Explore

Search

June 19, 2025 4:58 am

धनतेरस में क्या करें कि सालभर धन की बर्षा होती रहे…..

धनतेरस, जिसे धन त्रयोदशी भी कहा जाता है, दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव की शुरुआत का पहला दिन होता है। यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है और इसका मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली की कामना करना है। इस दिन धन और आरोग्य के देवता धन्वंतरि की पूजा की जाती है, जो समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से धनतेरस का महत्व विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

धार्मिक कारण

  1. धन्वंतरि का जन्म: धार्मिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए धनतेरस के दिन उनकी पूजा आरोग्य और लंबी आयु की प्राप्ति के लिए की जाती है। धन्वंतरि आयुर्वेद के देवता माने जाते हैं, इसलिए इस दिन स्वास्थ्य संबंधी चीजें खरीदने का विशेष महत्व है।
  2. धन और समृद्धि: इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा भी की जाती है। लक्ष्मी धन की देवी हैं और कुबेर को धन का राजा कहा जाता है। धनतेरस के दिन लक्ष्मी जी का पूजन करने से घर में धन और वैभव की वृद्धि होती है और कुबेर जी की कृपा से समृद्धि आती है।
  3. यमराज की पूजा: एक और धार्मिक कथा के अनुसार, इस दिन यमराज की पूजा दीप जलाकर की जाती है। इसे यमदीपदान कहा जाता है। मान्यता है कि इससे अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

वैज्ञानिक कारण

  1. धातु का महत्व: धनतेरस पर सोना, चांदी, या पीतल के बर्तन खरीदने की परंपरा है। इसका एक वैज्ञानिक कारण यह है कि धातु, विशेषकर चांदी और तांबा, स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माने जाते हैं। चांदी के बर्तन का पानी पीने से इम्यूनिटी बढ़ती है, और तांबे के बर्तन में पानी रखने से उसे शुद्ध करने की क्षमता होती है। इन धातुओं से जुड़े औषधीय गुणों के कारण इन्हें खरीदना शुभ माना जाता है।
  2. स्वास्थ्य के लिए तैयारी: धनतेरस पर धन्वंतरि की पूजा करने का उद्देश्य सिर्फ स्वास्थ्य की कामना करना नहीं है, बल्कि इस समय ऋतु परिवर्तन का समय होता है। सर्दी का मौसम शुरू होता है, और इस समय स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए विशेष तैयारियां की जाती हैं। धन्वंतरि, जो आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं, के माध्यम से आयुर्वेदिक दवाओं और उपचारों का स्मरण किया जाता है।
  3. सकारात्मक ऊर्जा का संचार: इस दिन घरों की सफाई की जाती है और दीप जलाए जाते हैं, जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। दीपक की रोशनी से वातावरण में सकारात्मकता फैलती है, जिससे मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।

धनतेरस पर पूजा विधि

  1. सफाई और सजावट: सबसे पहले घर की साफ-सफाई की जाती है, क्योंकि लक्ष्मी जी स्वच्छ और सुंदर स्थान पर निवास करती हैं। घर के मुख्य दरवाजे को रंगोली और दीपों से सजाया जाता है।
  2. धन्वंतरि पूजन: इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। उनके चित्र या मूर्ति के सामने दीप जलाएं, चंदन, फूल, अक्षत, और जल अर्पित करें। स्वास्थ्य की रक्षा और आरोग्य की कामना करें।
  3. धन लक्ष्मी और कुबेर पूजा: धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। लक्ष्मी जी के चरणों में चावल, फूल और धूप अर्पित करें। भगवान कुबेर के सामने धन के प्रतीक के रूप में कुछ सिक्के रखें और उनकी कृपा की प्रार्थना करें।
  4. धातु खरीदारी: इस दिन चांदी, सोना या तांबे के बर्तन खरीदने का रिवाज है। इसे शुभ माना जाता है और यह घर में धन की वृद्धि का प्रतीक होता है।
  5. यमदीपदान: रात को घर के मुख्य द्वार पर यमराज के नाम का दीप जलाएं, जिससे अकाल मृत्यु का भय टलता है।

Leave a Comment