आज हर कोई परिवार घूमाना चाहता है. जब भी छुट्टी मिलती है तो अधिकांश लोग घूमने के लिए निकल जाते हैं. पर्यटन ही वो माध्यम है जिससे अलग- अलग कल्चर से लोगों को जुड़ने और जानने का मौका मिलता है। इसमें रेलवे की अहम् भूमिका होती है ।रेल प्रमुख पर्यटन स्थलों, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक केंद्रों को जोड़ रखा है. जिनमें वैशाली, बोधगया, राजगीर, पाटलिपुत्र, पटना, नालंदा, सीतामढ़ी तथा पारसनाथ आदि प्रमुख हैं ।
वैसे घुमने के लिए रेल एक सस्ता माध्यम है. जिसके द्वारा आप कई पर्यटक स्थलों पर आसानी से जा सकते है. यदि आप बिहार घुमने का शौक रखते हैं तो यहां भी कई ऐसे पर्यटन स्थल है जिसे रेल मार्ग से जोड़ा गया है.
कौन कौन से पर्यटन स्थल जो रेल से जुड़े हैं
वैशाली: विश्व के प्रथम गणराज्य और बौद्ध तीर्थस्थल के लिए सुप्रसिद्ध वैशाली एक अति प्राचीन शहर है और वर्तमान में बिहार राज्य का एक महत्वपूर्ण जिला है। वैशाली बौद्ध और जैन दोनों धर्मों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल हुआ है। पर्यटकों की आसान पहुंच के लिए राजधानी पटना से हाजीपुर होते हुए वैशाली को रेल नेटवर्क से जोड़ा गया है ।
बोधगया: बोधगया, कुशीनगर, लुंबिनी और सारनाथ बौद्ध धार्मावलंबियों के लिए चार सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थल हैं। बिहार राज्य के गया जिले में स्थित बोधगया बौद्धों के लिए महत्व रखता है, यहीं पर भगवान बुद्ध को महान पीपल (बोधि) वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इस पवित्र स्थान पर भव्य महाबोधि मंदिर है और इसके परिसर में भव्य बोधि वृक्ष हैं। पटना और कोलकाता सहित भारत के अन्य शहरों से ट्रेन द्वारा बोधगया पहुँचा जा सकता है। गया में विष्णुपद मंदिर है, जहां तीर्थयात्री पितृ पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों को पिंडदान करने के लिए एकत्र होते हैं।
राजगीर: बिहारशरीफ स्टेशन से लगभग 01 घंटे की दूरी पर स्थित राजगीर भारत में एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है और अपनी मनमोहक प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। स्थित है । भारत के कई स्थानों से राजगीर तक ट्रेन द्वारा पहुँचा जा सकता है।
पटना: जो कभी गौरवशाली और प्राचीन शहर पाटलिपुत्र था, आज गंगा के दक्षिणी तट पर स्थित बिहार की राजधानी पटना एक आधुनिक शहर । गंगा के उपजाऊ किनारों पर बसा पटना एक समृद्ध और प्राचीन विरासत रखता है। प्राचीन भारत में पाटलिपुत्र के नाम से प्रसिद्ध यह शहर दुनिया के सबसे पुराने बसे शहरों में से एक माना जाता है । गोलघर, पटना म्यूजियम, कुम्हरार, हर मंदिर तख्त जैसे कई पर्यटक और धार्मिक/सांस्कृतिक तौर पर महत्वपूर्ण स्थल हैं ।
पावापुरी: महत्वपूर्ण जैन तीर्थस्थल, जलमंदिर बिहार के पावापुरी में स्थित है। जलमंदिर को जैन भक्तों द्वारा अत्यधिक पूजनीय माना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह वह स्थान है जहाँ भगवान महावीर ने अंतिम सांस ली थी। इसे जैन संप्रदाय के इस अंतिम तीर्थंकर का अंतिम संस्कार स्थल माना जाता है ।
