रांची के रातू रोड स्थित कृष्णा अपार्टमेंट में अमावस्या के शुभ दिन श्रद्धा और भक्ति का ऐसा संगम देखने को मिला, जिसने सम्पूर्ण वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।
महिलाओं की आस्था, दादी जी के चरणों में समर्पित भक्ति और सौम्यता से पूरा परिसर एक पवित्र स्थल जैसा प्रतीत हो रहा था।
श्री धोली सती दादी महिला समिति द्वारा इस वार्षिक महोत्सव का आयोजन अत्यंत उत्साह और हर्षोल्लास के साथ किया गया।
धोली सती दादी — नारी–शक्ति और साहस की प्रतीक
धोली सती दादी को राजस्थानी लोक–आस्था में माता शक्ति का स्वरूप माना जाता है।
जन–मान्यता है कि दादी भक्तों के जीवन की कठिनाइयों का अंत कर सुख–शांति प्रदान करती हैं।
लोग दादी जी को घर–परिवार की रक्षा, संतान–सुख, सुख–समृद्धि और संकट–निवारण की देवी के रूप में पूजते हैं।
विशेष शृंगार से हुआ महोत्सव का शुभारंभ
उत्सव की शुरुआत माता के विशेष श्रृंगार से हुई।
दादी जी को पीले और लाल वस्त्र, पुष्प–माला, आभूषणों और दीपकों से सजाया गया।
माता के दर्शन होते ही श्रद्धालुओं के चेहरों पर खुशी, उत्साह और भक्ति की दिव्यता स्पष्ट झलक उठी।
श्रृंगार दर्शन के पश्चात दीप–प्रज्वलन और मंगल–आरती के साथ कार्यक्रम औपचारिक रूप से प्रारंभ किया गया।
भक्ति की सुरलहरियाँ और सामूहिक मंगल पाठ
महिला समिति की सदस्यों ने एक साथ बैठकर दादी जी का मंगल पाठ किया।
पूरे वातावरण में आध्यात्मिकता की सुगंध बिखर गई, प्रत्येक शब्द भावनाओं से परिपूर्ण प्रतीत हुआ।
भक्तिमय संगीत, घुंघरुओं की ध्वनि, ताल और सुर ने कार्यक्रम को दिव्यता प्रदान की।
भजन–कीर्तन की सूरीली पर्वछाया
इसके बाद भावपूर्ण भजन संध्या का आयोजन किया गया।
समिति की सक्रिय सदस्याओं —
सविता सर्राफ, करुणा बागला, मंजू सर्राफ, ममता सर्राफ आदि — ने अपनी मधुर आवाज़ में मन–मोहक भजन प्रस्तुत किए।
प्रमुख भजन—
धोली सती मैया, कर दो सबका बेड़ा पार…
दादी जी के दर पर आए, मन को मिला विश्राम…
अमावस री रात दादी, घर–घर दीप जलाओ…
भक्ति की धारा के बीच सभी माता के चरणों में झुककर अपनी मनोकामनाएँ व्यक्त करते रहे।
सामुदायिक समर्पण और महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका
पूरे कार्यक्रम का खास आकर्षण महिलाओं की ऊर्जा और अनुशासन रहा।
शृंगार, आयोजन, सजावट, स्वागत, भजन, प्रसाद—हर कार्य में महिलाओं की प्रमुख भूमिका थी।
उनकी एकता, संगठित प्रयास और धार्मिक भाव ने कार्यक्रम के वातावरण को जीवंत बना दिया।
प्रसाद वितरण — भक्ति का प्रसाद सबके लिए
भजन–आराधना के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया।
मक्खन–मिश्री, पंचामृत और मीठे प्रसाद ने भक्तों के हृदय में पूर्णता का भाव जगाया।
नारी शक्ति, सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक समरसता
श्री धोली सती दादी महोत्सव केवल अध्यात्मिक आयोजन नहीं है,
यह महिलाओं की शक्ति, भारतीय संस्कृति, समाज–संगठन और पारिवारिक एकता का सुंदर प्रतीक है।
ऐसे आयोजन पीढ़ियों को सांस्कृतिक अस्मिता से जोड़ते हैं।
समिति के प्रवक्ता का संदेश
समिति के प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा—
“धोली सती दादी जी नारी–सशक्तिकरण, साहस और मातृत्व की प्रतीक हैं।
उनकी पूजा से परिवार में समृद्धि, शांति और मातृत्व ऊर्जा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
ऐसे धार्मिक कार्यक्रम समाज में एकता, प्रेम और आध्यात्मिकता को बढ़ाते हैं।”
कार्यक्रम में विशेष उपस्थितियाँ
इस अवसर पर—
सविता सर्राफ
करुणा बागला
मंजू सर्राफ
ममता सर्राफ
मधु सर्राफ
आशा सर्राफ
अनुराधा सर्राफ
रितु सर्राफ
रेणु सर्राफ
बबीता मानपुरिया
तथा बड़ी संख्या में महिलाएँ उपस्थिति रहीं।
महोत्सव का समापन — प्रार्थना और आरती के साथ
कार्यक्रम का समापन माता के चरणों में आरती, जय–घोष और भक्तों की सुख–समृद्धि की प्रार्थना के साथ हुआ।
महोत्सव सभी के हृदयों में शांति, भक्ति और आनंद की अमिट स्मृति छोड़ गया।







