लक्षद्वीप के गहरे और रहस्यमयी समुद्र में गोताखोरी कर रहे कुछ गोताखोरों को हाल ही में एक ऐसा अद्भुत खजाना मिला, जिसने सभी को हैरान कर दिया। समुद्री जीवन और पानी के भीतर की दुनिया का अध्ययन करने निकले इन गोताखोरों को एक ऐसा मलबा दिखाई दिया, जो सामान्य नहीं था। उत्सुकतावश जब उन्होंने उस मलबे का करीब से निरीक्षण किया, तो उनकी आंखें चौंक गईं। यह मलबा किसी साधारण जहाज का नहीं, बल्कि सैकड़ों साल पुराना युद्धपोत था, जो अब तक समुद्र के गर्भ में दफन था।
खोज की कहानी
इस ऐतिहासिक खोज की शुरुआत तब हुई जब गोताखोर लक्षद्वीप के समुद्र में जैव विविधता का अध्ययन करने के लिए उतरे थे। गहरे समुद्र में छिपे इस मलबे पर उनका ध्यान तब गया जब उन्हें समुद्र की सतह से कुछ असामान्य आकृतियां दिखाई दीं। जब वे इन आकृतियों को करीब से देखने गए, तो उन्हें लकड़ी और धातु के बड़े-बड़े टुकड़े दिखाई दिए।
गोताखोरों ने जब और गहराई में जाकर निरीक्षण किया, तो उन्हें पता चला कि यह कोई साधारण मलबा नहीं था। वहां तोपों, तलवारों और जहाज के अन्य उपकरणों के अवशेष भी मिले। यह देख गोताखोर समझ गए कि यह किसी पुराने युद्धपोत का मलबा है, जो संभवतः किसी ऐतिहासिक समुद्री युद्ध का हिस्सा रहा होगा।
इतिहास की झलक
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मलबा 16वीं या 17वीं सदी का हो सकता है। उस समय हिंद महासागर व्यापार और समुद्री संघर्षों का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। यूरोपीय औपनिवेशिक ताकतें जैसे पुर्तगाली, डच और अंग्रेज इस क्षेत्र में अपना प्रभुत्व जमाने के लिए एक-दूसरे से टकराती थीं। हो सकता है कि यह युद्धपोत उन्हीं समुद्री संघर्षों का हिस्सा रहा हो।
मलबे के पास से गोताखोरों को एक प्राचीन धातु का सिक्का और कुछ मिट्टी के बर्तन भी मिले। ये चीजें इस बात की ओर इशारा करती हैं कि यह जहाज व्यापार और युद्ध दोनों के लिए इस्तेमाल होता था। सिक्के पर लिखे अक्षर और प्रतीक पुरातत्वविदों को उस कालखंड की जानकारी जुटाने में मदद करेंगे।
समुद्र के गर्भ से खजाने का रहस्य
यह मलबा लगभग 50-60 फीट गहराई पर मिला, जो काफी अच्छी स्थिति में था। विशेषज्ञों का मानना है कि समुद्र के खारे पानी और दबाव ने जहाज के लकड़ी और धातु के हिस्सों को समय के साथ सुरक्षित रखा। इसके आसपास समुद्री जीवों ने अपना घर बना लिया था, जिससे यह मलबा और भी रहस्यमय लग रहा था।
महत्व और संभावनाएं
यह खोज न केवल इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि लक्षद्वीप के पर्यटन और सांस्कृतिक महत्व को भी बढ़ा सकती है। सरकार और पुरातत्व विभाग ने अब इस मलबे को संरक्षित करने और इसके इतिहास की गहराई से जांच करने की योजना बनाई है।
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