छठ पूजा बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में बहुत ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाने वाला पर्व है। यह पर्व सूर्य देवता और छठी मईया की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है। छठ पूजा में ठेकुआ का विशेष महत्व है और इसे छठ पर्व की सबसे महत्वपूर्ण प्रसाद माना जाता है। आइए जानें कि ठेकुआ क्यों बनाया जाता है, इसका महत्व क्या है, और इसके पीछे की कहानी क्या है।
ठेकुआ का महत्व
ठेकुआ छठ पूजा का मुख्य प्रसाद है, जिसे गेहूं के आटे, गुड़ और घी से तैयार किया जाता है। इसे गहरे तले हुए कुरकुरे पकवान के रूप में बनाया जाता है और आमतौर पर इसे बेलन की मदद से आकार दिया जाता है। ठेकुआ की मिठास गुड़ से आती है, जो प्राकृतिक होता है और सेहत के लिए भी लाभकारी होता है। छठ पूजा में ठेकुआ का महत्व इस बात में है कि यह एक सादा और प्राकृतिक भोजन है, जो आस्था और सादगी का प्रतीक माना जाता है। यह प्रसाद श्रद्धालुओं के बीच वितरित किया जाता है और इसे विशेष तरीके से बनाया जाता है ताकि पूजा के दौरान सूर्य देवता और छठी मईया को अर्पित किया जा सके।
क्यों बनाया जाता है ठेकुआ
ठेकुआ को प्रसाद के रूप में बनाने के पीछे धार्मिक और सांस्कृतिक कारण होते हैं। छठ पूजा के समय भक्तगण व्रत रखते हैं और निर्जला उपवास करते हैं। व्रत के दौरान जो प्रसाद चढ़ाया जाता है, उसमें ठेकुआ का विशेष स्थान होता है। यह पूजा में चढ़ाए जाने वाले खाद्य पदार्थों में एक अहम भूमिका निभाता है क्योंकि यह बिना प्याज-लहसुन का होता है और इसके निर्माण में किसी भी प्रकार के तामसिक या अशुद्ध चीजों का प्रयोग नहीं किया जाता। ठेकुआ का निर्माण पूरी तरह से शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक होता है।
कहानी और मान्यता
छठ पूजा से जुड़ी कई कहानियां और मान्यताएं हैं। इनमें से एक मान्यता यह है कि महाभारत काल में जब पांडव अपना सारा राज-पाट जुए में हार गए थे, तब द्रौपदी ने भगवान सूर्य की पूजा की थी। उनकी पूजा से प्रसन्न होकर भगवान सूर्य ने उन्हें राज-पाट वापस दिलाने में मदद की। इसके अलावा, ऐसा भी माना जाता है कि छठी मईया सूर्य देवता की बहन हैं, और उनकी पूजा करने से संतान, सुख-समृद्धि, और आरोग्यता की प्राप्ति होती है। छठ पूजा में ठेकुआ का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह प्रसाद सूर्य देवता और छठी मईया को समर्पित किया जाता है, जिनके आशीर्वाद से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
सांस्कृतिक पहलू
ठेकुआ सिर्फ प्रसाद नहीं है, बल्कि यह छठ पर्व के सांस्कृतिक महत्व का प्रतीक भी है। छठ पूजा का समय उस समय आता है जब फसल कटाई का समय होता है। ऐसे में ठेकुआ को गेहूं के आटे से बनाना एक प्रकार से नई फसल का स्वागत करना और देवी-देवताओं के प्रति आभार व्यक्त करना भी होता है। इस प्रसाद को बनाना बहुत ही पवित्रता के साथ होता है, और इसे बनाते समय खासतौर पर सफाई और शुद्धता का ध्यान रखा जाता है।
ठेकुआ बनाने की विधि
ठेकुआ बनाने की प्रक्रिया में भक्त अपने हाथों से आटा गूंधते हैं और उसे प्यार व आस्था के साथ आकार देते हैं। इसके लिए सबसे पहले गेहूं के आटे में गुड़, नारियल और घी मिलाकर आटा गूंथा जाता है। इसके बाद इसे बेलन की मदद से ठेकुआ का आकार दिया जाता है और इसे घी या तेल में तल लिया जाता है। ठेकुआ का स्वाद और इसकी बनावट इसे खास बनाते हैं।
इस प्रकार, छठ पूजा में ठेकुआ का महत्व धार्मिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक सभी दृष्टिकोणों से बहुत गहरा है। यह सिर्फ एक प्रसाद नहीं है, बल्कि भक्तों की आस्था, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है। ठेकुआ को छठ पर्व की पहचान भी माना जा सकता है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी इस पर्व के साथ जुड़ी हुई है।
