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16/12/2025 12:08 am

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मानवता की मिसाल बनी सेवा परंपरा

आज के दौर में जब लोग अपनी व्यस्त जिंदगी में दूसरों की तकलीफों को अनदेखा कर देते हैं, वहीं राँची स्थित मंगल राधिका सदानंद सेवाधाम पुंदाग के अपने घर आश्रम में बीते 21 महीनों से चल रही पीड़ित मानव सेवा ने समाज को सच्ची मनुष्यता का संदेश दिया है। परमहंस डॉ. संत शिरोमणि श्री श्री 108 स्वामी सदानंद महाराज के सानिध्य में श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट के तत्वाधान में संचालित इस पावन स्थल पर निरंतर अन्नपूर्णा सेवा भोजन प्रसाद का आयोजन किया जा रहा है। इस सेवा कार्य का उद्देश्य केवल भूख मिटाना नहीं बल्कि उन दिव्यांग, निराश्रित और पीड़ित मानवों को सम्मानजनक जीवन की अनुभूति कराना है, जो समाज की मुख्यधारा से दूर हो गए हैं।

अन्नपूर्णा सेवा दिवस का आयोजन

राँची के सद्गुरु कृपा अपना घर आश्रम (सत्य-प्रेम सभागार) में एस.डी.ए. ग्रुप के सौजन्य से विशेष अन्नपूर्णा सेवा दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आश्रम में रह रहे 40 मंदबुद्धि दिव्यांग निराश्रित प्रभुजीयों एवं उनकी देखभाल करने वाले सेवादार भाइयों के लिए आश्रम के किचन में विधिवत भोजन बनाकर प्रसादी के रूप में प्रेमपूर्वक परोसा गया। इस आयोजन का माहौल मानवीय करुणा, स्नेह और आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत था। प्रभुजीयों के चेहरे पर प्रसाद ग्रहण करते समय मुस्कान देखने लायक थी, मानो उनके भीतर नई आशा का संचार हो गया हो।

अन्नपूर्णा सेवा प्रसाद का वितरण

अपना घर आश्रम के प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी संजय सर्राफ ने जानकारी दी कि 10 सितंबर से 6 अक्टूबर तक लगातार 27 दिनों में कुल 5560 निराश्रित प्रभुजियों एवं उनके सेवक साथियों के बीच अन्नपूर्णा सेवा प्रसाद का वितरण किया गया। यह केवल एक आंकड़ा नहीं बल्कि यह इस बात का प्रमाण है कि यदि समाज के सभी वर्ग एक साथ आ जाएँ तो कोई भूखा नहीं रह सकता।

समाजसेवी परिवारों की सक्रिय भागीदारी

सेवा आयोजन में कई समाजसेवी परिवारों और व्यक्तियों ने सक्रिय भागीदारी निभाई। रेनु देवी, ललिता पोद्दार, मंजू देवी अग्रवाल, सुशील ड्रोलिया, मुरलीधर प्रसाद, भरत कुमार, अजय बजाज, पवन अग्रवाल, मंजू देवी बोडा, शिव भगवान अग्रवाल, डूंगरमल अग्रवाल, अंजनी अग्रवाल, रोहित कुमार चौधरी, अनीश गुप्ता, नील कौशल, मुकेश जालान, निर्मल छावनिका, पंकज कुमार, प्रीति मकवाना, निर्भय कुमार सिंह, सीताराम जी, लक्की सिन्हा, कविता अग्रवाल, ओमप्रकाश हेलीवाल, और नंदकिशोर पाटोदिया जैसे सेवाभावी जनों ने अपने सौजन्य से इस पुण्य कार्य को सफल बनाया। प्रत्येक व्यक्ति ने अपनी ओर से जो भी योगदान दिया, वह उन निराश्रितों के जीवन में एक नया प्रकाश लेकर आया।

