विगत मंगलवार को श्री राधा–कृष्ण प्रणामी मंदिर, पुंदाग में विवाह पंचमी का पावन पर्व अत्यंत हर्षोल्लास एवं श्रद्धा-भाव के साथ मनाया गया। सुबह से ही मंदिर परिसर भक्तिभाव, उत्साह एवं आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर दिखाई दे रहा था। रंग-बिरंगे पुष्पों, दीपों और पारंपरिक सजावट से पूरा वातावरण दिव्य अनुभूति से भर उठा। इस दृश्य ने उपस्थित श्रद्धालुओं को एक आनंद-उत्सव का अनुभव कराया।
मंदिर में सुबह के समय से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी, जो भजन-कीर्तन, आरती एवं श्रृंगार दर्शन के लिए आई थी। यह आयोजन न सिर्फ धार्मिक महत्व का था बल्कि सामाजिक एवं दांपत्य जीवन के आदर्शों को भी दर्शा रहा था।
श्रृंगार एवं पूजा-विधि का विशिष्ट आयोजन
इस विशेष अवसर पर मंदिर में श्री राधा तथा श्री कृष्ण का अलौकिक श्रृंगार हुआ। पुजारी द्वारा भगवान के विग्रह का भव्य श्रृंगार कर मंदिर परिसर को मनोहर रूप प्रदान किया गया। भक्तों ने बताया कि इस तरह का सुंदर और मनमोहक श्रृंगार विरले ही देखने को मिलता है, जो अपने आप में आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति कराता है।
इसके बाद हनुमान चालीसा पाठ और भजन-कीर्तन की ध्वनियों से मंदिर परिसर गूंज उठा। समारोह में ट्रस्ट के भजन गायकों ने पारंपरिक भजनों का संकीर्तन कर माहौल को भक्तिमय बना दिया। जैसे-जैसे भजन-कीर्तन चल रहा था, भक्तगण भावनात्मक रूप से उस लय में समा गए, उन्हें ईश्वर के चरणों में समर्पित होते देखकर वातावरण में श्रद्धा का स्पंदन बढ़ गया।
विशेष पूजा-अर्चना, आरती एवं प्रसाद वितरण
दोपहर में मंदिर परिसर में विशेष पूजा-अर्चना एवं आरती का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने भाग लिया। पूजा-विधि का संचालन मंदिर के पुजारी अरविंद पांडे ने किया। उन्होंने विधिवत पूजा सम्पन्न कर भगवान को नैवेद्य अर्पित किया तथा भोग लगाया। तत्पश्चात भोग-प्रसाद को श्रद्धालुओं के बीच वितरित किया गया, जिससे भक्तों में प्रसन्नता और संतुष्टि का भाव उत्पन्न हुआ।
इस पूरे प्रक्रिया में संगठन द्वारा यह सुनिश्चित किया गया कि भक्तों को शांतिपूर्ण एवं मर्यादित अनुभव प्राप्त हो। भजन-कीर्तन, आरती व प्रसाद वितरण इस बात का प्रतीक बने कि धार्मिक आयोजनों से केवल उत्सव नहीं बल्कि सामाजिक एकता और सामुदायिक भाव भी बढ़ता है।
आयोजकों का संदेश: दांपत्य जीवन में संतुलन और कर्तव्य-निष्ठा
इस अवसर पर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल तथा प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी संजय सर्राफ ने कहा कि विवाह पंचमी का पर्व भगवान श्री राम और माता सीता के दिव्य विवाह का स्मरणोत्सव है, जो मर्यादा, प्रेम, त्याग और धर्म-परायणता का प्रतीक है। उन्होंने यह भी कहा कि यह पर्व हमें दांपत्य जीवन में संतुलन, आदर्श और कर्तव्य-निष्ठा के महत्व को समझने का संदेश देता है।
उनका यह मन्तव्य विशेष रूप से आज के समय के लिए प्रासंगिक है, जब सामाजिक जीवन में रिश्तों के स्वरूप में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहे हैं। इस तरह के आयोजन से मंदिर न सिर्फ धार्मिक स्थान बनता है, बल्कि एक ऐसा मंच बन जाता है जहाँ जीवन-मूल्यों और आदर्शों पर पुनर्विचार होता है।
आयोजन का सामाजिक एवं आध्यात्मिक प्रसरण
विवाह पंचमी जैसा आयोजन केवल धार्मिक कर्मकांड तक सीमित नहीं है। यह मंदिर परिसर में एक सामाजिक एवं आध्यात्मिक मिलन-स्थल का रूप ले लेता है। श्रद्धालुओं ने भगवान के दिव्य स्वरूप का दर्शन कर, भजन-कीर्तन में सहभागिता कर गहन आध्यात्मिक शांति और आनंद की अनुभूति प्राप्त की।
इस प्रकार, यह आयोजन धार्मिक एकता, सामुदायिक सद्भाव और दांपत्य जीवन के समर्पित आदर्शों को सुदृढ़ करता है। मंदिर परिसर में उपस्थित सभी ने अनुभव किया कि उपयुक्त आयोजन, संगति, भक्ति और अनुशासन मिलकर उच्चतर चेतना एवं मूल्य-चिंतन को जन्म देते हैं।
संदेश एवं लाभ
इस तरह श्री राधा–कृष्ण प्रणामी मंदिर, पुंदाग में सम्पन्न विवाह पंचमी समारोह न सिर्फ भक्तिमय रूप से सफल रहा बल्कि उसके द्वारा दिए गए संदेश — दांपत्य जीवन में प्रेम-समर्पण, संतुलन व कर्तव्य-निष्ठा — आज के समय में विशेष प्रासंगिक हैं। यह आयोजन हम सभी को यह स्मरण कराता है कि विवाह मात्र सामाजिक बंधन नहीं, बल्कि जीवन का एक आध्यात्मिक तथा नैतिक अनुशासन भी है।
आमतौर पर जब जीवन-शैली, करियर-प्रेशर और तकनीकी व्यस्तताओं के बीच रिश्तों की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है, ऐसे में इस प्रकार का आयोजन हमें अपने मूल्यों और आदर्शों के प्रति जागरूक बनाता है। इस अनुभव का लाभ सिर्फ वर्तमान-पीढ़ी को ही नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी मिलेगा।







