आयुर्वेद में च्यवनप्राश को “रसायन” वर्ग की सर्वोच्च औषधियों में रखा गया है। यह केवल एक स्वास्थ्य-वर्धक टॉनिक नहीं बल्कि शरीर, मन और आत्मा को एकसाथ पोषित करने वाला अमृत माना जाता है। च्यवन ऋषि ने अत्यंत वृद्धावस्था में इसी औषधि का सेवन करके अपनी खो चुकी युवावस्था, शक्ति और स्मरणशक्ति वापस पाई थी। इसी घटना के कारण इसे “च्यवन-प्राश” नाम मिला—अर्थात च्यवन ऋषि का प्राश (अमृत)।
आधुनिक विज्ञान भी च्यवनप्राश में मौजूद आंवला, अश्वगंधा, शतावरी, गिलोय जैसी शक्तिशाली औषधियों के एंटीऑक्सिडेंट, इम्यून-बूस्टर और एंटी-एजिंग गुणों को स्वीकार कर चुका है।
रोग-प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने में च्यवनप्राश का अद्भुत प्रभाव
सर्दियों में रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और शरीर तेजी से संक्रमण पकड़ने लगता है। च्यवनप्राश रोजाना लेने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और सर्दी-जुकाम, इन्फेक्शन, खांसी, वायरल और कमजोरी में उल्लेखनीय कमी आती है।
आंवला, गिलोय, काली मिर्च और देसी घी मिलकर शरीर की प्रतिकार शक्ति बढ़ाते हैं। यह बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर किसी के लिए फायदेमंद है।
मस्तिष्क के लिए उत्तम टॉनिक
ब्रह्मी, शंखपुष्पी और शतावरी जैसे मस्तिष्क-उत्तेजक तत्व च्यवनप्राश को एक शक्तिशाली ब्रेन टॉनिक बनाते हैं।
यह दिमाग की कोशिकाओं को पोषण देता है, स्मरणशक्ति बढ़ाता है और एकाग्रता में सुधार करता है।
परीक्षा देने वाले विद्यार्थी, ऑफिस में मानसिक तनाव झेलने वाले कर्मचारी और बुजुर्ग—सभी को इससे मानसिक लाभ मिलता है।
हृदय और फेफड़ों के स्वास्थ्य को सुदृढ़ करना
च्यवनप्राश में आंवला हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करता है, जबकि गिलोय और पिप्पली फेफड़ों की क्षमता बढ़ाते हैं।
यह सांस की तकलीफ, दमा, कफ जमना और बार-बार होने वाले छाती के संक्रमण को रोकने में बेहद सहायक है।
फेफड़ों को साफ रखकर ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता बढ़ाता है, जिससे शरीर में ऊर्जा बनी रहती है।
त्वचा और बालों में प्राकृतिक चमक लाना
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर च्यवनप्राश शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और अंदरूनी शोधन (Detox) करता है।
इससे त्वचा ग्लो करती है, झुर्रियाँ कम होती हैं और बाल घने तथा मजबूत बनते हैं।
आंवले का विटामिन C त्वचा को जवान बनाए रखने में अत्यंत कारगर है।
यौन शक्ति और प्रजनन क्षमता बढ़ाने में अत्यंत उपयोगी
च्यवनप्राश में शामिल अश्वगंधा, शतावरी, विदारीकंद और घी शरीर को बल, वीर्य, स्फूर्ति और यौन क्षमता प्रदान करते हैं।
यह पुरुषों में शुक्राणुओं की गुणवत्ता बढ़ाता है और स्त्रियों में हार्मोनल संतुलन सुधारकर शरीर को ऊर्जा देता है।
कमजोरी, थकान और libido में कमी वाले लोगों के लिए यह बेहद लाभदायक है।
च्यवनप्राश चूर्ण बनाने की पारंपरिक विधि
च्यवनप्राश का असली लाभ तभी मिलता है जब यह आयुर्वेदिक विधि से बनाया जाए।
इस विधि में आंवला और दर्जनों जड़ी-बूटियाँ घी में पकाई जाती हैं और बाद में शहद मिलाकर चूर्ण से पेस्ट तैयार किया जाता है।
मुख्य सामग्री (Ingredients)
आंवला चूर्ण – 500 ग्राम
अश्वगंधा – 100 ग्राम
विदारीकंद – 100 ग्राम
गिलोय – 50 ग्राम
शतावरी – 50 ग्राम
पिप्पली – 25 ग्राम
दालचीनी – 10 ग्राम
इलायची – 10 ग्राम
घी – 250 ग्राम
शहद – 250 ग्राम
काली मिर्च – 10 ग्राम
बेलपत्र रस/गुलाबजल – स्वादानुसार
बनाने की विधि — पारंपरिक और सरल तरीका
आंवले को धूप में अच्छी तरह सुखाया जाता है और फिर महीन चूर्ण बनाया जाता है।
घी गर्म करके सभी जड़ी-बूटियाँ हल्की आँच पर भूनते हैं ताकि उनकी सुगंध और औषधीय शक्ति बनी रहे।
ठंडा होने पर इसमें शहद और गुलाबजल मिलाकर गाढ़ा च्यवनप्राश चूर्ण तैयार किया जाता है।
इसे शीशे के जार में भरकर ठंडी व सूखी जगह पर रखा जाता है।
सेवन विधि — कितना और कब लेना चाहिए?
वयस्क: 1–2 चम्मच, सुबह खाली पेट या दूध के साथ।
बच्चे: आधा चम्मच।
समय: सुबह और रात सोने से पहले लेना सर्वोत्तम है।
सावधानियाँ
डायबिटीज़ वाले लोग शुगर-फ्री संस्करण लें।
नमी और धूप से दूर रखें।
धातु के चम्मच की जगह लकड़ी/स्टील का चम्मच उपयोग करें।
गैस-एसिडिटी वालों को मात्रा आधी रखनी चाहिए।
च्यवनप्राश — एक रसायन जो शरीर, मन और आत्मा को पुनर्जीवित करता है
च्यवनप्राश केवल एक टॉनिक नहीं है बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य का संरक्षक है।
यह शरीर को मजबूती देता है, मानसिक क्षमता बढ़ाता है, त्वचा-बालों को सुंदर बनाता है, यौन शक्ति बढ़ाता है और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करता है।
हर आयु के व्यक्ति के लिए यह रोजाना लिया जाने वाला अमृत है, जिसे आयुर्वेद हजारों वर्षों से श्रेष्ठ मानता आया है।