जीवन में असहाय महसूस ना करे

मीडिया प्रभारी संजय सर्राफ ने कहा कि इस प्रकार के सेवा कार्यों से समाज का नैतिक और आध्यात्मिक स्तर बढ़ता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि ऐसे अभियान को निरंतर सहयोग और प्रोत्साहन दिया जाए ताकि कोई भी भूखा, निराश्रित या असहाय व्यक्ति अपने जीवन में असहाय महसूस ना करे। साथ ही ट्रस्ट के अध्यक्ष डूंगरमल अग्रवाल, उपाध्यक्ष निर्मल जालान, सचिव मनोज कुमार चौधरी, राजेन्द्र प्रसाद अग्रवाल, सज्जन पाड़िया, पुजारी अरविंद पांडे, पुरणमल सर्राफ, सुरेश अग्रवाल, नन्द किशोर चौधरी, विशाल जालान, सुनील पोद्दार, मधुसूदन जाजोदिया, पवन कुमार पोद्दार, विष्णु सोनी सहित कई अन्य सदस्यों की उपस्थिति ने आयोजन को और गरिमामय बना दिया।

आत्मीयता और प्रेम बांटने का अवसर

यह अन्नपूर्णा सेवा केवल भोजन प्रदान करने तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह आत्मीयता और प्रेम बांटने का अवसर भी बनी। जब मनुष्य अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर समाज की सेवा करता है, तब वही सच्ची साधना कहलाती है। सद्गुरु सदानंद महाराज का उद्देश्य भी यही रहा है—‘सेवा ही साधना है’। सेवाधाम में रहने वाले मंदबुद्धि और दिव्यांग प्रभुजियों की सेवा में लगे सेवादार इस बात के जीवंत उदाहरण हैं कि मानवता अब भी जीवित है।

समाज में प्रेम, करुणा और सहयोग

इस कार्यक्रम से यह संदेश स्पष्ट होता है कि समाज में प्रेम, करुणा और सहयोग की भावना जागृत करने के लिए ऐसे प्रयास आवश्यक हैं। अन्नपूर्णा सेवा के माध्यम से न केवल भूखों का पेट भरा जा रहा है बल्कि लोगों के मन में यह भावना भी जागृत की जा रही है कि हर व्यक्ति अपने स्तर पर किसी जरूरतमंद के जीवन में बदलाव ला सकता है। यह सेवा केवल एक धार्मिक कर्म नहीं बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी की मिसाल है, जो मानवता के सर्वोच्च आदर्शों का प्रतीक है।

मानवता और सेवा का केंद्र

राँची का सद्गुरु कृपा अपना घर आश्रम आज मानवता और सेवा का केंद्र बन चुका है। यहां रोजाना ऐसे कार्य किए जा रहे हैं जो समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। इस आयोजन ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि जब सेवा भावना, समर्पण और साधना एक साथ मिलते हैं, तो समाज में परिवर्तन अवश्य आता है। आश्रम के कार्यों को देखकर यह कहा जा सकता है कि यदि प्रत्येक शहर में ऐसे सेवा केंद्रों का विस्तार हो जाए, तो भारत में कोई भी व्यक्ति भूखा या निराश्रित नहीं रहेगा।

मानवता से बढ़कर कोई धर्म नहीं

ऐसे सेवाकार्य सामाजिक सामंजस्य और आत्मीयता को बढ़ाते हैं। ये केवल भोजन नहीं, बल्कि जीवन का सम्मान बाँटते हैं। यह अन्नपूर्णा सेवा अभियान इस बात का साक्षात उदाहरण है कि “मानवता से बढ़कर कोई धर्म नहीं”। यदि हर व्यक्ति एक दिन प्रतिदिन थोड़ा समय समाजसेवा के लिए निकाले, तो यह देश न केवल आर्थिक रूप से बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी समृद्ध बन सकता है।

अंत में यही कहा जा सकता है कि राँची के इस आश्रम की अन्नपूर्णा सेवा केवल एक आयोजन नहीं बल्कि एक आंदोलन है—मानवता के उत्थान का, त्राण का और प्रेम का। इस प्रकार के कार्य ही आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेंगे कि जीवन का सच्चा सार सेवा और संवेदना में निहित है।

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