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June 19, 2025 6:34 pm

महाअष्टमी और नवमी को जरूर करें माता की पूजा….सकारात्मक ऊर्जा का होगा संचार

नवरात्रि का पर्व माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह पर्व शक्ति और भक्ति का प्रतीक है। नवरात्रि के आठवें और नौवें दिन को महाअष्टमी और महानवमी के नाम से जाना जाता है, जो इस पावन पर्व के सबसे महत्वपूर्ण दिन माने जाते हैं। इन दिनों में विशेष रूप से कन्या पूजन और हवन का आयोजन किया जाता है, जिससे मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।

महाअष्टमी पूजा विधि 

महाअष्टमी के दिन मां दुर्गा के आठवें रूप मां महागौरी की पूजा की जाती है। महागौरी शांति, सौंदर्य और पवित्रता की देवी मानी जाती हैं। इस दिन विशेष पूजा करने से मानसिक शांति और शारीरिक सुख प्राप्त होता है।

पूजा की विधि:

  1. प्रातःकाल स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
  3. गंगाजल या स्वच्छ जल से मां की प्रतिमा का अभिषेक करें।
  4. सिंदूर, अक्षत, फल, फूल और धूप-दीप से मां का पूजन करें।
  5. मां को सफेद वस्त्र और सफेद फूल अर्पित करें, क्योंकि यह महागौरी का प्रिय रंग है।
  6. दुर्गा सप्तशती या अष्टमी मंत्र का पाठ करें। “ॐ देवी महागौर्यै नमः” मंत्र का जाप करना विशेष लाभकारी माना जाता है।
  7. पूजा के बाद कन्या पूजन करें। कन्याएं मां दुर्गा का ही रूप मानी जाती हैं। उन्हें भोजन कराएं और उनके चरण छूकर आशीर्वाद लें।
  8. अंत में हवन करें और प्रसाद वितरण करें।

महानवमी पूजा विधि 

महानवमी के दिन मां दुर्गा के नौवें रूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं। इस दिन की पूजा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

पूजा की विधि:

  1. प्रातःकाल स्नान कर मां दुर्गा की प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाएं।
  2. मां की प्रतिमा पर गंगाजल, चंदन, और पुष्प अर्पित करें।
  3. मां सिद्धिदात्री को लाल वस्त्र अर्पित करें, क्योंकि यह उनका प्रिय रंग है।
  4. नवमी के विशेष मंत्र का उच्चारण करें – “ॐ सिद्धिदात्र्यै नमः”।
  5. दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
  6. इस दिन भी कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। कन्याओं का स्वागत करें, उन्हें भोजन कराएं और वस्त्र, फल आदि भेंट स्वरूप प्रदान करें।
  7. पूजा के बाद हवन करें और मां दुर्गा से अपने परिवार और समाज की खुशहाली की प्रार्थना करें।

कन्या पूजन का महत्व:

महाअष्टमी और महानवमी पर कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। 2 से 10 वर्ष की आयु की कन्याओं को मां दुर्गा का प्रतीक माना जाता है। इन्हें पूजने से सभी प्रकार के पाप समाप्त होते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। कन्याओं को अच्छे से आदरपूर्वक भोजन कराना और वस्त्र, बर्तन, चूड़ियां आदि देना पुण्यकारी माना जाता है।

महाअष्टमी और महानवमी नवरात्रि के अत्यंत महत्वपूर्ण दिन होते हैं। इन दिनों में विशेष पूजा-अर्चना, हवन और कन्या पूजन से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। शुभ मुहूर्त में श्रद्धा और भक्ति से की गई पूजा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

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