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June 19, 2025 4:47 pm

कृष्ण- सुदामा के मार्मिक प्रसंग से पूरा मंदिर परिसर आनंदित भाव-विभोर हो उठा

रांची-श्री कृष्ण प्रणामी सेवा- धाम मंदिर में तीसरे दिन भी भगवान श्री राधा- कृष्ण के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। मंदिर परिसर में आयोजित चार दिवसीय श्रीमद् भागवत गीता कथा के तीसरे दिन संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज ने उद्धव चरित्र रुक्मणी विवाह एवं कृष्ण सुदामा लीला की मार्मिक प्रसंगों का वर्णन किया।

गोपियों के हृदय में प्रेम

श्रीमद् भागवत कथा व्यास पीठ पर आसीन संत सदानंद जी महाराज ने हुए कहा कि दुख- सुख को समझने वाले जिस धैर्यवान पुरुष को एक इंद्रियों के विषयों के संजोग व्याकुल नहीं करते वह मोक्ष के योग्य नहीं है।महाराज जी ने भगवान श्री कृष्ण के प्रति गोपियों के हृदय में प्रेम का वर्णन करते हुए कहा की के उद्घव से ज्ञानी को भी कहना पड़ा यह गोपियों तू धन्य हो तुम्हारा जीवन सफल है और तुम सारे संसार के लिए पूजनीय हो क्योंकि तुम लोगों ने इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण को अपना हृदय अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया है। नंद बाबा के ब्रज में रहने वाले गोपांगनाओ चरण धूलि को मै बार-बार प्रणाम करता हूं।भगवान श्री कृष्ण की अद्भुत लिलाएं सागर में द्वारकापुरी निर्माण कर वास किया। एक- एक कर 8 विवाह किया और एक ही मुहूर्त में 16100 कन्या से विवाह किया इतने बड़े परिवार में बड़े आनंद पूर्वक रहते थे।भगवान श्रीकृष्ण के परम मित्र एव अंतरंग सखा सुदामा जी थे। जिनकी कथा जग प्रसिद्ध है श्री सुदामा जी के एक मुट्ठी चावल के बदले अपना जैसा वैभव प्रदान किया।

कृष्ण- सुदामा के मार्मिक प्रसंग

भगवान संतो को महिमा गायन करते हुए कहा कि केवल जग में तीर्थ तीर्थ नहीं कहलाते हैं और केवल प्रतिमाएं ही देवता नहीं होती है संतोषी वास्तव में तीर छोड़ देता है क्योंकि उनका बहुत समय तक सेवन किया जाता पुण्य मिलता है प्रदूषण पुरुषों का तो दर्शन मात्र से कृतार्थ कर देते हैं। भगवान श्री कृष्ण ने उद्धव को ज्ञान उपदेश करते हुए कहा कि संसार मे जो भी मानव यह जगत क्या है इसमें क्या हो रहा है। इत्यादि बातों पर विचार करने में निपुण है वह चीत में भरी हुई अशुभ वासनाओ से अपने आपको स्वयं अपने विवेक शक्ति से प्राय बचा लेते हैं। समस्त प्राणियों मे विशेष कर मनुष्य अपने प्रत्यक्ष अनुभव और अनुमान के द्वारा अपने हित अहित का निर्णय करने में समर्थ है। यदि कोई दुष्टों की संगति में पड़ कर अधर्म करने लग जाए। अपने इंद्रियों के बस में हो कर मनमानी करने लगे तो वह नरक में जाता है। भक्ति की प्राप्ति सत्संग से होती है जिसे भक्ति प्राप्त हो जाती है वही भगवान की उपासना करता है। कृष्ण- सुदामा के मार्मिक प्रसंग तथा कृष्ण सुदामा के मिलन पर पूरा मंदिर परिसर आनंदित भाव-विभोर हो गया। कथा के दौरान कलाकारों द्वारा कई प्रसंगों पर जीवंत अद्भुत झांकियां प्रस्तुत की।

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