भारत एक ऐसा देश है जहां ऋतु परिवर्तन बहुत स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। हर महीने का मौसम अलग-अलग होता है और उसी के अनुसार हमारे शरीर की आवश्यकता भी बदलती है। आयुर्वेद के अनुसार यदि हम हर महीने अपने आहार में थोड़े-बहुत बदलाव करें तो न केवल बीमारियों से बच सकते हैं बल्कि लम्बे समय तक स्वस्थ और ऊर्जावान जीवन जी सकते हैं। यही कारण है कि भारतीय परंपरा में 12 महीनों के हिसाब से भोजन के नियम बताए गए हैं। यह केवल परंपरा नहीं बल्कि स्वास्थ्य विज्ञान है जिसे आज भी अपनाना बेहद लाभकारी साबित हो सकता है।
चैत्र (मार्च – अप्रैल)
चैत्र का महीना वसंत ऋतु का होता है जब शरीर में पित्त और रक्त दोष की वृद्धि देखी जाती है। इस महीने में चने का सेवन सबसे लाभकारी माना गया है। चना शरीर के रक्त को शुद्ध करता है और रक्त संचार को बेहतर बनाता है। यही कारण है कि चैत्र में चना खाना शरीर को हल्का और सक्रिय बनाए रखता है। इस महीने में सुबह के समय नीम की कोमल पत्तियाँ चबाना भी बेहद फायदेमंद है। नीम प्राकृतिक एंटीबायोटिक है और यह शरीर के अंदर मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है। इससे त्वचा साफ रहती है, पाचन शक्ति बेहतर होती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
वैशाख (अप्रैल – मई)
वैशाख का महीना गर्मियों की शुरुआत का समय होता है। इस दौरान लू और डिहाइड्रेशन की समस्या आम होती है। इस महीने बेल का शरबत पीना सबसे उपयोगी माना गया है। बेल में ठंडक देने वाले गुण होते हैं जो पाचन तंत्र को मजबूत रखते हैं और शरीर को गर्मी से बचाते हैं। इस महीने में तैलीय भोजन से परहेज करना चाहिए क्योंकि इससे शरीर में गर्मी और आलस्य बढ़ता है। हल्के और शीतल आहार जैसे बेल, तरबूज, खरबूजा और खीरा का सेवन करने से स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है।
ज्येष्ठ (मई – जून)
ज्येष्ठ भारत का सबसे अधिक गर्म महीना माना जाता है। इस महीने शरीर जल्दी थक जाता है और ऊर्जा का क्षय होता है। आयुर्वेद के अनुसार ज्येष्ठ में दिन में थोड़ी देर सोना भी लाभकारी है। ठंडी छाछ, लस्सी, नींबू पानी और फलों का जूस इस महीने में शरीर को ठंडक और ऊर्जा प्रदान करते हैं। बासी भोजन और गरिष्ठ आहार इस समय सेहत बिगाड़ सकते हैं इसलिए हमेशा ताजे और सुपाच्य भोजन का सेवन करना चाहिए।
आषाढ़ (जून – जुलाई)
आषाढ़ का महीना वर्षा ऋतु का आरंभ माना जाता है। इस समय पाचन शक्ति कमजोर होने लगती है। आम, सत्तू, जौ, खीर, ककड़ी, करेला और परवल जैसे हल्के लेकिन पौष्टिक पदार्थ इस महीने शरीर को स्वस्थ रखते हैं। यह समय नमी और संक्रमण का होता है इसलिए गरिष्ठ और तैलीय भोजन से परहेज करना चाहिए। ठंडे पेय और सत्तू का प्रयोग शरीर में जल की कमी को दूर करता है और ऊर्जा बनाए रखता है।
श्रावण (जुलाई – अगस्त)
श्रावण का महीना धार्मिक दृष्टि से खास माना जाता है लेकिन स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह महत्वपूर्ण है। इस महीने हरड़ का सेवन करना चाहिए क्योंकि यह पाचन तंत्र को संतुलित करता है। हरी सब्जियाँ और दूध इस महीने कम मात्रा में लेना चाहिए। हल्के और सुपाच्य आहार जैसे खिचड़ी, पुराने चावल, पुराने गेहूं, दही और दलिया सबसे अच्छे विकल्प हैं। यह महीना व्रत और उपवास का होता है इसलिए संतुलित और हल्के भोजन से शरीर स्वस्थ बना रहता है।
