भारत में महिलाओं का स्वास्थ्य और फिटनेस 35-40 की उम्र के बाद तेजी से प्रभावित होता है। इस उम्र में वजन बढ़ना, हार्मोनल बदलाव, थायरॉयड, डायबिटीज और हड्डियों से जुड़ी समस्याएं आम हो जाती हैं। वहीं, विदेशी महिलाएं इस उम्र में तुलनात्मक रूप से अधिक फिट रहती हैं। इसके पीछे कई सामाजिक, शारीरिक और जीवनशैली से जुड़े कारण हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है।
1. लाइफस्टाइल में अंतर
👉 भारतीय महिलाओं की लाइफस्टाइल
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शादी के बाद और बच्चों के जन्म के बाद महिलाएं खुद की फिटनेस पर कम ध्यान देती हैं।
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उनका दिनभर का समय घर के काम, बच्चों और परिवार की देखभाल में चला जाता है।
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नियमित रूप से एक्सरसाइज करने का समय और माहौल नहीं मिलता।
👉 विदेशी महिलाओं की लाइफस्टाइल
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वे खुद को प्राथमिकता देती हैं और फिटनेस को जीवनशैली का हिस्सा बनाती हैं।
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नियमित रूप से योग, जिम, रनिंग और अन्य फिटनेस एक्टिविटी में शामिल होती हैं।
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घर के कामों को अकेले नहीं करतीं, बल्कि हसबैंड और बच्चों से भी मदद लेती हैं।
2. डाइट और खानपान में अंतर
👉 भारतीय महिलाओं की डाइट
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ज्यादातर महिलाओं की डाइट में कार्बोहाइड्रेट (रोटी, चावल), तेल-मसालेदार भोजन और मीठा अधिक होता है।
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खाने में फाइबर, प्रोटीन और हेल्दी फैट की मात्रा कम होती है।
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फिजिकल एक्टिविटी कम होने के कारण कैलोरी ज्यादा स्टोर होती है और वजन बढ़ता है।
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बहुत सी महिलाएं दिनभर चाय और बिस्किट पर निर्भर रहती हैं, जो वजन बढ़ाने का कारण बनता है।
👉 विदेशी महिलाओं की डाइट
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उनकी डाइट में प्रोटीन, सलाद, हेल्दी फैट और लो-कार्ब फूड अधिक होता है।
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शुगर और जंक फूड से परहेज करती हैं।
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दिनभर में पानी और हेल्दी ड्रिंक्स (ग्रीन टी, डिटॉक्स वॉटर) ज्यादा लेती हैं।
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फास्ट फूड से ज्यादा होममेड बैलेंस्ड डाइट को महत्व देती हैं।
3. हार्मोनल बदलाव और हेल्थ अवेयरनेस
👉 भारतीय महिलाओं में हार्मोनल बदलाव और जागरूकता की कमी
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35-40 की उम्र के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन में गिरावट होती है, जिससे वजन तेजी से बढ़ता है।
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थायरॉयड, पीसीओडी, डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियां आम हो जाती हैं।
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बहुत सी महिलाएं समय पर डॉक्टर से सलाह नहीं लेतीं और हेल्थ चेकअप को नजरअंदाज करती हैं।
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फिजिकल एक्टिविटी की कमी के कारण मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे कैलोरी बर्न नहीं होती।
👉 विदेशी महिलाओं में जागरूकता
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वे समय-समय पर अपने हार्मोन और फिटनेस का टेस्ट करवाती हैं।
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मेडिकल चेकअप और हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए डॉक्टर से नियमित सलाह लेती हैं।
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योग, मेडिटेशन और फिजिकल एक्टिविटी को अपनी डेली रूटीन में शामिल करती हैं।
4. सोशल प्रेशर और मानसिक तनाव
👉 भारतीय महिलाओं में सामाजिक दबाव
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शादी के बाद महिलाओं से अपेक्षा की जाती है कि वे सिर्फ परिवार और बच्चों पर ध्यान दें।
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खुद के लिए समय निकालना “स्वार्थी” माना जाता है।
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कामकाजी महिलाओं को दोहरी जिम्मेदारी उठानी पड़ती है – घर और ऑफिस दोनों संभालना।
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स्ट्रेस और नींद की कमी के कारण वजन बढ़ता है और शरीर जल्दी थकने लगता है।
👉 विदेशी महिलाओं की सोच अलग होती है
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वे खुद को प्राथमिकता देती हैं और मेंटल हेल्थ पर भी ध्यान देती हैं।
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लाइफ को एंजॉय करती हैं और अपने शौक पूरे करने का समय निकालती हैं।
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उन्हें फैमिली और सोसाइटी से ज्यादा प्रेशर नहीं दिया जाता कि वे सिर्फ दूसरों की केयर करें।
5. एक्सरसाइज और फिटनेस का महत्व
👉 भारतीय महिलाओं में एक्सरसाइज की कमी
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बहुत सी महिलाएं घर के काम को ही एक्सरसाइज मान लेती हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं होता।
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शादी और बच्चों के बाद ज्यादातर महिलाएं फिजिकल एक्टिविटी करना बंद कर देती हैं।
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वॉकिंग, योगा, जिम या कोई स्पोर्ट्स एक्टिविटी करने की आदत नहीं होती।
👉 विदेशी महिलाओं की फिटनेस आदतें
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वे एक्सरसाइज को डेली रूटीन का हिस्सा बनाती हैं।
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कार्डियो, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और योगा को बैलेंस करके फिटनेस बनाए रखती हैं।
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मसल्स स्ट्रेंथ और फ्लेक्सिबिलिटी को बनाए रखने के लिए वर्कआउट करती हैं।
निष्कर्ष
भारतीय महिलाओं का 35-40 की उम्र के बाद वजन बढ़ने का कारण खराब लाइफस्टाइल, गलत खानपान, सामाजिक दबाव, एक्सरसाइज की कमी और हेल्थ अवेयरनेस की कमी है। वहीं, विदेशी महिलाएं खुद को प्राथमिकता देती हैं, हेल्दी डाइट फॉलो करती हैं और फिटनेस पर ध्यान देती हैं। अगर भारतीय महिलाएं नियमित एक्सरसाइज, संतुलित डाइट और हेल्थ चेकअप को अपनाएं, तो वे भी 40 के बाद फिट और स्वस्थ रह सकती हैं।
