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02/10/2025 6:29 pm

आयुर्वेद में बढ़ता मेडिकल टेररिज़्म: नुस्खों से बचें, योग्य चिकित्सक ही चुनें

डिटेल

आयुर्वेद भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, जिसने हजारों वर्षों से रोगियों को जीवनदान दिया है। लेकिन आज इसी आयुर्वेद के नाम पर कुछ लोग पैसे और प्रसिद्धि की लालसा में रोगियों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं। बिना योग्यता, बिना अध्ययन और बिना समझदारी के लोग जड़ी-बूटियों का गलत प्रयोग कर रहे हैं। परिणामस्वरूप रोगी राहत की जगह गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। इसलिए ज़रूरी है कि आम लोग जागरूक बनें और किसी भी तरह के घरेलू नुस्खे या अनधिकृत चिकित्सक पर आंख मूंदकर भरोसा न करें।


जब आयुर्वेद का नाम लेकर होता है प्रयोग

आजकल जिसे देखो, वह दादी-नानी के नुस्खों की किताब खरीदकर खुद को वैद्य घोषित कर देता है। बाजार में जगह-जगह लोग खरल, चूर्ण और तथाकथित भस्म के ढेर लगाकर बैठ गए हैं। वे न तो यह देखते हैं कि रोगी को असल में समस्या क्या है, उसका रोग मूल कहाँ है, उसका शरीर किस स्थिति में है और न ही यह समझते हैं कि रोगी के पाचन और प्राण की अवस्था कैसी है। बस ऊल-जुलूल दवाइयाँ बनाकर रोगियों को पिलाई जा रही हैं। यह प्रवृत्ति सीधे-सीधे मेडिकल टेररिज़्म है, जिसमें आम इंसान की जिंदगी को प्रयोगशाला का चूहा बना दिया गया है।


योग्य चिकित्सक ही क्यों जरूरी हैं

आयुर्वेद का ज्ञान साधारण नहीं है। यह गहन अध्ययन, शास्त्रीय सिद्धांतों की समझ और वर्षों की साधना से आता है। महर्षि चरक, सुश्रुत, वागभट्ट और धन्वंतरि ने इस पद्धति को विज्ञान और अनुभव पर आधारित बनाया था। लेकिन आज हर कोई खुद को “महर्षि” समझकर दूसरों की जान से खेल रहा है। आयुर्वेद में गलत औषधि चयन केवल स्वास्थ्य को बिगाड़ता ही नहीं, बल्कि कभी-कभी मृत्यु का कारण भी बन सकता है।


यह गलत धारणा है कि आयुर्वेद से कोई दुष्प्रभाव नहीं होते

लोगों के मन में यह धारणा बैठ गई है कि आयुर्वेदिक दवाएँ हमेशा सुरक्षित होती हैं। यह सोच खतरनाक है। सच यह है कि हर जड़ी-बूटी की अपनी मर्यादा, मात्रा और सही अनुपात होता है। यदि कोई औषधि गलत मात्रा में या गलत रोग के लिए दी जाए, तो वह शरीर के अंगों को नुकसान पहुँचा सकती है।

उदाहरण के लिए –

  • आप चाहें तो लौंग और काली मिर्च जैसी साधारण चीजों का ही अधिक सेवन करके पाइल्स, अल्सर और गैस्ट्रिक की समस्या पैदा कर सकते हैं।

  • आक और धतूरा जैसी औषधियाँ अत्यधिक विषैली होती हैं। इन्हें पीना जानलेवा साबित हो सकता है।

  • अशोधित एरंड तेल आंतों को बर्बाद कर सकता है और गंभीर स्वास्थ्य संकट पैदा कर सकता है।

इसलिए हर औषधि का उपयोग योग्य चिकित्सक की देखरेख में ही होना चाहिए।


स्वास्थ्य केवल औषधि से नहीं, जीवनशैली से जुड़ा है

यह भी ध्यान रखना चाहिए कि केवल औषधियाँ ही स्वास्थ्य का आधार नहीं हैं। यदि कोई अधिक पानी पीता है, असमय खाना खाता है या जरूरत से ज्यादा खाता है तो उसके भी दुष्प्रभाव सामने आते हैं। जब सामान्य भोजन और पानी का असंतुलन शरीर को बिगाड़ सकता है, तो फिर औषधियाँ तो औषधियाँ ही हैं। इसलिए रोग का इलाज केवल दवा पर निर्भर नहीं है, बल्कि जीवनशैली, अनुशासन और संतुलन पर भी आधारित है।


आम लोगों को सावधानी क्यों बरतनी चाहिए

आजकल आयुर्वेद की आड़ में कई लोग धन कमाने की लालसा में बिना समझदारी के औषधियों का प्रयोग कर रहे हैं। यह बेहद खतरनाक है। लोग अंधविश्वास या गलत प्रचार में आकर बिना चिकित्सक की सलाह के जड़ी-बूटियों का प्रयोग करते हैं और फिर परिणामस्वरूप गंभीर रोगों का सामना करते हैं। इसलिए लोगों को चाहिए कि –

  • किसी भी औषधि को शुरू करने से पहले योग्य चिकित्सक से परामर्श लें।

  • दादी-नानी के नुस्खों को आंख मूंदकर न अपनाएँ।

  • सोशल मीडिया या किताबों से पढ़कर खुद पर प्रयोग न करें।


निष्कर्ष

आयुर्वेद एक महान और विज्ञान आधारित चिकित्सा पद्धति है, लेकिन इसे गलत तरीके से अपनाना घातक हो सकता है। यह मानना कि आयुर्वेदिक दवाओं का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता, पूरी तरह से गलत है। हर जड़ी-बूटी की सीमा और शक्ति होती है, जिसे केवल योग्य चिकित्सक ही समझ सकता है। इसलिए सावधान रहें और अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न करें। असली आयुर्वेद वही है, जो योग्य और अनुभवी चिकित्सक की देखरेख में अपनाया जाए।

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