मोटापा आज के समय की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। बदलती जीवनशैली, गलत खान-पान की आदतें और शारीरिक श्रम की कमी ने इस समस्या को तेजी से बढ़ा दिया है। आयुर्वेद में मोटापे को मेद वृद्धि कहा गया है, यानी जब शरीर में वसा (Fat) की अधिकता हो जाती है और यह शरीर के अंगों की कार्यप्रणाली को प्रभावित करने लगती है। यह केवल दिखने भर की समस्या नहीं है बल्कि गंभीर रोगों का कारण भी बन सकती है।
मोटापा क्या है?
जब शरीर का भार व्यक्ति की आयु, लिंग और जाति के प्रमाणिक भार से 20% अधिक हो जाता है तो इसे मोटापा कहा जाता है। मोटापा केवल शरीर के बाहरी स्वरूप को ही प्रभावित नहीं करता बल्कि यह हृदय, यकृत, गुर्दा और अन्य अंगों पर भी अतिरिक्त दबाव डालता है। इसके कारण व्यक्ति जल्दी थकान, सांस फूलना, अधिक पसीना, नींद की अधिकता और आलस्य जैसी समस्याओं का शिकार हो जाता है।
मोटापा बढ़ने के मुख्य कारण
मोटापे के कई कारण हैं लेकिन इनमें सबसे बड़ा कारण है शारीरिक परिश्रम की कमी और असंतुलित खान-पान। आयुर्वेद के अनुसार कफवर्धक आहार, जैसे अधिक मीठे और चिकनाई युक्त पदार्थों का सेवन, दिन में सोने की आदत और निष्क्रिय जीवनशैली मोटापे को आमंत्रित करती है।
सबसे सामान्य कारणों में तीन प्रमुख कारण माने गए हैं। पहला है – अधिक खाना यानी Over Eating। जब हम अपनी आवश्यकता से ज्यादा भोजन कर लेते हैं तो अतिरिक्त ऊर्जा वसा के रूप में संचित होने लगती है और धीरे-धीरे शरीर का वजन बढ़ने लगता है। दूसरा है – आनुवांशिक प्रवृत्ति। अगर माता-पिता में मोटापा है तो बच्चों में भी मोटापा होने की संभावना अधिक होती है। तीसरा कारण है – अंतःस्रावी ग्रंथियों का असंतुलन, जैसे थायराइड की कमी या अन्य हार्मोनल समस्याएं।
मोटापे से होने वाले दुष्प्रभाव
मोटापा केवल वजन बढ़ने तक सीमित नहीं है बल्कि यह अनेक रोगों का आधार बन जाता है। अधिक वसा जमा होने से हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और रक्तचाप बढ़ने लगता है। कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड का स्तर भी बढ़ जाता है जिससे धमनियों में रुकावट और हृदयाघात का खतरा बढ़ता है।
मोटापे के कारण डायबिटीज, गठिया, पित्ताशय की पथरी, अस्थि-संधिशोथ, त्वचा रोग, फाइलेरिया, बवासीर और सांस की बीमारियां भी हो सकती हैं। मोटे व्यक्तियों को नींद अधिक आती है, थोड़ी सी मेहनत से ही सांस फूलने लगती है और गर्मी सहन नहीं हो पाती। लंबे समय तक मोटापा रहने से पल्मोनरी हाइपरटेन्शन और दायें हृदयपात का खतरा भी बढ़ जाता है। यही कारण है कि मोटे व्यक्तियों की आयु सामान्य व्यक्ति से कम पाई जाती है।
आयुर्वेद में मोटापे की समझ
आयुर्वेद के अनुसार मेद शरीर के अन्य धातुओं के पोषण का रास्ता रोक देती है। जब मेद बढ़ जाती है तो शरीर में आलस्य और थकान बढ़ जाती है। पेट बाहर निकल आता है और अंगों में अतिरिक्त चर्बी जमा हो जाती है। शरीर के भीतर वायु की गति भी प्रभावित होती है जिससे अग्नि असंतुलित हो जाती है और व्यक्ति को बार-बार भूख लगने लगती है। यही कारण है कि मोटा व्यक्ति बार-बार खाने की इच्छा करता है।
आयुर्वेद में कहा गया है कि मेद वृद्धि वाले व्यक्ति में पसीना अधिक आता है, उसमें दुर्गंध होती है और उसकी शक्ति घट जाती है। लंबे समय तक मोटापा रहने पर गंभीर रोग उत्पन्न हो सकते हैं।
मोटापे का उपचार और पथ्य
आयुर्वेद में मोटापे के लिए कई सरल और प्राकृतिक उपाय बताए गए हैं। सबसे पहला है – जीवनशैली में बदलाव। सुबह जल्दी उठकर टहलना, नियमित व्यायाम, योगासन और प्राणायाम करना मोटापे को कम करने का सबसे अच्छा उपाय है।
आहार में भी संतुलन आवश्यक है। पुराने चावल, जौ, कुल्थी, मसूर, मूंग, अरहर, चना, परवल, कच्चा केला, सफेद कुम्हड़ा और हरी सब्जियों का अधिक सेवन करना चाहिए। शहद, मट्ठा और गर्म पानी का सेवन लाभकारी है। त्रिफला गुग्गुल, लौह भस्म और शिलाजीत जैसी आयुर्वेदिक औषधियां भी मोटापा कम करने में सहायक होती हैं।
साथ ही भोजन से पहले पानी पीना, रात में जौ की रोटी और हल्का भोजन लेना, दिन में पैदल चलना और पसीना निकालने वाली गतिविधियां करना भी उपयोगी हैं।
किन चीजों से बचना चाहिए
आयुर्वेद में मोटापे के रोगियों को कुछ आहार-विहार से बचने की सलाह दी गई है। दूध, दही, मक्खन, घी, मांसाहार, मिठाई, तैलीय पदार्थ, केले और नारियल से दूरी रखनी चाहिए। दिन में सोना, आलस्य और अधिक आराम भी मोटापा बढ़ाते हैं। पेट भरकर भोजन करना और खाने के तुरंत बाद पानी पीना भी टालना चाहिए।
मोटापा कोई साधारण समस्या नहीं
मोटापा कोई साधारण समस्या नहीं है बल्कि यह अनेक गंभीर रोगों का कारण बन सकता है। आयुर्वेद हमें बताता है कि यदि हम अपने आहार-विहार को संतुलित रखें, नियमित व्यायाम और योग करें तो मोटापे को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। आज के समय में जब फास्ट फूड और निष्क्रिय जीवनशैली आम हो गई है, तब आयुर्वेदिक उपायों और प्राकृतिक जीवनशैली को अपनाना ही मोटापे से बचने का सबसे सुरक्षित और स्थायी तरीका है।