नींद न आना (अनिद्रा) और डिप्रेशन आजकल एक गंभीर समस्या बन गए हैं, खासकर युवा वर्ग में। इसका कारण जीवनशैली में बदलाव, तनाव, स्क्रीन टाइम का बढ़ना, और प्राकृतिक रोशनी के संपर्क में कमी हो सकता है। रोशनी चिकित्सा (Light Therapy) इन समस्याओं के इलाज में एक प्रभावी और वैज्ञानिक आधार पर सिद्ध विधि मानी जाती है।
1. रोशनी का नींद और डिप्रेशन पर प्रभाव
- जैविक घड़ी (Circadian Rhythm): हमारे शरीर की जैविक घड़ी दिन-रात के चक्र (24 घंटे) के अनुसार चलती है। यह घड़ी मुख्य रूप से सूरज की रोशनी के आधार पर नियंत्रित होती है। जब यह घड़ी गड़बड़ाती है, तो नींद और मूड पर असर पड़ता है।
- मेलाटोनिन का उत्पादन: अंधेरा होने पर मस्तिष्क में मेलाटोनिन नामक हार्मोन का उत्पादन बढ़ता है, जिससे नींद आती है। वहीं, सुबह की रोशनी मेलाटोनिन का स्तर कम करके जागने में मदद करती है।
- सेरोटोनिन का उत्पादन: रोशनी से मूड सुधारने वाला हार्मोन सेरोटोनिन सक्रिय होता है। यह डिप्रेशन को कम करने में मदद करता है।
2. लाइट थेरपी (Light Therapy) क्या है?
लाइट थेरपी एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है, जिसमें व्यक्ति को नियंत्रित और विशेष तीव्रता की कृत्रिम रोशनी के संपर्क में रखा जाता है। इसे मुख्यतः निम्नलिखित समस्याओं के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है:
- मौसमी डिप्रेशन (Seasonal Affective Disorder – SAD)
- अनिद्रा (Insomnia)
- सामान्य डिप्रेशन और चिंता (General Depression and Anxiety)
- सर्केडियन रिदम डिसऑर्डर (Circadian Rhythm Disorders)
इसमें उपयोग होने वाली रोशनी सामान्य बल्ब से अलग होती है। यह विशेष प्रकार की लाइट बॉक्स से आती है जिसमें 2,500 से 10,000 लक्स की तीव्रता होती है।
3. कैसे की जाती है लाइट थेरपी?
- व्यक्ति को सुबह के समय लगभग 20-30 मिनट के लिए लाइट बॉक्स के सामने बैठने की सलाह दी जाती है।
- लाइट बॉक्स को इस तरह रखा जाता है कि रोशनी आँखों के संपर्क में आए, लेकिन सीधे देखने की आवश्यकता नहीं होती।
- यह प्रक्रिया रोजाना की जाती है, खासकर सुबह के समय, क्योंकि यह जैविक घड़ी को रीसेट करने में मदद करता है।
4. वैज्ञानिक आधार
- मेलाटोनिन और सेरोटोनिन संतुलन: लाइट थेरपी मेलाटोनिन के उत्पादन को नियंत्रित करती है, जिससे नींद का पैटर्न बेहतर होता है। यह सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाकर मूड सुधारने में भी मदद करती है।
- ब्रेन वेव पैटर्न पर प्रभाव: अध्ययन बताते हैं कि रोशनी मस्तिष्क की अल्फा और बीटा वेव्स पर सकारात्मक प्रभाव डालती है, जो तनाव और चिंता को कम करती है।
- SAD पर प्रभाव: सर्दियों में सूर्य की रोशनी कम होने से SAD की समस्या बढ़ती है। लाइट थेरपी प्राकृतिक रोशनी की कमी को पूरा करके इस समस्या को हल करती है।
5. लाइट थेरपी का लाभ
- यह बिना दवाइयों के एक प्राकृतिक उपचार है।
- इसका कोई बड़ा साइड इफेक्ट नहीं होता, जब सही तरीके से किया जाए।
- यह प्रभावी और तेजी से परिणाम देने वाली तकनीक है।
6. सावधानियां
- इसे डॉक्टर की सलाह के बिना शुरू न करें, क्योंकि गलत उपयोग से आँखों में दिक्कत हो सकती है।
- यदि कोई आँखों की समस्या (जैसे रेटिना डैमेज) हो, तो विशेष ध्यान दें।
- शुरुआत में हल्की तीव्रता की रोशनी से शुरू करें और धीरे-धीरे समय और तीव्रता बढ़ाएं।
7. अन्य सहायक उपाय
- सुबह सूरज की प्राकृतिक रोशनी में समय बिताना।
- रात में स्क्रीन टाइम कम करना (मोबाइल, लैपटॉप)।
- नियमित व्यायाम और संतुलित आहार।