भाद्रपद (अगस्त – सितम्बर)
भाद्रपद भी वर्षा ऋतु का हिस्सा होता है। इस समय पाचन शक्ति बेहद कमजोर हो जाती है इसलिए हल्के और सुपाच्य भोजन का सेवन करना चाहिए। ताजे फल, दलिया, मूंग की दाल और खिचड़ी इस समय सबसे बेहतर माने जाते हैं। चटपटा और तैलीय खाना इस महीने बीमारी को आमंत्रित कर सकता है।
आश्विन (सितम्बर – अक्टूबर)
आश्विन का महीना शरद ऋतु का होता है। इस समय पाचन शक्ति प्रबल होती है और गरिष्ठ भोजन भी आसानी से पच जाता है। दूध, घी, नारियल, गुड़, मुनक्का और गोभी का सेवन इस महीने सेहत के लिए लाभकारी है। इस महीने में मिठाई और घी वाले पदार्थ भी शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाते बल्कि ऊर्जा प्रदान करते हैं।
कार्तिक (अक्टूबर – नवम्बर)
कार्तिक का महीना ठंडी हवाओं की शुरुआत का समय होता है। इस महीने गरम दूध, गुड़, घी और मूली का सेवन करना चाहिए। ठंडी चीजें जैसे ठंडा दही, छाछ या फ्रूट जूस का सेवन इस समय शरीर को नुकसान पहुँचा सकता है। कार्तिक में गरम और पौष्टिक भोजन ही स्वास्थ्य को संतुलित बनाए रखते हैं।
अगहन (नवम्बर – दिसम्बर)
अगहन का महीना ठंडी ऋतु का होता है। इस समय अत्यधिक ठंडे और गरम भोजन दोनों से परहेज करना चाहिए। संतुलित आहार इस महीने शरीर को ऊर्जावान बनाए रखता है। गर्म सूप, दाल और ताजे फल इस समय लाभकारी हैं।
पौष (दिसम्बर – जनवरी)
पौष का महीना ठंडी ऋतु का सबसे ठंडा समय होता है। इस महीने शरीर को ऊर्जा और गर्माहट देने वाले आहार जैसे दूध, तिल, गुड़, आंवला, खोया और गौंद के लड्डू सबसे उपयोगी हैं। ये आहार न केवल शरीर को गर्म रखते हैं बल्कि हड्डियों और रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाते हैं।
माघ (जनवरी – फरवरी)
माघ के महीने में भी ठंड बनी रहती है इसलिए इस समय गरिष्ठ और ऊर्जावान भोजन लाभकारी है। घी, तिल, गुड़ और नए अन्न का सेवन इस महीने शरीर को मजबूत बनाता है। इस समय भी गौंद के लड्डू और दूध से बने व्यंजन सेहत के लिए सर्वोत्तम माने जाते हैं।
फाल्गुन (फरवरी – मार्च)
फाल्गुन का महीना बसंत ऋतु का होता है। इस समय मौसम बदलने लगता है और रोगों का संक्रमण तेजी से फैलता है। इस महीने गुड़ का सेवन करना चाहिए क्योंकि गुड़ खून को शुद्ध करता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। सुबह योग और स्नान की आदत इस महीने बेहद जरूरी है। चने का सेवन इस महीने सेहत के लिए हानिकारक माना गया है इसलिए इससे बचना चाहिए।
स्वास्थ्य विज्ञान है
भारतीय परंपरा में बताए गए 12 महीनों के अनुसार आहार नियम केवल धार्मिक मान्यता नहीं बल्कि स्वास्थ्य विज्ञान है। मौसम के अनुसार आहार बदलने से न केवल रोगों से सुरक्षा मिलती है बल्कि शरीर लंबे समय तक स्वस्थ और ऊर्जावान बना रहता है। आधुनिक जीवनशैली में इन नियमों को अपनाकर हम छोटी-बड़ी बीमारियों से बच सकते हैं और जीवन को संतुलित बना सकते हैं।