हर साल 21 जून को पूरे विश्व में ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ (International Yoga Day) मनाया जाता है। यह केवल एक दिन योग करने का दिन नहीं है, बल्कि यह एक याद दिलाने वाला दिन है कि हम अपने जीवन में नियमित योग को शामिल करके स्वास्थ्य, मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं। आज की व्यस्त जीवनशैली और तनावपूर्ण माहौल में योग ही एक ऐसा साधन है जो शरीर और मन दोनों को संतुलन में रखता है।
क्यों जरूरी है योग?
- तनाव और चिंता को करता है कम:
- प्राणायाम, ध्यान और आसान श्वास तकनीकें तनाव हार्मोन (कॉर्टिसोल) को कम करती हैं।
- शारीरिक लचीलापन और ताकत में सुधार:
- नियमित योग से मांसपेशियों की ताकत, संतुलन और लचीलापन बढ़ता है।
- बीमारियों से लड़ने की ताकत:
- योग शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है जिससे बीमारियाँ दूर रहती हैं।
- नींद की गुणवत्ता में सुधार:
- योग करने से मेलाटोनिन हार्मोन बैलेंस होता है जिससे गहरी और शांत नींद आती है।
- डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और मोटापे पर नियंत्रण:
- योग डायबिटीज रोगियों के ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है और वजन को भी घटाता है।
हर दिन 30 मिनट योग: क्यों और कैसे?
अगर आप हर दिन केवल 30 मिनट योग को देते हैं, तो यह आपकी दिनचर्या में गहरी सकारात्मकता लाता है। यह एक मानसिक और शारीरिक क्रांति ला सकता है।
योग दिनचर्या का उदाहरण:
समय | क्रिया |
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0-5 मिनट | गहरी श्वास और ध्यान |
5-10 मिनट | सूर्य नमस्कार (5 राउंड) |
10-20 मिनट | त्रिकोणासन, भुजंगासन, वज्रासन, बालासन |
20-30 मिनट | प्राणायाम (अनुलोम-विलोम, कपालभाति), शांति ध्यान |
योग से जुड़ी कुछ प्रभावशाली बातें:
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में संयुक्त राष्ट्र में योग का प्रस्ताव रखा था जिसे 177 देशों ने समर्थन दिया।
- 2025 में यह योग दिवस 11वां वर्ष होगा, और इसकी थीम “Yoga for Self and Society” हो सकती है।
- WHO ने भी योग को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए सहायक बताया है।
योगासन जो हर किसी को करने चाहिए:
- सूर्य नमस्कार – सम्पूर्ण शरीर को गर्म करता है और ऊर्जा देता है।
- भुजंगासन (Cobra Pose) – रीढ़ को मजबूत करता है और थकान दूर करता है।
- वज्रासन – पाचन सुधारने में लाभकारी।
- त्रिकोणासन – शरीर में संतुलन और लचीलापन बढ़ाता है।
- शवासन – मानसिक शांति के लिए।
- प्राणायाम – फेफड़ों को ताकत देता है और मन को शांत करता है।
भारत के 10 प्रमुख योगाचार्यों की राय:
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बाबा रामदेव –
“योग और स्वस्थ जीवनशैली बीमारियों का अचूक इलाज है।”
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श्री श्री रवि शंकर –
“योग केवल व्यायाम नहीं, यह आंतरिक स्वतंत्रता की कुंजी है।”
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बी.के.एस. अय्यंगर –
“योग मन को भीतर से प्रतिबिंबित करने का माध्यम है।”
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सद्गुरु जग्गी वासुदेव –
“योग वैज्ञानिक है, यह किसी विशेष संस्कृति या धर्म का नहीं।”
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तिरुमलै कृष्णमाचार्य –
“व्यक्ति विशेष के अनुसार योग की शिक्षा देना सर्वोपरि है।”
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स्वामी सत्यचिदानंद सरस्वती –
“योग सभी धर्मों से उपर है, यह एक सार्वभौमिक विज्ञान है।”
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स्वामी महेश्वरानंद –
“योग सार्वभौमिक सिद्धांत है, यह शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करता है।”
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हंसा योगेंद्र –
“योग शिक्षा को मानवता का धर्म मानना चाहिए।”
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श्री योगेंद्र –
“योग को जन-जन की पहुंच प्रदान करना मेरे जीवन का उद्देश्य था।”
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पंडित टी.के.वी. देशिकाचार्य (कृष्णमाचार्य के शिष्य) –
“योगासन के मूल तत्व ‘स्थिरता’ और ‘सुख’ को जीवन भर अपनाना है।”
विशेषज्ञों की राय:
डॉ. हंसराज जोशी (योग विशेषज्ञ, पतंजलि):
“हर दिन 30 मिनट योग करने से मानसिक और शारीरिक रोग 70% तक घट सकते हैं।”
डॉ. इला सिंह (AIIMS, फिजियोथेरेपी विभाग):
“सिर्फ 20 मिनट प्राणायाम करने से हाई ब्लड प्रेशर और एंग्जायटी को नियंत्रित किया जा सकता है।”
डॉ. रमेश गुप्ता (न्यूरोलॉजिस्ट):
“ध्यान और शवासन न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर जैसे माइग्रेन और डिप्रेशन में कारगर है।”
बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी फायदेमंद:
बच्चों में योग से एकाग्रता और आत्म-नियंत्रण में सुधार होता है, वहीं बुजुर्गों के लिए यह जोड़ों के दर्द, सांस संबंधी रोगों और हृदय संबंधी समस्याओं में मदद करता है।
निष्कर्ष:
21 जून केवल एक तिथि नहीं, बल्कि एक चेतना है जो हमें यह याद दिलाती है कि जीवन को केवल दौड़ते नहीं, समझते और संतुलित करते हुए जीना चाहिए। हर दिन केवल 30 मिनट योग — यह छोटा सा निवेश आपके जीवन में स्वास्थ्य, आत्मिक संतुलन और आंतरिक ऊर्जा की क्रांति ला सकता है। तो इस योग दिवस से क्यों न अपने लिए यह वादा करें कि आप हर दिन अपने शरीर और आत्मा के लिए समय निकालेंगे?
