विज्ञान ने आज जीवन को आसान बनाने के लिए अनगिनत खोजें कर ली हैं। घर में बिजली है, जेब में मोबाइल है, हर गली में मेडिकल स्टोर खुल गए हैं और हर महीने हेल्थ चेकअप की लाइनें लंबी होती जा रही हैं। लेकिन सवाल यही है कि तरक्की के बावजूद बीमारियाँ क्यों बढ़ रही हैं? जवाब सीधा है कि बीमारी नहीं बढ़ी, बल्कि हमारे खाने की शुद्धता खत्म हो गई है। पहले लोग मिट्टी के बर्तन में पका हुआ शुद्ध अनाज, देसी घी और मटके का पानी पीते थे। आज हम रिफाइंड, केमिकल और प्रोसेस्ड खाने पर निर्भर हो गए हैं। यही बदलाव हमारी सेहत की जड़ को खोखला कर रहा है। अगर आप सिर्फ आठ चीजों में बदलाव कर लें तो छह महीने में अपने शरीर में अद्भुत सुधार देख सकते हैं।
नमक की सच्चाई
आजकल हम जिस सफेद आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल करते हैं, वह दिखने में तो आकर्षक होता है लेकिन शरीर के लिए हानिकारक साबित होता है। इसकी अधिक मात्रा ब्लड प्रेशर, हड्डियों की कमजोरी और थायरॉइड जैसी समस्याओं को जन्म देती है। पुराने जमाने में लोग घर का पीसा सेंधा नमक इस्तेमाल करते थे। सेंधा नमक खनिजों से भरपूर होता है और शरीर के इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित रखता है। अगर नमक बदल दिया जाए तो यह छोटी-सी चीज शरीर की कई बड़ी परेशानियों को रोक सकती है।
गुड़ का महत्व
गुड़ भारतीय आहार का अहम हिस्सा रहा है। असली गुड़ गहरे भूरे या चॉकलेटी रंग का होता है और इसमें आयरन, कैल्शियम और मिनरल्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। लेकिन बाजार में मिलने वाला सफेद या चमकदार गुड़ मिलावट का परिणाम होता है जिसमें रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा गुड़ शरीर के लिए जहर से कम नहीं। अगर आप रोज की शक्कर की जगह शुद्ध देसी गुड़ खाएंगे तो खून की कमी, पाचन की कमजोरी और रोग प्रतिरोधक क्षमता की दिक्कतें दूर होंगी।
तेल का सच
आज हर घर में रिफाइंड तेल का इस्तेमाल आम हो गया है। यह तेल दिखने में साफ और हल्का जरूर लगता है लेकिन इसमें सेहत के लिए जरूरी सभी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। यही तेल दिल की बीमारियों, मोटापा और मधुमेह जैसी समस्याओं की जड़ है। पुरानी परंपरा में घानी से निकला तेल, जैसे सरसों, तिल या मूंगफली का तेल, प्रयोग में लाया जाता था। इस तरह का तेल खून को शुद्ध करता है, पाचन को मजबूत करता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। तेल शुद्ध होगा तो खून भी शुद्ध रहेगा और खून शुद्ध होगा तो बीमारियों से दूरी बनी रहेगी।
असली घी की पहचान
आज बाजार में बिकने वाला घी अधिकतर मलाई से निकला बटर ऑयल होता है जिसे असली घी समझ लिया जाता है। जबकि असली घी वही है जो देसी गाय के दूध से दही जमाकर और मथकर निकाला जाता है। इस घी में ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन A प्रचुर मात्रा में होता है। यह शरीर की ताकत, मस्तिष्क की क्षमता और हड्डियों की मजबूती के लिए वरदान है। अगर घी बदल दिया जाए तो शरीर से जुड़ी कई समस्याएँ जड़ से खत्म हो सकती हैं।
दूध की शुद्धता
दूध को अमृत कहा गया है लेकिन यह तभी अमृत है जब यह देसी गाय का हो। आजकल बाजार में मिलने वाला दूध अधिकतर इंजेक्शन और रसायनयुक्त चारे पर पली गायों से आता है। ऐसा दूध पीने से शरीर को फायदा कम और नुकसान ज्यादा होता है। अगर देसी गाय का दूध न मिले तो बेहतर यही है कि दूध से दूरी बना ली जाए। शुद्ध दूध शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी के लिए उपयोगी है।
आटे की वास्तविकता
आजकल मैदा, ब्रेड, बिस्किट और नर्म सफेद आटे की रोटियाँ खाने का चलन बढ़ गया है। यह सब धीरे-धीरे शरीर में जहर की तरह काम करते हैं। मैदा पचने में भारी होता है और पेट की कई समस्याओं की जड़ है। इसके बजाय मोटा पिसा हुआ चोकर युक्त आटा अपनाइए। यह आटा न केवल पाचन को सही रखता है बल्कि कब्ज, डायबिटीज और मोटापे से भी बचाता है। जिस घर में गेहूं का आटा चोकर सहित इस्तेमाल होता है वहां बीमारियाँ अपने आप कम हो जाती हैं।
पानी की आदत
आजकल लोग फ्रिज का बर्फीला पानी पीते हैं जो पाचन तंत्र का सबसे बड़ा दुश्मन है। ठंडा पानी खाने को पचने नहीं देता और धीरे-धीरे पेट की गैस, एसिडिटी और मोटापे जैसी समस्याओं को जन्म देता है। पुरानी परंपरा में लोग मटके का पानी या हल्का गुनगुना पानी पीते थे। मटके का पानी न केवल ठंडक देता है बल्कि शरीर के दोषों को भी संतुलित करता है। पानी पीने की आदत बदलते ही शरीर की ऊर्जा और पाचन दोनों सुधर जाते हैं।
चीनी का सच
सफेद चीनी को मीठा जहर कहा जाता है। चीनी के निर्माण में सल्फर और अन्य रसायनों का इस्तेमाल होता है जो शरीर को धीरे-धीरे बीमार बनाते हैं। यही चीनी डायबिटीज, मोटापा और दिल की बीमारियों की मुख्य वजह है। अगर आप चीनी की जगह देसी पीली शक्कर या शुद्ध गुड़ का इस्तेमाल करेंगे तो मिठास भी बनी रहेगी और सेहत भी सुरक्षित रहेगी।
हमारा भोजन बदल गया
बीमारी बढ़ी नहीं है बल्कि हमारा भोजन बदल गया है। जिस भोजन से पहले शरीर को ताकत, ऊर्जा और लंबी उम्र मिलती थी, वही भोजन आज मिलावट और प्रोसेसिंग के कारण बीमारी का कारण बन गया है। अगर हम सिर्फ इन आठ चीजों – नमक, गुड़, तेल, घी, दूध, आटा, पानी और शक्कर – में सुधार कर लें तो छह महीने में ही हमारे शरीर में चमत्कारिक बदलाव देखे जा सकते हैं। गोली और अस्पताल की लाइन से बचना है तो शुद्ध भोजन की ओर लौटना ही सबसे बड़ा समाधान है। याद रखिए शरीर ही असली मंदिर है और शुद्ध आहार ही उसकी पूजा है।