Explore

Search

June 19, 2025 6:40 pm

मौनी अमावस्या कल, पितरों का तर्पण और दान करने से पितृदोष से मिलती है मुक्ति

मौनी अमावस्या हिंदू धर्म में एक पवित्र और महत्वपूर्ण तिथि है। यह माघ मास (जनवरी-फरवरी) की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। इस दिन का नाम “मौनी” इसलिए पड़ा क्योंकि लोग इस दिन मौन रहने का संकल्प लेते हैं। “मौन” का अर्थ है चुप रहना, और यह आत्म-अनुशासन, ध्यान, और आत्म-विश्लेषण का प्रतीक है। मौन रहकर मनुष्य आत्मा की गहराइयों में झांकने का प्रयास करता है। 2025 में मौनी अमावस्या 29 जनवरी को है।

कुंभ में स्नान का महत्व क्यों?

मौनी अमावस्या को गंगा, यमुना, और सरस्वती के संगम (प्रयागराज) में स्नान का विशेष महत्व है। जब कुंभ मेला आयोजित होता है, तब इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है। इसका कारण है:

  1. पवित्रता और मोक्ष की प्राप्ति:
    यह माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन संगम में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  2. ज्योतिषीय महत्व:
    इस दिन सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में होते हैं। ऐसा संयोग अत्यंत शुभ माना जाता है।
  3. आध्यात्मिक ऊर्जा:
    कुंभ के दौरान गंगा का जल अत्यधिक पवित्र माना जाता है, और इस दिन स्नान करने से शरीर और आत्मा शुद्ध होती है।

धार्मिक महत्व

  1. ध्यान और तप का दिन:
    यह दिन ध्यान और आत्म-विश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण है। ऋषि-मुनि इस दिन तप और साधना करते थे।
  2. दान का महत्व:
    मौनी अमावस्या पर दान देना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। लोग अन्न, वस्त्र, और धन का दान करते हैं।
  3. पौराणिक कथा:
    एक कथा के अनुसार, इसी दिन मनु महाराज ने सृष्टि की रचना का प्रारंभ किया था। इसलिए इसे “मन्वंतर” की शुरुआत का दिन भी माना जाता है।

 

इस दिन के विशेष अनुष्ठान

  1. स्नान:
    गंगा, यमुना, या किसी पवित्र नदी में स्नान करना।
  2. मौन व्रत:
    दिनभर मौन रहकर ध्यान और मन की शुद्धि करना।
  3. दान-पुण्य:
    गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना।
  4. सूर्य को अर्घ्य देना:
    सूर्यदेव की पूजा करना।

मौनी अमावस्या न केवल आध्यात्मिक शुद्धि का पर्व है, बल्कि यह आत्मा, मन, और शरीर को नई ऊर्जा प्रदान करने का दिन भी है।

Leave a Comment