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June 19, 2025 12:55 am

मोह माया से दूर आखिर नागा साधु क्यों करते हैं 16 श्रृंगार? क्या है रहस्य?

नागा साधु अपने साधना और तपस्या के लिए जाने जाते हैं, जो उन्हें सांसारिक मोह-माया से परे एक साधना के पथ पर ले जाता है। हालांकि, यह बात चौंकाने वाली लग सकती है कि नागा साधु, जो भौतिक सुख-सुविधाओं और मोह-माया से परे रहते हैं, 16 श्रृंगार भी करते हैं। उनके इस कर्म का गूढ़ आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रहस्य है।

नागा साधुओं का 16 श्रृंगार क्यों?

नागा साधुओं के 16 श्रृंगार का उद्देश्य सांसारिक मोह-माया को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि इसे नकारना और एक उच्च आध्यात्मिक चेतना को दर्शाना है। यह 16 श्रृंगार उनके शरीर को देवत्व का प्रतीक बनाने का एक तरीका है। हिंदू धर्म में, शरीर को आत्मा का मंदिर माना गया है। नागा साधु अपने शरीर को देवता का रूप देकर ध्यान और साधना के जरिए परमात्मा से जुड़ने का प्रयास करते हैं।

इसके अतिरिक्त, यह प्रक्रिया पवित्रता, ब्रह्मचर्य, और आत्मसंयम का प्रतीक मानी जाती है। उनके श्रृंगार का हर तत्व योग और तपस्या के लिए उन्हें तैयार करता है।

नागा साधुओं के 16 श्रृंगार

नागा साधु अपने 16 श्रृंगार की प्रक्रिया में इन तत्वों का उपयोग करते हैं:

  1. भस्म लेपन (राख):
    यह सबसे महत्वपूर्ण श्रृंगार है। वे अपने पूरे शरीर पर भस्म (पवित्र राख) लगाते हैं। यह मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र का प्रतीक है और सांसारिक इच्छाओं से मुक्ति का मार्ग दिखाता है।
  2. जटाएं (बाल):
    नागा साधु लंबे, जटाधारी बाल रखते हैं। जटाएं योग और तपस्या का प्रतीक हैं और दिखाती हैं कि साधु ने अपनी भौतिक पहचान को त्याग दिया है।
  3. माला (रुद्राक्ष या तुलसी):
    साधु गले में रुद्राक्ष की माला पहनते हैं, जो शिव और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है।
  4. त्रिपुंड (माथे पर भस्म की तीन रेखाएं):
    त्रिपुंड शिव का प्रतीक है और अज्ञानता, अहंकार, और पाप से मुक्ति को दर्शाता है।
  5. चंदन या कुंकुम तिलक:
    साधु कभी-कभी चंदन या कुंकुम का तिलक लगाते हैं, जो ऊर्जा और ध्यान के केंद्र को सक्रिय करता है।
  6. कमंडलु (जल पात्र):
    कमंडलु साधु का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह तपस्या, संतोष, और भक्ति का प्रतीक है।
  7. लंगोटी (धोती या कपड़ा):
    साधु कमर पर साधारण कपड़ा पहनते हैं, जो ब्रह्मचर्य और सरलता का प्रतीक है।
  8. अंगराग (चंदन का लेप):
    यह शीतलता और पवित्रता प्रदान करता है।
  9. दंड (छड़ी):
    यह शक्ति और अनुशासन का प्रतीक है, जो साधु को साधना में स्थिर रखता है।
  10. कनफूल (कान में आभूषण):
    कुछ नागा साधु कानों में बड़े आभूषण पहनते हैं, जो गुरु-शिष्य परंपरा का प्रतीक है।
  11. भुजबंध (बांहों पर पट्टी):
    यह शक्ति और आंतरिक ऊर्जा का प्रतीक है।
  12. बिछुए (पैर की अंगुलियों में पहनने वाली वस्तु):
    यह साधु के आध्यात्मिक समर्पण का संकेत है।
  13. काजल:
    आंखों में काजल लगाना आत्मा को बुरी ऊर्जा से बचाने का प्रतीक है।
  14. गंध (अत्तर):
    साधु सुगंधित गंध लगाते हैं, जो पवित्रता और ध्यान को बढ़ावा देता है।
  15. पुष्प:
    कुछ साधु अपने सिर या शरीर पर फूल पहनते हैं, जो उनके आध्यात्मिक सौंदर्य और शिव को समर्पण का प्रतीक है।
  16. चांदी या लोहे की अंगूठी:
    यह साधु को शक्ति और स्थिरता प्रदान करती है।

रहस्य और आध्यात्मिक संदेश

  1. शिव से जुड़ाव:
    नागा साधु भगवान शिव के अनन्य भक्त होते हैं, और उनके श्रृंगार शिव के विभिन्न रूपों को दर्शाते हैं। शिव को भी योगियों और तपस्वियों का आदर्श माना जाता है।
  2. माया का नकार:
    उनका 16 श्रृंगार यह दर्शाता है कि उन्होंने माया (भौतिक सुख) से ऊपर उठकर इसे अपने साधन के रूप में अपनाया है, न कि अपने उद्देश्य के रूप में।
  3. तपस्या का प्रतीक:
    यह श्रृंगार उन्हें तपस्या और आत्मसंयम में मदद करता है और साधना के लिए तैयार करता है।

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