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June 19, 2025 1:45 am

एक ऐसा दाल जो 49 MM पथरी को भी गलाने की ताकत रखता है!

कुल्थी की दाल, जिसे अंग्रेज़ी में Horse Gram और वैज्ञानिक नाम Macrotyloma uniflorum से जाना जाता है, भारतीय पारंपरिक खानपान में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में यह दाल आज भी आमतौर पर सेवन की जाती है। आयुर्वेद और पुरानी चिकित्सा पद्धतियों में कुल्थी को मूत्रवर्धक (diuretic) और पथरी निवारक (anti-urolithiatic) गुणों के लिए जाना जाता है।

पथरी (स्टोन) में कुल्थी की दाल का उपयोग

प्राचीन चिकित्सा मान्यताओं और आधुनिक अध्ययनों दोनों के अनुसार कुल्थी की दाल गुर्दे की पथरी (Kidney Stone) को तोड़ने और बाहर निकालने में सहायक होती है। यह विशेष रूप से कैल्शियम ऑक्सलेट पथरी को घोलने और शरीर से बाहर निकालने में मदद करती है। इसका नियमित सेवन मूत्र के माध्यम से पथरी को बाहर करने में सहायक हो सकता है।

कुल्थी में उच्च मात्रा में आयरन, फॉस्फोरस, कैल्शियम और फ्लेवोनॉइड्स पाए जाते हैं। इसके अलावा यह शरीर में ऑक्सालेट क्रिस्टल को घोलने वाले यौगिक जैसे फाइटेट्स और टैनिन्स से भरपूर होती है, जो किडनी स्टोन को तोड़ने और पिघलाने में मदद करते हैं। इसके अलावा यह यूरिन फ्लो को भी बढ़ाती है जिससे पथरी बाहर निकलने की संभावना बढ़ जाती है।

कुल्थी की दाल के अन्य स्वास्थ्य लाभ

  1. वजन कम करने में सहायक
    कुल्थी में प्रोटीन और फाइबर की भरपूर मात्रा होती है, जो पेट को देर तक भरा रखती है और अत्यधिक खाने से रोकती है। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी कम होता है, जिससे यह डायबिटीज़ के रोगियों के लिए फायदेमंद होती है।

  2. डायबिटीज़ नियंत्रण में सहायक
    कुल्थी ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करती है। इसमें उपस्थित पॉलीफेनॉल और फाइबर शरीर में शुगर के अवशोषण की गति को धीमा करते हैं।

  3. कोलेस्ट्रॉल को घटाने में मददगार
    कुल्थी की दाल नियमित रूप से लेने से शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) की मात्रा कम होती है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) की मात्रा बढ़ती है।

  4. सर्दी-खांसी में लाभकारी
    आयुर्वेद में कुल्थी का काढ़ा सर्दी, खांसी और बुखार में अत्यंत लाभकारी माना गया है। इसका गर्म और शुष्क स्वभाव शरीर में बलगम को बाहर निकालता है।

  5. मासिक धर्म की अनियमितता में उपयोगी
    महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन और मासिक धर्म की अनियमितता में कुल्थी लाभकारी मानी जाती है। यह गर्भाशय को साफ करने में भी सहायक होती है।

  6. हड्डियों को मजबूत बनाती है
    इसमें कैल्शियम, फॉस्फोरस और आयरन प्रचुर मात्रा में होता है, जो हड्डियों को मजबूत करने में मदद करता है।

सेवन विधि

  • दाल के रूप में: इसे रोज़मर्रा के भोजन में अन्य दालों की तरह पकाया जा सकता है।

  • काढ़ा बनाकर: कुल्थी को रातभर भिगोकर सुबह इसे पानी में उबालकर काढ़ा बनाया जाता है, जो पथरी के इलाज में विशेष रूप से उपयोगी माना जाता है।

  • पाउडर के रूप में: सूखी कुल्थी को भूनकर उसका पाउडर बना लिया जाता है, जिसे पानी या छाछ के साथ लिया जा सकता है।

निष्कर्ष

कुल्थी की दाल एक सस्ती, आसानी से मिलने वाली लेकिन अत्यंत गुणकारी दाल है जो न केवल पथरी जैसी गंभीर समस्याओं से राहत दिलाती है, बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती है। यह आयुर्वेद और पुरानी जीवनशैली की एक अद्भुत देन है, जिसे फिर से अपनाने की आवश्यकता है।

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