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June 19, 2025 12:50 am

मेडिकल साइंस विकसित होने के बाद भी बिमारीयॉं कम क्यों नहीं हो रही है?

आज चिकित्सा विज्ञान ने इतनी प्रगति कर ली है कि कई गंभीर बीमारियों का इलाज संभव हो चुका है। लेकिन इसके बावजूद हम यह देख रहे हैं कि बीमारियों की संख्या बढ़ रही है, और लोग कम उम्र में ही विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार हो रहे हैं। सवाल उठता है – पहले मेडिकल साइंस कमजोर था, फिर भी लोग ज्यादा स्वस्थ और दीर्घायु थे, लेकिन आज विज्ञान उन्नत है, तो बीमारियाँ बढ़ क्यों रही हैं? आइए समझते हैं।


1. जीवनशैली में बड़ा बदलाव

पुराने समय में लोगों की जीवनशैली प्राकृतिक और संतुलित थी। वे ज़्यादातर शुद्ध और ताजे भोजन का सेवन करते थे, शारीरिक श्रम अधिक करते थे और प्रकृति के करीब रहते थे।
🔹 तब: ताजी हवा, पौष्टिक भोजन, शारीरिक श्रम, जैविक खेती।
🔹 अब: प्रोसेस्ड फूड, बैठे रहने की आदत (Sedentary Lifestyle), प्रदूषण, रसायनयुक्त भोजन।

🔸 क्या बदला?

✅ पहले लोग ज्यादा पैदल चलते थे, अब गाड़ियों का अधिक उपयोग होता है।
✅ पहले खेतों में शुद्ध अनाज उगते थे, अब रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग होता है।
✅ पहले शरीर को मेहनत करनी पड़ती थी, अब मशीनें सब कुछ कर रही हैं, जिससे शारीरिक श्रम कम हो गया है।


2. जंक फूड और अस्वस्थ खानपान

आजकल का भोजन पौष्टिकता के बजाय स्वाद और सुविधा पर आधारित हो गया है।
⚠️ प्रोसेस्ड फूड, कोल्ड ड्रिंक्स, फास्ट फूड, चीनी और नमक की अधिकता से मोटापा, हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर जैसी बीमारियाँ बढ़ रही हैं।
💡 पहले लोग देसी घी, दाल, रोटी, हरी सब्ज़ियाँ और फल खाते थे, जो प्राकृतिक पोषण से भरपूर था।


3. मानसिक तनाव और मानसिक बीमारियाँ

पुराने समय में लोग सामाजिक रूप से अधिक जुड़े हुए थे। परिवार में एकजुटता थी, रिश्तों में प्यार और सम्मान था।
❌ आज तनाव, डिप्रेशन, चिंता, अकेलापन जैसी मानसिक बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही हैं।
📱 सोशल मीडिया, भागदौड़ भरी ज़िंदगी और प्रतिस्पर्धा ने लोगों को मानसिक रूप से कमजोर कर दिया है।


4. पर्यावरण प्रदूषण और जीवन पर असर

🔥 पहले हवा, पानी और मिट्टी शुद्ध थी, लेकिन अब प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के कारण बीमारियों की भरमार हो गई है।
🛢️ वायु प्रदूषण से अस्थमा, फेफड़ों के रोग, जल प्रदूषण से कैंसर, त्वचा रोग, और प्लास्टिक-रसायनों के उपयोग से हार्मोन असंतुलन जैसी समस्याएँ हो रही हैं।


5. दवाइयों और एंटीबायोटिक्स का अधिक उपयोग

💊 मेडिकल साइंस ने बहुत तरक्की की है, लेकिन अत्यधिक दवा सेवन और एंटीबायोटिक्स के अनावश्यक प्रयोग से नई बीमारियाँ जन्म ले रही हैं।
⚠️ पहले लोग प्राकृतिक तरीकों से बीमारी से लड़ते थे, अब छोटी-छोटी बीमारियों के लिए भी दवाइयाँ ली जाती हैं, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) कमजोर हो रही है।


6. बीमारियों की नई परिभाषा और जागरूकता

पहले बहुत सी बीमारियों की पहचान नहीं होती थी।
✅ आज तकनीकी उन्नति के कारण बीमारियों का जल्दी पता चल जाता है, जिससे उनकी संख्या ज्यादा लगती है।
✅ पहले लोग बिना जाँच के ही जीवन जीते थे, लेकिन अब नियमित हेल्थ चेकअप होने के कारण कई बीमारियाँ सामने आती हैं।


7. अनुवांशिक परिवर्तन (Genetic Mutation)

🔬 आधुनिक जीवनशैली, प्रदूषण और खानपान के कारण डीएनए स्तर पर परिवर्तन हो रहे हैं, जिससे नई-नई बीमारियाँ जन्म ले रही हैं।
🧬 कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह और अन्य बीमारियाँ अनुवांशिक रूप से अगली पीढ़ियों में भी बढ़ रही हैं।


8. टेक्नोलॉजी और शरीर पर प्रभाव

📱 आज मोबाइल, लैपटॉप, टीवी और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का अत्यधिक उपयोग हो रहा है।
⚡ मोबाइल रेडिएशन, ब्लू लाइट, स्क्रीन टाइम बढ़ने से नींद की कमी, सिरदर्द, आँखों की समस्या और मानसिक तनाव बढ़ रहा है।
⚠️ बच्चे आउटडोर खेलों की बजाय मोबाइल गेम्स खेलते हैं, जिससे मोटापा और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ रही हैं।


समस्या और समाधान

🔹 बीमारियाँ इसलिए बढ़ रही हैं क्योंकि हमारी आदतें और जीवनशैली बदल गई हैं
🔹 विज्ञान ने चिकित्सा को उन्नत बना दिया है, लेकिन लोग अपनी प्राकृतिक जीवनशैली से दूर हो चुके हैं
🔹 हमें अपनी पुरानी जीवनशैली की अच्छी चीजों को फिर से अपनाना होगा, जैसे –
✅ स्वस्थ भोजन करें (जैविक और देसी भोजन अपनाएँ)।
✅ व्यायाम और योग को जीवनशैली का हिस्सा बनाएँ।
✅ तनाव कम करें, प्रकृति के करीब जाएँ।
✅ अनावश्यक दवाइयों और एंटीबायोटिक्स का सेवन न करें।
✅ मोबाइल, टीवी और स्क्रीन टाइम कम करें।
✅ पर्याप्त नींद लें और सामाजिक संबंधों को मजबूत करें।

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