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02/10/2025 8:36 pm

वायरल बुखार और टायफाइड- “अंजीर-मुनक्का-खूबकला” का रामबाण नुस्खा

वर्ष के तीन ऋतुओं ‒ सर्दी से गर्मी के संक्रमण, गर्मी से वर्षा आरंभ और वर्षा के बाद का समय ‒ में वायरल बुखार आम हो जाता है। छोटे बच्चों से लेकर बूढ़ों तक, जब मौसम बदलता है, प्रतिरक्षा प्रणाली थोड़ी कमजोर हो जाती है, और ताप-उच्चता, कमज़ोरी, पेट खराबी आदि होने लगती हैं। कई लोग समस्या बढ़ते ही डॉक्टर को दिखाते हैं जहाँ “टायफाइड” की आशंका लगती है। ऐसी स्थिति में दवाइयाँ बहुत जरूरी हैं, लेकिन शुरुआत में कुछ प्राकृतिक उपायों से सहायता मिल सकती है। यहाँ एक पुराना और प्रचलित नुस्खा है जिसमें “अंजीर, मुनक्का, बहुतकला (खूबकला)” शामिल है, जिसे लोग कहते हैं टायफाइड / वायरल बुखार में रामबाण है। इस लेख में हम इस नुस्खे की सामग्री क्या है, कैसे काम कर सकता है, किन स्थितियों में भरोसा किया जाए, और कौन-सी सावधानियाँ जरूरी हैं, इन सब पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

नुस्खा की सामग्री और पारंपरिक प्रयोग

अर्जी है कि इस नुस्खे की तीन मुख्य सामग्री हों: दो अंजीर, पाँच-छ: मुनक्का और चार-पांच ग्राम खूबकला। ये तीनों सामग्री बारीक कुट कर अच्छी तरह मिलाई जाती हैं और रोगी को खिला दी जाती हैं। अगर रोगी खाना न खा सकता हो, तो इन्हें उबालकर काढ़ा बनाकर पिला दिया जाता है। शुरुआत में सुबह-शाम तीन दिन इस मिश्रण को देने से “प्रारंभिक स्थिति” में सुधार नजर आने लगती है। यदि स्थिति गंभीर हो, तो इस का उपयोग पाँच-छह दिन तक किया जाता है। इस तरह से दावा है कि मरीज ठीक हो जाएगा, चाहे “टायफाइड” जैसा स्थिति बनी हो। खूबकला को अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे खाकसी, खाकसीर, बनारसी राई, हेज मस्टर्ड आदि।

विविध घटकों के संभावित गुण

अंजीर (Fig / Ficus carica):

अंजीर में विटामिन, खनिज, फाइबर और जैव सक्रिय यौगिक पाए जाते हैं। शोध बताते हैं कि अंजीर में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण हैं, जो प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत कर सकते हैं। अंजीर का प्रयोग पाचन में सहायक हो सकता है और गले व श्वसन संबंधी संक्रमणों में राहत प्रदान कर सकता है।

मुनक्का (Raisins):

मुनक्का में प्राकृतिक शर्कराएँ, फाइबर, पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट्स शामिल होते हैं। ये शरीर को ऊर्जा देते हैं, कमजोरी में सहायक होते हैं और पानी-सेवन की स्थिति में इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाने में मदद कर सकते हैं। मुनक्का के पॉलीफेनोल यौगिकों के लाभों पर कुछ अध्ययन हैं जो सूजन कम करने, इम्यूनिटी बढ़ाने और स्वास्थ्य समर्थन के लिए सहायक हो सकते हैं।

खूबकला (Khubkala / Hedge Mustard / Sisymbrium Irio):

खूबकला एक औषधीय पौधा है, गोभी परिवार से संबंधित, जिसका प्रयोग पारंपरिक आयुर्वेद व यूनानी आदि में खांसी, बुखार, दर्द, सूजन आदि में हुआ है। इसके बीजों और अन्य भागों में कुछ एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, और इसे कुछ स्थानों पर “बुखार घटाने वाला” तथा “प्रतिरक्षा बढ़ाने वाला” औषधीय घटक माना गया है।

कैसे प्रयोग किया जाए और सलाहें

सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि यह उपाय केवल शुरुआती लक्षणों, हल्के बुखार या तेजी से बढ़ने वाले симптомों के पहले हो। यदि बुखार लगातार अधिक हो, पेट दर्द, जी मिचलाना, उल्टी, दस्त, कमजोरी, भूख बहुत कम होना जैसे लक्षण हों, तो तुरंत डॉक्टर दिखाएँ।

नीचे एक प्रस्तावित तरीका है इस नुस्खे को इस्तेमाल करने का:

सामग्री तैयार करें: दो सूखे अंजीर अच्छी तरह धोकर, पाँच-छः मुनक्का और चार-पाँच ग्राम खूबकला। बहुतकला को यदि बीज हों, तो ठीक तरह से चुनें।

इन तीनों को अच्छी तरह कूट लें या पीस लें। ऐसा कि बीज अच्छी तरह चबाए जा सकें।

चबाकर खाने में समस्या हो तो हल्का उबाल कर पानी या दूध में मिश्रण बना कर देना चाहिए।

दिन में दो बार (सुबह-शाम) सेवन करें। शुरुआत में तीन दिन लगातार, यदि हालत सामान्य है। यदि रोगी की स्थिति गंभीर हो, पाँच-छ: दिन तक प्रयोग किया जा सकता है।

साथ में भरपूर पानी पीना चाहिए, आराम, हल्का आहार, पका हुआ साधारण भोजन जैसे खिचड़ी, सूप, दाल आदि समाज करना चाहिए।

सावधानियाँ

सुनिश्चित करें कि किसी भी सामग्री से एलर्जी न हो। कभी-कभी बहुतकला की प्रकृति “गरम” हो सकती है; बच्चों या गर्भवती महिलाओं में प्रयोग से पहले विशेष ध्यान दें।

यदि बुखार 38.5-39°C से ऊपर हो, या लगातार एक-दो दिन से ज़्यादा हो, तो चिकित्सकीय जाँच अनिवार्य है।

यदि रोगी उल्टी, डिहाइड्रेशन, पेट दर्द, दस्त हो रहा हो आदि लागें, तो प्राकृतिक उपाय पर्याप्त न हो, तुरंत पेशेवर चिकित्सा सहायता लें।

यह उपाय “टायफाइड की पूरी इलाज” नहीं है जब इन्फेक्शन गहरा हो गया हो; एंटीबायोटिक उपचार डॉक्टर की सलाह पर लेना चाहिए।

“अंजीर-मुनक्का-खूबकला”

“अंजीर-मुनक्का-खूबकला” का मिश्रण एक सरल एवं सुलभ घरेलू उपाय है जो शुरुआती वायरल जैसी स्थितियों में राहत दे सकता है, शरीर की प्रतिरक्षा को सहारा दे सकता है, और बुखार/कमज़ोरी को कम करने में सहायता कर सकता है। लेकिन इसे एक “सुपर इलाज” नहीं समझें कि डॉक्टर की ज़रूरी दवाएं और परीक्षण अनावश्यक हो जाएँ।यदि इस उपाय को संयम और समझदारी से अपनाएं, साथ ही ज़रूरी चिकित्सकीय देखभाल मिलती है, तो परिणाम बेहतर हो सकते हैं।

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