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16/12/2025 3:30 pm

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सहजन (मुनगा) के अद्भुत फायदे -300 से अधिक रोगों में असरदार

सहजन, जिसे मुनगा, सेंजन, या सुजना भी कहा जाता है, एक ऐसा पेड़ है जिसकी हर भाग औषधि के रूप में उपयोगी है।
इसका वैज्ञानिक नाम Moringa oleifera है। आयुर्वेद में इसे “शिग्रु” कहा गया है और इसे 300 से अधिक रोगों में उपयोगी बताया गया है।
सहजन के पौधे की जड़, छाल, पत्ते, फली, फूल और गोंद — सब में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो शरीर की प्रतिरक्षा बढ़ाते हैं और अनेक रोगों को दूर करते हैं।
विज्ञान भी मानता है कि सहजन एक “सुपरफूड” है जिसमें कई गुना अधिक पोषक तत्व पाए जाते हैं।

पोषण का पावरहाउस — सहजन में कौन-कौन से तत्व हैं

सहजन को “न्यूट्रिशनल ट्रेजर” कहा जाता है क्योंकि इसमें कई आवश्यक पोषक तत्व सामान्य खाद्य पदार्थों से कहीं अधिक मात्रा में पाए जाते हैं।

  • विटामिन C — संतरे से 7 गुना ज़्यादा

  • विटामिन A — गाजर से 4 गुना अधिक

  • कैल्शियम — दूध से 4 गुना अधिक

  • पोटेशियम — केले से 3 गुना ज़्यादा

  • प्रोटीन — दही से 3 गुना अधिक
    इसके अलावा इसमें आयरन, मैग्नीशियम, जिंक, बी-कॉम्प्लेक्स, फोलिक एसिड और एंटीऑक्सीडेंट्स की भरपूर मात्रा होती है, जो शरीर को ऊर्जा और रोग-प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करते हैं।

दिल और रक्तचाप के लिए लाभकारी

सहजन का नियमित सेवन ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखता है और हृदय को स्वस्थ बनाए रखता है।
इसमें मौजूद ओलिक एसिड और पॉलीफेनॉल्स रक्त वाहिकाओं को लचीला रखते हैं, जिससे रक्त प्रवाह सुचारु होता है।
यह खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को घटाकर अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ाता है, जिससे हृदय रोगों का खतरा कम होता है।
सुबह खाली पेट सहजन का रस या फली की सब्जी खाने से हाई BP और मोटापे पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

जोड़ों और हड्डियों के दर्द में सहजन का महत्व

सहजन में पाए जाने वाले कैल्शियम, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस हड्डियों को मजबूत बनाते हैं।
यह गठिया, साइटिका और जोड़ों के दर्द में बहुत लाभकारी माना गया है।
इसकी पत्तियों या जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से सूजन और दर्द में तेजी से राहत मिलती है।
मोच या चोट लगने पर सहजन की पत्तियों को सरसों तेल में पकाकर लगाने से सूजन तुरंत घटती है।
इसी कारण आयुर्वेद में इसे “वात-नाशक औषधि” कहा गया है।

पाचन और लीवर के लिए औषधि

सहजन की फली और पत्तियाँ पाचन तंत्र को संतुलित करती हैं।
यह गैस, कब्ज और एसिडिटी जैसी समस्याओं को दूर करती हैं।
इसकी छाल का काढ़ा लीवर को डिटॉक्स करता है और पित्त विकारों में मददगार है।
पथरी के मरीजों के लिए भी यह फायदेमंद है — सहजन की जड़ का काढ़ा सेंधा नमक और हींग के साथ पीने से पित्ताशय की पथरी में राहत मिलती है।
यह शरीर में जमा हुए विषाक्त तत्वों को बाहर निकालकर किडनी और लिवर को स्वस्थ रखता है।

