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02/10/2025 4:48 pm

शादी के बाद लड़कियां मोटी क्यों हो जाती हैं?

शादी जीवन का एक नया अध्याय है, जिसमें केवल जीवनसाथी ही नहीं बदलते — हमारी आदतें, दिनचर्या और प्राथमिकताएँ भी बदल जाती हैं। कई बार ऐसा देखा जाता है कि जब किसी लड़की की शादी हो जाती है, और कुछ समय बाद वह मिलने आती है, तो पहले की तुलना में अधिक वजन के साथ दिखाई देती है। यह केवल व्यक्तिगत दृष्टिकोण नहीं है — कई शोध और अनुभव यह बताते हैं कि यह एक सामान्य प्रवृत्ति है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इसे अनदेखा करना चाहिए। आइए विस्तार से जानें कि आखिर किन-किन कारणों से यह बदलाव होता है।

जीवनशैली में बदलाव — भोजन, समय और गतिविधि

शादी के बाद सबसे स्पष्ट बदलाव होता है — खान-पान की आदतों में परिवर्तन। पहले जब लड़की अकेली रहती है, वह अक्सर भोजन को नियंत्रित करती है — समय, मात्रा और किस्म पर ध्यान देती है। लेकिन शादी के बाद, पति, ससुराल, सामाजिक दायित्व, मेहमानों का आने जाना — ये सभी मिलकर भोजन की शैली को बदल देते हैं। बाहर खाना, मिठाइयाँ, ईवेंट्स में जंक फूड — ये सब अचानक बढ़ जाते हैं। हेल्‍थ विशेषज्ञ बताते हैं कि कई नवविवाहित जोड़ों में साझेदारी के कारण भोजन करना एक सामाजिक गतिविधि बन जाता है — वे साथ में खाना पसंद करते हैं, “डेट नाइट” के बहाने बाहरी भोजन बढ़ जाता है।

साथ ही, भोजन की मात्रा (portion size) और खाने की आवृत्ति बढ़ जाती है। पहले छोटी प्लेट, नियमित समय पर खाना, खाना बीच में न छोड़ना — ये आदतें शादी के पहले ज़्यादा पाई जाती हैं। बाद में, कभी देर रात स्नैक, रिक्शे–घूमने के दौरान फास्ट फूड आदि का समावेश बढ़ जाता है।

जब कैलोरी इनपुट बढ़े, लेकिन शरीर उस ऊर्जा को काटने के लिए गतिविधि नहीं बढ़ाता — तो वजन बढ़ना स्वाभाविक है।

शारीरिक गतिविधि और व्यायाम की कमी

शादी से पहले कई लड़कियां कॉलेज, जॉब, बाहर जाना‑आना, व्यायाम आदि गतिविधियों में व्यस्त रहती हैं। लेकिन शादी के बाद, घरेलू ज़िम्मेदारियाँ, सान्ध्य समय, नई व्यवस्था उन्हें व्यायाम के लिए समय नहीं देती। योगा, जिम या नियमित वॉक करना रूटीन से बाहर हो जाता है। इस तरह उपयोग की जाने वाली कैलोरी कम हो जाती है, जबकि कैलोरी इनटेक वैसा ही (या अधिक) रहता है।

इस कम सक्रियता का परिणाम है अधिक कैलोरी जमा होना, और चर्बी के रूप में शरीर में वृद्धि।

हार्मोनल परिवर्तन और “नेस्टिंग सिंड्रोम”

कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों और शोधों के अनुसार, शादी और स्थिर संबंध एक प्रकार के जैव-मनोरोगी परिवर्तन को प्रेरित कर सकते हैं, जिसे “nesting syndrome” कहा जाता है — जहां शरीर आत्मसुरक्षा और गर्भधारण की तैयारी की ओर जाता है। इस अवस्था में भूख बढ़ सकती है, और शरीर ऊर्जा संचित करने की प्रवृत्ति बढ़ा सकता है।

इसके अलावा, हार्मोनल असंतुलन — चाहे पीसीओएस (PCOS), थायराइड समस्या, गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग या मासिक धर्म चक्र में अनियमितता — ये सब मिलकर वजन बढ़ने की प्रवृत्ति को तेज कर सकते हैं। कई स्त्रियाँ शादी के बाद नियमित स्वास्थ्य जाँच नहीं करतीं, जिससे ये परिवर्तन अनदेखे रहते हैं और समय के साथ “मोटापा” बन जाता है।

मानसिक और भावनात्मक बदलाव — तनाव, आराम और खुद की अनदेखी

शादी से पहले एक लड़की अक्सर कई गतिविधियों, दबावों और जीवंतता में उलझी होती है। शादी के बाद, अक्सर एक मानसिक “कॉफ़” मोड आ जाता है — जहाँ दिनचर्या स्थिर होती है, तनाव ज़िम्मेदारियाँ बढ़ जाती हैं, और महिला खुद पर ध्यान देना भूल जाती है।

तनाव (stress) एक बड़ा कारण है — तनाव अधिक होने पर कोर्टिसोल (cortisol) नामक हार्मोन बढ़ता है, जो पेट के आसपास वसा जमा करने को बढ़ावा देता है। इसके अलावा, तनाव से अक्सर आरामदायक या “कॉम्फर्ट फूड्स” की ओर झुकाव बढ़ जाता है — नमकीन, मीठा, तली-भुनी चीजें — जिससे कैलोरी सेवन बढ़ता है।

