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June 19, 2025 12:54 am

मकर संक्राति हमारे जीवन को किस प्रकार प्रभावित करता है? जानकर हो जाएगें हैरान

मकर संक्रांति हर वर्ष 14 जनवरी को मनाई जाती है।हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। यह पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने का प्रतीक है, जो एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना मानी जाती है। मकर संक्रांति भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाई जाती है, लेकिन इसका मूल उद्देश्य सूर्य देव की पूजा और सकारात्मकता का आह्वान करना है।

कब मनाया जाता है मकर संक्रांति?

शास्त्रों के अनुसार,भगवान सूर्य बारह राशियों के भ्रमण के दौरान जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार को सकरांत, लोहड़ी, टहरी, पोंगल आदि नामों से जानते हैं। इस दिन स्नान व दान का भी विशेष महत्व माना गया है। मकर राशि में सूर्य के प्रवेश करते ही सूर्यदेव उतरायण हो जाते हैं और देवताओं के दिन और दैत्यों के लिए रात शुरू होती है। खरमास खत्म होने के साथ ही माघ माह भी शुरू हो जाता है। इसी के साथ मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं।

मकर संक्रांति में पूजा कैसी करनी चाहिए?

सूर्य देव को मकर संक्रांति के दिन अर्घ्य के दौरान जल, लाल पुष्प, फूल, वस्त्र, गेंहू, अक्षत, सुपारी आदि अर्पित की जाती है। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का विशेष महत्व होता है। इस पावन दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व ही शुद्ध जल से स्नान करें। स्नान के पश्चात गायत्री मंत्र का जाप, सूर्य की आराधना और अपने इष्ट और गुरु मंत्र का जाप करें। कहा जाता है कि इस दिन जो भी मंत्र जाप, यज्ञ और दान किया जाता है। उसका शुभ प्रभाव 10 गुना होता है।

मकर संक्रांति को कृषि से भी गहरा संबंध

सूर्य का मकर राशि में प्रवेश एक विशेष खगोलीय घटना है, जिसके बाद दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं। इसे उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि सूर्य उत्तर की ओर यात्रा करता है। यह समय दिन में अधिक रोशनी और ऊर्जा का प्रवेश होने का संकेत देता है, जिससे जीवन में उन्नति और सफलता का संचार होता है। इसी कारण, मकर संक्रांति का पर्व धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। मकर संक्रांति को कृषि से भी गहरा संबंध है। यह समय फसलों की कटाई और नूतन फसलों की शुरुआत का होता है। किसानों के लिए यह समय खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक है, क्योंकि वे अपनी मेहनत का फल प्राप्त करते हैं।इस दिन लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं, तिल और गुड़ का सेवन करते हैं,और एक-दूसरे को शुभकामनाएं भेजते हैं।

विभिन्न हिस्सों में मकर संक्रांति अलग-अलग रूपों में मनाई जाती है

भारत के विभिन्न हिस्सों में मकर संक्रांति अलग-अलग रूपों में मनाई जाती है। उत्तर भारत में इसे पतंगबाजी के रूप में मनाया जाता है, जबकि गुजरात और महाराष्ट्र में इसे उत्तरायण के रूप में मनाते हैं। पंजाब में इस दिन को लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है,दक्षिण भारत में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है, जो फसल की कटाई का प्रतीक है और वहां विशेष भोज बनते हैं।मकर संक्रांति का महत्व केवल धार्मिक और सांस्कृतिक नहीं, बल्कि सामाजिक भी है। इस दिन लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशियां बांटते हैं और सामाजिक समरसता का संदेश देते हैं। यह पर्व जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि की कामना करता है, जिससे हर व्यक्ति का जीवन और समाज प्रगति की ओर अग्रसर होता है।मकर संक्रांति केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर, कृषि, और समाजिक एकता का प्रतीक है, जो हमें जीवन में खुशियां और ऊर्जा देने का काम करता है।

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