भारतीय संस्कृति में शंख का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक प्राचीन और गहरा है। इसे पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों का अनिवार्य अंग माना जाता है। शंख को अक्सर देवताओं की पूजा, मंत्रोच्चारण और धार्मिक कार्यों में बजाया जाता है। लेकिन इसके पीछे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी कई फायदे छिपे हुए हैं। आइए, इसके धार्मिक और वैज्ञानिक फायदों पर एक नज़र डालते हैं।
धार्मिक महत्व
शंख को पवित्र और शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में इसे देवी-देवताओं का आह्वान करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह विष्णु भगवान का प्रतीक है, और शंख की ध्वनि को “ओम” के साथ जोड़ा जाता है, जो ब्रह्मांड की पवित्र ध्वनि मानी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि शंख ध्वनि से नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। पूजा-पाठ और यज्ञ के समय शंखनाद किया जाता है, जिससे वातावरण पवित्र और शुद्ध होता है।
शंख बजाने के वैज्ञानिक फायदे
- ध्वनि तरंगों का प्रभाव: जब शंख बजाया जाता है, तो इससे उत्पन्न ध्वनि तरंगें उच्च आवृत्ति वाली होती हैं, जो वातावरण को शुद्ध करने का कार्य करती हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो ये ध्वनि तरंगें हानिकारक बैक्टीरिया और सूक्ष्मजीवों को खत्म करने में मदद करती हैं। इससे वातावरण में उपस्थित नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का विस्तार होता है।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव: शंख बजाने से व्यक्ति की श्वास प्रणाली में सुधार होता है। जब शंख बजाया जाता है, तो फेफड़ों में गहरी सांस खींची जाती है और पूरी शक्ति के साथ छोड़ते समय फेफड़े सक्रिय होते हैं। यह प्रक्रिया फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाती है और सांस संबंधी रोगों जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस आदि से बचाव में सहायक होती है।
- ब्लड सर्कुलेशन: शंख बजाने के समय ध्वनि के साथ-साथ व्यक्ति के शरीर में कंपन उत्पन्न होता है। यह कंपन ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा देने का कार्य करता है, जिससे शरीर के अंगों को अधिक ऑक्सीजन और पोषण मिलता है। यह दिल और फेफड़ों के कार्य को भी बेहतर बनाता है।
- मस्तिष्क की सक्रियता: शंख बजाने से मस्तिष्क की नसों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे मस्तिष्क के कार्यशीलता में सुधार होता है और ध्यान एवं एकाग्रता में वृद्धि होती है। यह मानसिक तनाव को कम करने में भी सहायक होता है। शंख ध्वनि से मस्तिष्क के दोनों गोलार्ध संतुलित होते हैं, जिससे मस्तिष्क और शरीर में तालमेल बना रहता है।
- इम्यूनिटी में सुधार: शंख बजाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। नियमित रूप से शंख बजाने से शरीर की कोशिकाओं को सक्रिय रखा जाता है, जिससे संक्रमण और बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
जल शुद्धिकरण और पर्यावरण पर प्रभाव
शंख में रखा जल भी पवित्र माना जाता है और इसे पूजा में छिड़काव के लिए उपयोग किया जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, शंख में रखा जल एल्कलाइन (क्षारीय) होता है, जो शरीर के pH स्तर को संतुलित करता है। इसे पीने से पाचन तंत्र में सुधार होता है और शरीर में विषैले पदार्थों का नाश होता है। शंख के जल का प्रयोग त्वचा संबंधी रोगों को ठीक करने में भी किया जाता है।