सहजन के फूल और पत्तियाँ — महिलाओं के लिए वरदान

सहजन का फूल और पत्तियाँ महिलाओं के हार्मोन संतुलन में सहायता करती हैं।
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसकी पत्तियों का रस देने से डिलीवरी में आसानी होती है और दूध की मात्रा बढ़ती है।
सहजन में आयरन और फोलेट प्रचुर मात्रा में होते हैं, जिससे एनीमिया की समस्या दूर होती है।
इसका जूस गर्भवती महिलाओं को कमजोरी से बचाता है और प्रसवोत्तर थकान में राहत देता है।

रोग-प्रतिरोधक शक्ति और संक्रमण से सुरक्षा

सहजन का सेवन शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाता है।
इसमें मौजूद विटामिन C, बीटा-कैरोटीन और जिंक फ्री-रेडिकल्स को खत्म करते हैं और संक्रमण से रक्षा करते हैं।
चेचक, सर्दी-जुकाम, और वायरल संक्रमण के दौरान इसका सेवन शरीर को जल्दी ठीक होने में मदद करता है।
नाक-कान बंद या जकड़न होने पर सहजन के पानी की भाप लेने से राहत मिलती है।
इसके बीजों में बैक्टीरिया-रोधी गुण होते हैं जो पानी को शुद्ध करने में भी इस्तेमाल किए जाते हैं।

रक्त की शुद्धि और त्वचा की चमक

सहजन का सूप या रस पीने से खून शुद्ध होता है और त्वचा साफ-सुथरी बनती है।
इसमें मौजूद विटामिन A और एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा को झुर्रियों से बचाते हैं और उम्र बढ़ने के प्रभाव को कम करते हैं।
सहजन का नियमित सेवन चेहरे की चमक बढ़ाने के साथ-साथ आंखों की रोशनी को भी तेज करता है।
यह “नेचुरल ब्यूटी टॉनिक” की तरह काम करता है जो शरीर और त्वचा दोनों को अंदर-बाहर से तरोताजा रखता है।

सहजन का काढ़ा — अनेक रोगों में लाभकारी

सहजन की जड़, अजवाइन, हींग और सौंठ मिलाकर बनाया गया काढ़ा
कैंसर की गांठ, साइटिका, लकवा, जोड़ों के दर्द, सूजन और दमा में लाभ देता है।
इसका गोंद शहद के साथ लेने से दमा में राहत मिलती है।
सहजन की जड़ का काढ़ा मिर्गी और तंत्रिका संबंधी विकारों में भी लाभकारी पाया गया है।

बाहरी उपयोग — घाव, सूजन और दर्द में राहत

सहजन की पत्तियों का लेप लगाने से घाव, फोड़े-फुंसियों और सूजन में तेजी से सुधार होता है।
इसकी छाल और पत्तियों के रस से मालिश करने पर दर्द और अकड़न कम होती है।
दांतों के दर्द में सहजन की छाल का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से राहत मिलती है और दांतों के कीड़े नष्ट होते हैं।

पानी शुद्ध करने में सहजन का अद्भुत प्रयोग

सहजन के बीजों का उपयोग नेचुरल वॉटर प्यूरीफायर के रूप में किया जाता है।
बीजों को पीसकर पानी में डालने से यह बैक्टीरिया और गंदगी को अवशोषित कर लेता है, जिससे पानी पीने योग्य बन जाता है।
यह तरीका ग्रामीण और पर्यावरण-हितैषी जल शुद्धिकरण के रूप में लोकप्रिय हो रहा है।

सहजन: हर घर का हर्बल खज़ाना

सहजन वास्तव में एक ऐसा पौधा है जो जड़ से लेकर फल तक स्वास्थ्य के लिए अमृत समान है।
यह शरीर में पोषण, रोग-प्रतिरोध, पाचन, हड्डियों की मजबूती और हार्मोन संतुलन — हर स्तर पर लाभ पहुँचाता है।
चाहे सब्जी के रूप में, रस या काढ़े के रूप में, इसका नियमित सेवन शरीर को अनेक रोगों से दूर रखता है।
आयुर्वेद ने सहजन को “शिग्रु — जो तुरंत असर करे” कहा है, और इसका यही गुण इसे आज के युग में भी सबसे प्रभावशाली प्राकृतिक औषधि बनाता है।

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