झुनझुनी (Tingling/Paresthesia) महसूस होना तब होता है जब नसों में असामान्य सिग्नल पैदा होते हैं – जैसे कि सुइयां‑सुइयां चुभना, हाथ-पैरों का सुन्न हो जाना, जलन या झनझनाहट। यह आमतौर पर दबाव, रक्त‑संचार की कमी या तंत्रिका क्षति (नर्व डैमेज) से होता है
1. अस्थायी वजहें (Temporary Causes)
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लंबे समय तक एक ही पोज़ीशन में बैठना/खड़े रहना → नसों पर दबाव बढता है, और ब्लड सर्कुलेशन बाधित होता है
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अनुवांशिक नस दबाव (Compressed nerves) जैसे कार्पल‑टनल (कलाई) या टार्सल‑टनल (टखने) सिंड्रोम ।
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“Tech neck” – लंबा समय स्क्रीन देखते रहने से गर्दन और कंधों पर दबाव → हाथों में झुनझुनी की समस्या हो सकती है
2. चिकित्सीय/गंभीर कारण (Medical Conditions)
a) परिधीय न्यूरोपैथी (Peripheral Neuropathy)
विशेष रूप से हाथ‑पैरों की नसों को प्रभावित करती है; डायबिटीज सबसे आमल कारण है
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डायबिटिक न्यूरोपैथी: उच्च रक्त‑शर्करा नसों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे झनझनाहट, दर्द, सुन्नता होती है
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किडनी फेलियर, लीवर डिज़ऑर्डर: टॉक्सिक पदार्थों की जमा से नसों को नुक़सान होने लगता है
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ऑटोइम्यून बीमारियाँ जैसे ल्यूपस, रुमेटॉयड गठिया, और मल्टीपल स्क्लेरोसिस भी झुनझुनी का कारण बन सकती हैं
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थायरॉयड की कमी (Hypothyroidism) और ऑटोइम्यून स्थितियाँ भी योगदान देती हैं ।
b) विटामिन और पोषक तत्वों की कमी
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विटामिन B12 की कमी – नसों की गार्डिंग (myelin sheath) टूटने से झुनझुनी, सुन्नता होती है
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विटामिन ई, बी6, फोलेट, मैग्नीशियम, कैल्शियम की कमी – नसों के कार्य में रुकावट डालती है
c) अन्य कारण
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ड्रग्स या दवाइयाँ: कैंसर, HIV‑Ayट्रिप्टिक इलाज › अक्सर साइड‑इफेक्ट्स ।
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अत्यधिक शराब सेवन: अल्कोहॉलिक न्यूरोपैथी — नसों में जलन और झुनझुनी
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चोट, संक्रमण, टॉक्सिक एक्सपोज़र: चेपो या कीटनाशक → जलन, झनझुनी, दर्द ।
3. लक्षणों की गंभीरता – कब डॉक्टर से मिलें?
तुरंत सलाह लें यदि:
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अचानक सुन्नता/कमज़ोरी हो खासकर एक तरफ
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बोलने, संतुलन या दृष्टि में समस्या हो (stroke संकेत) ।
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निरंतर दर्द, जलन, रात में बढ़ जाएं ।
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पुरानी स्थिति → शारीरिक कार्य, चलने, आत्म‑देखभाल में बाधा हो।
4. डायग्नोसिस – डॉक्टर क्या देखते हैं?
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शारीरिक परीक्षा: रिफ्लेक्स टेस्ट, कम्प्रीशन / ट्यून्सिंग फोरक जांच ।
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ब्लड‑टेस्ट: ग्लूकोज़ (डायबिटीज़), थायरॉयड, विटामिन B12, कैल्शियम आदि।
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इलेक्ट्रोमायोग्राफ़ी (EMG) और Nerve Conduction Velocity (NCV) टेस्ट
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एम.आर.आई / अल्ट्रासाउंड – नसों पर दबाव की जांच ।
5. इलाज और उपाय
I. जीवनशैली सुधार (Lifestyle Changes)
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पोस्चर सुधार: कंप्यूटर/फ़ोन आंख‑स्तर पर रखें, समय‑समय पर मूव करें ।
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व्यायाम और स्ट्रेचिंग: गर्दन, कंधों की मांसपेशियों को स्ट्रेच करें; हर 20‑30 मिनट ब्रेक लें ।
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डायबिटीज़ कंट्रोल: संतुलित डायट, नियमित ब्लड‑शुगर जांच ।
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पैरों की देख‑रेख (पोड़ियाट्रिस्ट की सलाह) — विशेषकर डायबिटिक न्यूरोपैथी में ।
II. पोषक तत्व पूर्ति
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विटामिन B12:
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जानवर आधारित स्रोत: अंडा, मछली, चिकन, दूध, दही, फोर्टिफाइड सीरियल्स
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यदि कमी गंभीर हो तो सप्लिमेंट/इंजेक्शन।
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विटामिन E, B6, फोलेट, मैग्नीशियम – नट, बीज, पत्तेदार सब्जियाँ, साबुत अन्न, फलियां ।
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Electrolytes संतुलन – कैल्शियम, सोडियम, पोटैशियम से मांसपेशियों में ऐंठन और झनझुनी कम होती है
III. दवाइयाँ और चिकित्सा
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मेडिकल ट्रीटमेंट: ट्राईसायक्लिक antidepressants (Amitriptyline), SSRIs/SNRIs (Duloxetine), Gabapentinoids (Gabapentin), Capsaicin patches ।
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फिजियोथेरेपी: नसों की मरम्मत और गति में सुधार ।
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सर्जिकल उपाय: जब नसें किसी फिक्स्ड स्ट्रक्चर से दब रही हों (जैसे कार्पल‑टनल, टार्सल‑टनल) ।
हाथ-पैरों में झुनझुनी (tingling) को लेकर देश के पाँच प्रमुख भारतीय डॉक्टरों की राय क्या है ये भी जानते हैं.