नालंदा: दुनिया के सबसे प्राचीन विश्वविद्यालयों में से एक का केंद्र, यह बोधगया से लगभग 62 किलोमीटर और पटेरिया से लगभग 90 किलोमीटर दक्षिण में है। प्रसिद्ध चीनी विद्वान ह्वेनसांग द्वारा अपने लेखन में विस्तृत वर्णन किया गया है । अपने लेखन में ह्वेनसांग ने नालंदा में प्रचलित उत्कृष्ट शैक्षिक प्रणाली और मठवासी जीवन की शुद्धता की प्रशंसा की। नालंदा में पटना, बोधगया और कोलकाता से रेल संपर्क सहित कई रेल संपर्क हैं ।
पारसनाथ: एक प्राचीन पर्वत शिखर है और पारसनाथ पर्वत श्रृंखला में स्थित है। यह भारत के झारखंड राज्य के गिरिडीह जिले (ब्रिटिश भारत में हजारीबाग जिला) में छोटानागपुर पठार के पूर्वी छोर पर स्थित है। इस पहाड़ी का नाम पार्श्वनाथ के नाम पर रखा गया है, जो 23वें जैन तीर्थंकर थे और जिन्हें यहीं मोक्ष प्राप्त हुआ था । लगभग 1365 मीटर की ऊँचाई पर स्थित पारसनाथ झारखंड राज्य का उच्चतम पर्वत शिखर है। पहाड़ी पर संगमरमर का जैन मंदिर है जिसे जल मंदिर के नाम से जाना जाता है। पारसनाथ रेलवे स्टेशन से आसानी से यहां पहुँचा जा सकता है ।
पटना साहिब: तख्त श्री पटना साहिब जिसे तख्त श्री हरिमन्दिर जी के नाम से भी जाना जाता है, एक गुरुद्वारा है । इसे सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी के जन्मस्थान की याद में बनाया गया था। पटना साहिब या तख्त श्री हरिमन्दिर जी साहिब का वर्तमान मंदिर काफी आकर्षक है । निकटतम रेलवे स्टेशन पटना साहिब है ।
बक्सर: बक्सर किला बिहार राज्य के बक्सर में स्थित एक किला है। इस किले की स्थापना राजा रुद्र देव ने की थी। यह शहर अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है ।
थानाविहपुर स्टेशन: थानाविहपुर स्टेशन से 3 किलोमीटर की दूरी पर प्रसिद्ध मांगन शाह की दरगाह है। साल में एक बार यहाँ उर्स का मेला लगता है। लगभग पूरे भारतवर्ष से लोग यहाँ चादर चढ़ाने के लिए आते हैं। वैशाली की चर्चित नगरवधू आम्रपाली ने इस मंदिर का जीर्णाेद्धार करवाया था, जो कि बछवारा-हाजीपुर रेल खण्ड में स्थित महनार गांव की रहने वाली थी।
सोनपुर: एशिया के सबसे बड़े पशु मेला के रूप में विख्यात हरिहर क्षेत्र मेला कार्त्तिक पूर्णिमा के समय प्रत्येक वर्ष सोनपुर में गंगा और गंडक के संगम पर आयोजित होता है। कार्त्तिक पूर्णिमा के दिन लाखों श्रद्धालु यहाँ पवित्र स्नान कर बाबा हरिहरनाथ के मंदिर में जल चढ़ाते हैं। रेलवे की ओर से भी एक बड़े परिसर रेल ग्राम में अपने सभी विभागों की गतिविधियों एवं उपलब्यिों को प्रदर्शित की जाती हैं।
दिघवारा: माँ अम्बिका भवानी मंदिर (आमी) दिघवारा रेलवे स्टेशन से पश्चिम की दिशा में लगभग 4 किमी की दूरी पर स्थित है। एन.एच.-19 के बगल में स्थित यह मंदिर माँ दुर्गा की शक्तिपीठों में से एक है। यहाँ पूजन दर्शन हेतु सालों भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। शारदीय नवरात्र एवं रामनवमी के अवसर पर यहाँ मेला लगती है जिसमें भारी भीड़ उमड़ती है।
