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June 18, 2025 11:17 pm

उपवास- शरीर को “डिटॉक्स” करने का एक स्वाभाविक तरीका

भारतीय संस्कृति में उपवास (fasting) केवल धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत लाभकारी है। हिंदू, जैन, बौद्ध तथा अन्य कई धर्मों में उपवास को आध्यात्मिक उन्नति, आत्म-नियंत्रण और शरीर की शुद्धि का माध्यम माना गया है। किंतु हमारे पूर्वजों ने इसे केवल धार्मिक अनुष्ठान के रूप में नहीं, बल्कि एक शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सुधारने की प्रक्रिया के रूप में अपनाया था। इसलिए जहां तक संभव हो सप्ताह, 15 दिन या महिने में एक दिन उपवास जरूर कीजिए.

शरीर को “डिटॉक्स” करने का एक स्वाभाविक तरीका

वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो उपवास शरीर को “डिटॉक्स” करने का एक स्वाभाविक तरीका है। जब हम लगातार भोजन करते रहते हैं, विशेषकर आधुनिक जीवनशैली में प्रोसेस्ड और वसायुक्त भोजन, तो शरीर में टॉक्सिन्स (विषैले पदार्थ) जमा होने लगते हैं। उपवास के दौरान जब भोजन नहीं किया जाता, तो शरीर अपने अंदर जमा वसा और ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करने लगता है। इस प्रक्रिया को autophagy कहा जाता है। ऑटोफैगी में शरीर पुरानी और क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को तोड़कर नयी कोशिकाओं के निर्माण में सहायता करता है, जिससे बुढ़ापा धीमा होता है और कई बीमारियों से बचाव होता है।

उपवास से पाचन तंत्र को आराम मिलता

इसके अतिरिक्त, उपवास से पाचन तंत्र को भी आराम मिलता है। निरंतर काम करते रहने से हमारे पाचन अंग थक जाते हैं। उपवास के दौरान जब भोजन बंद होता है, तो शरीर को विषैले तत्वों को बाहर निकालने का अवसर मिलता है, जिससे लीवर, किडनी और अन्य अंग बेहतर ढंग से कार्य कर पाते हैं।

ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है

आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि उपवास करने से ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है, इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ती है और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कम होता है। इसके अलावा यह मोटापा घटाने में सहायक है क्योंकि शरीर अपने संचित वसा का उपयोग ऊर्जा के रूप में करने लगता है।

आत्मनियंत्रण, धैर्य बढ़ाता है

मनोवैज्ञानिक रूप से भी उपवास लाभकारी है। यह आत्मनियंत्रण, धैर्य और मानसिक स्पष्टता को बढ़ाता है। उपवास के समय व्यक्ति भोजन के प्रति सजग होता है, जिससे “mindful eating” की आदत विकसित होती है। इससे न केवल शरीर बल्कि मन भी शुद्ध होता है।

उपवास शरीर को संक्रमण से बचाता है

हमारे पूर्वजों ने ऋतु परिवर्तन के समय उपवास की परंपरा बनाई, जैसे एकादशी, नवरात्रि, प्रदोष आदि। इसका वैज्ञानिक कारण यह था कि मौसम बदलते समय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर हो जाती है। ऐसे समय पर हल्का आहार या उपवास शरीर को संक्रमण से बचाता है और अनुकूलन की प्रक्रिया को सरल बनाता है।

शरीर, मन और आत्मा के लिए लाभकारी

अंततः कहा जा सकता है कि उपवास केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एक सुविचारित वैज्ञानिक प्रणाली है जो शरीर, मन और आत्मा – तीनों के लिए लाभकारी है। यदि इसे सही ढंग से किया जाए, तो यह संपूर्ण जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है।

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