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16/12/2025 3:32 pm

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डेंगू बुखार के लक्षण, कारण, आयुर्वेदिक उपचार और बचाव के उपाय

डेंगू एक वायरल संक्रमण है जो Aedes aegypti नामक मच्छर के काटने से फैलता है। यह मच्छर दिन के समय काटता है और साफ पानी में पनपता है। डेंगू वायरस खून में प्रवेश कर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है। इससे प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से घटने लगती है, जो रक्तस्राव रोकने के लिए आवश्यक होती हैं। डेंगू के मामलों में चौथे या पांचवें दिन बुखार कम हो जाने पर भी प्लेटलेट्स गिर सकते हैं, इसलिए सतर्क रहना जरूरी है।

डेंगू में प्लेटलेट्स कैसे और क्यों गिरते हैं

एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में सामान्यतः डेढ़ से दो लाख प्लेटलेट्स होते हैं। डेंगू संक्रमण में 24 घंटे के भीतर ये प्लेटलेट्स 50 हजार तक भी गिर सकते हैं। अगर प्लेटलेट्स की संख्या 20 हजार या उससे नीचे पहुंच जाए तो यह गंभीर स्थिति होती है और तत्काल अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए।
अक्सर डेंगू में मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं होती, लेकिन जब शरीर में खून बहने लगे या प्लेटलेट्स 20,000 से कम हो जाएं, तभी प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन जरूरी होता है।

डेंगू फैलने के कारण और रोकथाम के उपाय

डेंगू के फैलने का मुख्य कारण मच्छरों का प्रजनन है। इसलिए स्वच्छता और मच्छरों से बचाव सबसे जरूरी है।
घर में खुले बर्तनों, पुराने टायर, टूटे बर्तनों या कूलर में जमा पानी को हर दो-तीन दिन में बदलें। पक्षियों के पानी के बर्तन रोज साफ करें और टैंक या हौदियों में क्लोरीन की गोलियां डालें।
बरसात के दिनों में घर के आसपास पानी जमा न होने दें। साफ-सफाई और पानी की निकासी पर ध्यान देना डेंगू से बचाव का सबसे प्रभावी उपाय है।

डेंगू के प्रमुख लक्षण और पहचान

डेंगू के लक्षण आम बुखार से अलग होते हैं। इसमें तेज बुखार के साथ शरीर पर लाल दाने निकल आते हैं, सिरदर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी, उल्टी और चक्कर आना सामान्य लक्षण हैं।
गंभीर स्थिति में डेंगू हेमोरेजिक फीवर (DHF) या डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS) विकसित हो सकता है, जिसमें नाक, मसूड़ों, उल्टी या मल के जरिए खून निकल सकता है।
कई बार बुखार उतर जाने के बाद भी प्लेटलेट्स कम होते रहते हैं, जिससे स्थिति और खतरनाक बन सकती है। इसलिए हर 24 घंटे में प्लेटलेट्स की जांच जरूरी है।

डेंगू के आयुर्वेदिक और घरेलू उपचार

आयुर्वेद में डेंगू के इलाज के लिए कई प्राकृतिक उपाय बताए गए हैं जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या को सामान्य करते हैं।

धनिया पत्ती (Coriander Leaves)

डेंगू में धनिया पत्ती का रस प्राकृतिक टॉनिक की तरह काम करता है। यह शरीर का तापमान नियंत्रित रखता है और बुखार को कम करता है। इसे दिन में दो बार पानी में मिलाकर पिया जा सकता है।

आंवला (Indian Gooseberry)

आंवला में विटामिन-सी प्रचुर मात्रा में होता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और खून में लौह तत्व के अवशोषण में मदद करता है। रोज एक आंवला खाने या इसके रस का सेवन करने से शरीर में ऊर्जा बढ़ती है।

तुलसी (Holy Basil)

तुलसी के पत्ते डेंगू में बहुत असरदार हैं। इन्हें उबालकर तैयार की गई तुलसी की चाय दिन में 3-4 बार लेने से बुखार, गले की खराश और शरीर दर्द में राहत मिलती है।

पपीते की पत्तियां (Papaya Leaves)

डेंगू में पपीते की पत्तियों का रस सबसे प्रभावी उपाय माना जाता है। इसमें मौजूद पपेन एंजाइम शरीर में प्रोटीन के पाचन में मदद करता है और प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से बढ़ाता है।
दो ताजे पत्तों का रस निकालकर दिन में दो बार एक-एक चम्मच पिलाने से प्लेटलेट्स में सुधार होता है।

बकरी का दूध (Goat Milk)

बकरी का दूध डेंगू में बेहद फायदेमंद होता है। इसमें सेलेनियम तत्व पाया जाता है जो प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने में सहायक है।
थोड़ी-थोड़ी मात्रा में इसका सेवन करने से डेंगू के दर्द, थकान और कमजोरी में राहत मिलती है।

चिरायता और मेथी के पत्ते (Chirayata and Fenugreek Leaves)

चिरायता में बुखार कम करने और शरीर से विषैले तत्व निकालने की क्षमता होती है। वहीं मेथी के पत्ते शरीर का तापमान कम करने के साथ-साथ इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं।
मेथी के पत्तों की चाय या काढ़ा बनाकर सेवन करने से डेंगू के लक्षणों में तेजी से सुधार होता है।

अनार, काले अंगूर और संतरे का जूस

डेंगू के दौरान शरीर में खून की कमी और कमजोरी को पूरा करने के लिए अनार और काले अंगूर का रस अत्यंत लाभकारी है।
वहीं संतरे का जूस विटामिन-सी से भरपूर होता है, जो शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाता है और जल्दी रिकवरी में मदद करता है।

बच्चों में डेंगू से बचाव और देखभाल

बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, इसलिए डेंगू का खतरा उन पर अधिक होता है।
बच्चों को मच्छरदानी में सुलाएं, बाहर निकलते समय पूरे कपड़े पहनाएं, और रात में मच्छर भगाने की क्रीम लगाएं।
अगर बच्चे को तेज बुखार, उल्टी, या शरीर पर लाल दाने दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
बच्चों में प्लेटलेट्स बहुत तेजी से गिरते हैं, इसलिए उन्हें अस्पताल में रखकर इलाज कराना जरूरी है।

डेंगू में जरूरी चिकित्सकीय सावधानियां

मरीज को पूर्ण विश्राम देना चाहिए और बार-बार पानी, नारियल पानी, नींबू पानी, छाछ जैसी तरल चीजें पिलानी चाहिए।
हर 6 घंटे में पैरासिटामोल दी जा सकती है, लेकिन एस्पिरिन या ब्रूफेन जैसी दवाएं कभी न दें।
रक्तचाप की नियमित जांच करें। अगर ऊपर और नीचे के रक्तचाप में 20 डिग्री से कम का अंतर दिखे तो स्थिति गंभीर हो सकती है।

 जागरूकता ही बचाव है

डेंगू एक गंभीर लेकिन रोकी जा सकने वाली बीमारी है। आयुर्वेदिक उपचार और स्वच्छता की आदतें अपनाकर इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। पपीते की पत्तियां, तुलसी, धनिया और बकरी का दूध जैसे देसी नुस्खे डेंगू से लड़ने में प्राकृतिक रक्षा कवच का काम करते हैं।
समय पर पहचान, संतुलित आहार और नियमित प्लेटलेट्स जांच से मरीज को गंभीर स्थिति से बचाया जा सकता है। याद रखें, डेंगू से बचाव इलाज से बेहतर है।

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