के कारण यात्रा समय लगभग 28–30 घंटे का होता है और इस मार्ग पर मेल/एक्सप्रेस ट्रेनें उपलब्ध रहती हैं। चेन्नई से गया तक पहुँचने में लगभग 35–36 घंटे का समय लगता है और इस मार्ग पर भी लांग-डिस्टेंस एक्सप्रेस ट्रेनें सीधी चलती हैं। इन सभी शहरों से यात्री अपनी सुविधा के अनुसार रिजर्वेशन कराकर आराम से गया पहुँच सकते हैं, जो पितृपक्ष श्राद्ध और बौद्ध तीर्थ स्थलों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है।

दिल्ली → गया: हावड़ा राजधानी (तेज़, करीब 11 घंटे)… अन्य: नेताजी, नीलांचल, नंदन कनन एक्सप्रेस
कोलकाता → गया: राजधानी एक्सप्रेस (करीब 5 घंटे 42 मिनट)
मुंबई → गया: कोलकाता मेल ( करीब 27 घंटे 50 मिनट)… अन्य: LTT-रांची, LTT गया SF एक्सप्रेस
चेन्नई → गया: MAS-GAYA SF एक्सप्रेस ( करीब 37 घंटे 35 मिनट)

हवाई मार्ग

गया के पास बौद्ध गया होने के चलते यह स्थान हवाई मार्ग से भी जुड़ा हुआ है. यहां हवाई मार्ग से पहुँचना भी आसान है क्योंकि यहाँ गया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा स्थित है, जो बोधगया से लगभग 5 किलोमीटर दूर है। यह हवाई अड्डा विशेषकर बौद्ध तीर्थ और पितृ पक्ष श्राद्ध के समय बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। दिल्ली, कोलकाता और वाराणसी से गया के लिए नियमित घरेलू उड़ानें होती है. वहीं मुंबई और चेन्नई से भी कनेक्टिंग फ्लाइट्स मिल जाती हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह हवाई अड्डा थाईलैंड, श्रीलंका, म्यांमार, वियतनाम, जापान और नेपाल जैसे देशों से सीधे जुड़ा है, जहाँ से बौद्ध श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहाँ आते हैं। गया एयरपोर्ट से शहर और विष्णुपद मंदिर तक पहुँचने के लिए टैक्सी, ऑटो और कैब सर्विस आसानी से मिल जाती है। यदि गया की फ्लाइट नहीं मिल पा रही हो तो आप पटना आकर वहां से कार से गया जी जा सकते है.

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