1. डॉ. सौरव कुमार (न्यूरोलॉजिस्ट)
बिहार के जाने-माने न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सौरव कुमार कहते हैं:
“अधिक समय तक हाथ या पैर में झनझनाहट हो तो यह किसी बीमारी का संकेत हो सकता है, फौरन जांच कराएं।”
सलाह:
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यदि झुनझुनी लगातार बनी रहती है तो जल्द से जल्द न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श लें।
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समय रहते निदान से किसी गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्या से बचा जा सकता है।
2. डॉ. सचिन पवार (हेड, मेडिकल अफेयर्स – P&G Health)
नयी दिल्ली से, डॉ. सचिन पवार कहते हैं:
“परिफेरल न्यूरोपैथी… हाथ‑पैरों में झुनझुनी, सुन्नता और जलन पैदा करती है… लगभग 50% डायबिटिक वयस्कों को इसका सामना करना पड़ सकता है।”
सलाह:
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डायबिटीज़ रोगियों को झुनझुनी, झनझनाहट या जलन को गंभीरता से लेना चाहिए।
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नियमित स्क्रीनिंग से नर्व डैमेज को समय रहते पकड़ना संभव है।
3. डॉ. राहुल एम. राव (मंगलूरु, न्यूरोसाइक्रिस्ट)
Guinness World Records अभियान के माध्यम से चेतना फैलाने वाले डॉ. राव बताते हैं:
“चिरकालीन उच्च ब्लड शुगर या शराब के प्रभाव से नसों को नुकसान पहुंच सकता है… दर्द व नींद की समस्याएं हो सकती हैं… सही दवाइयों और जागरूकता से जीवन की गुणवत्ता बेहतर हो सकती है।”
सलाह:
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निदान और उपचार से मरीजों का जीवन स्तर बढ़ाया जा सकता है।
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खासकर दीर्घकालीन डायबिटिक या शराब सेवन करने वालों में जलन, दर्द और झुनझनाहट पर ध्यान दें।
4. डॉ. विजय विष्णुवत्सन (प्रमुख डायबेटोलॉजिस्ट, चेन्नई)
डायबिटीज और न्यूरोपैथी विशेषज्ञ डॉ. विष्णुवत्सन ने शोध प्रकाशित किए हैं (मुख्य रूप से Diabetic Foot Study Group के गठन से) जबकि उन्होंने सीधे झुनझुनी का जिक्र कम किया हो, उनके कार्य का फोकस न्यूरोपैथी, पैर स्वास्थ्य और नर्व डैमेज रहते हैं।
सलाह:
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डायबिटीज नियंत्रण से न केवल आंख, किडनी और दिल पर, बल्कि हाथ-पैरों की नसों पर भी असर कम होता है।
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डॉ. विष्णुवत्सन के अनुसंधान से पता चलता है: “No one should lose a leg to diabetes” – यानी न्यूरोपैथी रोकना अब सर्वोच्च प्राथमिकता।
5. डॉ. बिंदु मेनन (न्यूरोलॉजिस्ट, स्वास्थ्य जागरूकता प्रवर्तक)
डॉ. बिंदु मेनन, जो ग्रामीण क्षेत्रों में ‘Neurology-on-Wheels’ कार्यक्रम चलाती हैं, न्यूरोलॉजिकल विकार—including न्यूरोपैथी—पर जागरूकता बढ़ा रही हैं
सलाह:
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ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों में तंत्रिका संबंधी लक्षणों—झनझुनी, सुन्नता, कमजोरी—को पहचानने और जागरूकता फैलाने में यह पहल बहुत मददगार है।
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समय पर पहुंच और सलाह से मरीज गंभीरता से बच सकते हैं, यहां तक की सर्जरी की भी जरूरत नहीं पड़ती।
✅ तालिका: कब डॉक्टर को दिखाएँ?
लक्षण | संभावित कारण | सलाह |
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अचानक weakness + एक तरफ सुन्नता | Stroke | तुरंत ER जाएँ |
लगातार झनझुनी + दर्द | न्यूरोपैथी, दवाइयाँ इत्यादि | न्यूरोलॉजिस्ट से मिलें |
रात में बढ़े दर्द/जलन | डायबिटिक न्यूरोपैथी | ब्लड शुगर टेस्ट, पोड़ियाट्रिस्ट |
गर्दन या टखने की नसों में फिक्स्ड दर्द | टार्सल-टनल / कार्पल-टनल | सर्जिकल सलाह व EMG |
निष्कर्ष
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शुरुआत में आम झुनझुनी को अनदेखा किया जा सकता है, लेकिन बार-बार या पुरानी स्थिति में यह गंभीर बीमारी की तरफ संकेत हो सकती है।
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त्रिकोण – रक्त‑शर्करा नियंत्रण + पोषक तत्व संतुलन + सही मुद्रा/व्यायाम – समस्या के इलाज में महत्वपूर्ण है।
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समय पर डायग्नोसिस और इलाज से परेशानी नियंत्रित हो सकती है और जीवन की गुणवत्ता बेहतर रहती है।