इसके विपरीत, शादी के बाद सुरक्षा की भावना मिलना, सामाजिक स्वीकार्यता, “अब मुझे दूसरों की राय की चिंता कम करनी है” जैसी मानसिक शिथिलता पैदा कर सकती है — इस वजह से लोग अपने शरीर पर पहले जैसी निगरानी न रखें।

नींद की कमी और अनियमित जीवन

शादी के बाद घर व्यवस्था, नए रिश्ते, संवारने की ज़रूरतें और ज़िम्मेदारियों के कारण अक्सर नींद पूरी न हो पाती। अनियमित सोने‑उठने का समय, देर रात का खाना, मोबाइल/टीवी स्क्रीन के संपर्क में अधिक समय — ये सभी नींद की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं।

जब नींद कम होती है, शरीर में घ्रेलिन और लेप्टिन जैसे भूख-नियंत्रक हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं — जिससे भूख बढ़ती है और शरीर कम कैलोरी खर्च करता है। इस तरह धीरे-धीरे अतिरिक्त वजन जमा हो जाता है।

प्रसव (गर्भावस्था) या गर्भनिरोधक उपाय

कई महिलाएं शादी के कुछ समय बाद बच्चों की योजना बनाती हैं। गर्भावस्था के दौरान शरीर में बढ़े हुए वजन, बढ़ी हुई चर्बी जमा, पानी का रिटेंशन और शिशु‑पोषण आदि के कारण वजन बढ़ना स्वाभाविक है। कई बार जन्म के बाद वह वजन पूरी तरह वापस नहीं लौट पाता।

इसके अलावा, कुछ गर्भनिरोधक गोलियाँ या हार्मोनल कंट्रोल विकल्प वजन बढ़ने का एक संभावित पक्ष प्रभाव हो सकते हैं। यह हर महिला में नहीं होता, लेकिन यह एक कारक हो सकता है।

आयु और मेटाबॉलिज्म में गिरावट

अक्सर शादी की उम्र (लगभग 25–30 वर्ष) से भी अधिक होती है। इस आयु सीमा के बाद, मेटाबॉलिज्म यानी ऊर्जा रक्षा (basal metabolic rate) धीरे-धीरे कम होने लगती है। पहले जो कैलोरी आप जला सकती थीं, अब वह कम होती है। यदि नया कैलोरी सेवन पुराने जैसा ही हो तो वजन बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है।

इसका मतलब है कि रोजमर्रा की दवाई, गतिविधियों की मात्रा और भोजन की मात्रा — तीनों में समायोजन की आवश्यकता होती है।

शादी के बाद भी स्वस्थ और संतुलित रहने की राह

समस्या को जानने के बाद, अब महत्वपूर्ण है चुनौती से निपटना। निम्न उपाय आपकी मदद कर सकते हैं:

  • स्मार्ट भोजन योजना (diet planning): बड़ी प्लेट, जंक फूड और अनियंत्रित स्नैक्स से बचें। सब्जियाँ, फल, दालें, हल्की प्रोटीन, साबुत अनाज आदि को प्राथमिकता दें।

  • नियमित हल्की-फुल्की गतिविधि: हर दिन कम-से-कम 30 मिनट की पैदल चलना, हल्का व्यायाम, योग या घर के कामों में सक्रिय रहना।

  • नींद का ध्यान रखें: रोज़ाना 7–8 घंटे की अच्छी नींद लेने की कोशिश करें, और सोने-उठने का समय नियमित रखें।

  • तनाव प्रबंधन: ध्‍यान (meditation), गहरी साँस, हॉबीज़, संवाद और सकारात्मक सोच — ये तमाम उपाय तनाव कम कर सकते हैं।

  • स्वास्थ्य जांच: थायराइड, हार्मोनल टेस्ट, PCOS जैसी स्थिति की जाँच करें और यदि आवश्यक हो, विशेषज्ञों की सलाह लें।

  • जोड़ों की साझेदारी: पति/साथी को अपनी फिटनेस लक्ष्य में शामिल करें — साथ में वॉक करें, हेल्दी खाना चुनें।

  • लक्षणों पर नजर: यदि वजन तेजी से बढ़ रहा है, खून‑रक्त परीक्षा बदलाव दिखा रही है या स्वास्थ्य संबंधी अन्य लक्षण हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

निष्कर्ष

शादी के बाद लड़कियों का मोटा दिखना एक सामान्य बदलाव हो सकता है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम इन जीवनशैली, हार्मोनल एवं मानसिक बदलावों का सामना कैसे करें। यदि जागरूकता के साथ सही कदम उठाएं — संतुलित आहार, नियमित गतिविधि, पर्याप्त नींद और मानसिक संतुलन — तो विवाह जीवन भी सक्रिय, स्वस्थ और संतुलित हो सकता है।

इसके अलावा, यह समझना ज़रूरी है कि “मोटी होना” केवल एक दिखावट नहीं, बल्कि स्वास्थ्य संकेत भी हो सकता है। इसलिए यदि वजन बढ़ने के साथ थकान, अनियमित मासिक धर्म, बाल झड़ना या अन्य समस्याएँ हों, तो चिकित्सा राय लेना उचित है।

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