भारत सरकार ने 2027 तक कुष्ठ रोग को पूरी तरह जड़ से मिटाने का लक्ष्य रखा है। यह सिर्फ एक स्वास्थ्य योजना नहीं बल्कि समाज को कुष्ठ जैसी बीमारी से पूरी तरह मुक्त करने का संकल्प है। इस दिशा में झारखंड राज्य को एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है क्योंकि यहां पर राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (NLEP) के तहत निकुष्ठ 2 पोर्टल का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। यह पोर्टल डिजिटल तकनीक का उपयोग करके न केवल कुष्ठ रोगियों की पहचान और उपचार की ट्रैकिंग करेगा बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की पारदर्शिता और प्रभावशीलता भी बढ़ाएगा।
कुष्ठ उन्मूलन का लक्ष्य और जनभागीदारी की भूमिका
कुष्ठ रोग लंबे समय से समाज में न केवल शारीरिक तकलीफ बल्कि सामाजिक भेदभाव का कारण भी रहा है। हालांकि अब इसका इलाज पूरी तरह संभव है, फिर भी कई लोग अज्ञानता और डर की वजह से इलाज से दूर रहते हैं। राष्ट्रीय कुष्ठ निवारण पदाधिकारी डॉ. अनिल कुमार ने कहा है कि कुष्ठ को मिटाने के लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ आम जनता की भागीदारी भी बेहद जरूरी है। समाज को यह समझना होगा कि कुष्ठ रोग किसी व्यक्ति की नियति नहीं बल्कि एक सामान्य संक्रमण है, जिसका सही समय पर इलाज करके रोग को जड़ से खत्म किया जा सकता है। निकुष्ठ 2 पोर्टल इसी जनभागीदारी को मजबूत करने का माध्यम बनेगा क्योंकि इसके जरिए स्वास्थ्य अधिकारी और जमीनी स्तर के कार्यकर्ता अधिक सटीक और तेज़ काम कर पाएंगे।
निकुष्ठ 2 पोर्टल क्या है और क्यों है खास
निकुष्ठ 2 पोर्टल एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसे विशेष रूप से कुष्ठ रोगियों के डाटा प्रबंधन और इलाज की निगरानी के लिए तैयार किया गया है। पहले ‘निकुष्ठ 1 पोर्टल’ में मरीजों से संबंधित सामान्य डेटा दर्ज होता था, लेकिन अब इस नए पोर्टल के जरिए मल्टी-ड्रग थेरेपी (MDT) के वितरण और मरीजों की प्रगति को रियल टाइम में ट्रैक किया जा सकेगा। इससे स्वास्थ्य अधिकारियों को यह पता चल सकेगा कि किस क्षेत्र में नए मामले अधिक सामने आ रहे हैं, किस जिले में इलाज पूरा हो रहा है और कहां दवाओं की उपलब्धता में कमी है।
यह पोर्टल मरीजों की जानकारी को डिजिटल रूप में सुरक्षित करता है, जिससे हर मरीज तक सही समय पर दवा और इलाज पहुँच सके। खास बात यह है कि झारखंड को इस पोर्टल का पायलट स्टेट चुना गया है। यानी यहां इसकी शुरुआत होगी और फिर पूरे देश में इसे लागू किया जाएगा।
कुष्ठ उन्मूलन में डिजिटल बदलाव
स्वास्थ्य क्षेत्र में डिजिटलीकरण ने पहले ही कई बीमारियों से निपटने में मदद की है। अब कुष्ठ रोग के मामले में निकुष्ठ 2 पोर्टल उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसकी मदद से स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को मरीजों की पहचान से लेकर इलाज तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन दर्ज करने की सुविधा मिलेगी। इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि बीमारी को शुरुआती चरण में ही पकड़कर इलाज शुरू किया जा सकेगा।
अगर कुष्ठ को समय रहते पहचान लिया जाए तो विकलांगता को पूरी तरह रोका जा सकता है। यही कारण है कि यह पोर्टल कुष्ठ रोग की रोकथाम में बेहद अहम साबित होगा। साथ ही यह डेटा स्वास्थ्य मंत्रालय को नीतियां बनाने और रणनीतियां तैयार करने में भी मदद करेगा।
झारखंड में प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान
नामकुम स्थित राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यालय में आयोजित प्रशिक्षण सत्र में जिलों से आए प्रतिभागियों को पोर्टल के उपयोग की जानकारी दी गई। इस प्रशिक्षण में भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़ी विशेषज्ञ डॉक्टरों—डॉ. करूणा निधि कौर और डॉ. श्वेता राणा ने पोर्टल की तकनीकी जानकारी साझा की। प्रशिक्षण का उद्देश्य यह था कि राज्य के हर जिले से एक प्रतिनिधि को निकुष्ठ 2 पोर्टल के लिए नामित किया जाए, जो आगे चलकर अपने जिले में इस प्रणाली को लागू कर सके।
डब्ल्यूएचओ (WHO) के प्रतिनिधि और राज्य स्तर के कई अधिकारी भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बने। यह दिखाता है कि कुष्ठ उन्मूलन सिर्फ सरकारी प्रयास नहीं है बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का साझा मिशन बन चुका है।
कुष्ठ रोगियों के लिए उम्मीद की नई किरण
अब तक कुष्ठ रोगी अक्सर इलाज के दौरान सामाजिक बहिष्कार और जानकारी की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करते थे। कई बार मरीजों तक दवा समय पर नहीं पहुँच पाती थी या इलाज अधूरा रह जाता था। लेकिन निकुष्ठ 2 पोर्टल इन सभी समस्याओं का समाधान है। इससे हर मरीज की जानकारी अपडेट रहेगी और स्वास्थ्य अधिकारियों के पास सटीक डेटा होगा। मरीजों को समय पर दवा और इलाज मिलेगा, और उनकी प्रगति की नियमित निगरानी की जाएगी।
यह पोर्टल न केवल इलाज की प्रक्रिया को सरल बनाएगा बल्कि समाज में फैले डर और भेदभाव को खत्म करने में भी मदद करेगा। जब लोग देखेंगे कि कुष्ठ रोग का डिजिटल तरीके से सही और प्रभावी इलाज हो रहा है, तो वे बिना झिझक डॉक्टर और स्वास्थ्य केंद्रों से जुड़ेंगे।
2027 तक कुष्ठ मुक्त भारत का संकल्प
भारत सरकार का 2027 तक कुष्ठ रोग को जड़ से मिटाने का लक्ष्य महत्वाकांक्षी जरूर है लेकिन असंभव नहीं। अतीत में पोलियो जैसी गंभीर बीमारी को खत्म करने का उदाहरण हमारे सामने है। अगर सरकार, स्वास्थ्य विभाग, सामाजिक संस्थाएं और आम जनता मिलकर काम करें तो कुष्ठ को भी पूरी तरह खत्म किया जा सकता है।
निकुष्ठ 2 पोर्टल इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। यह डिजिटल प्लेटफॉर्म सिर्फ झारखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश में कुष्ठ उन्मूलन की प्रक्रिया को गति देगा और आने वाले समय में भारत को निकुष्ठ बनाने का सपना साकार करेगा।
मरीजों के लिए नई उम्मीद
कुष्ठ रोग अब डर या भेदभाव का कारण नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे एक सामान्य संक्रमण की तरह समझकर समय पर इलाज करना चाहिए। निकुष्ठ 2 पोर्टल इसी सोच को मजबूत करता है। यह न केवल स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए तकनीकी सुविधा है बल्कि मरीजों के लिए नई उम्मीद भी है। झारखंड में इसकी शुरुआत देश के लिए एक बड़ा कदम है और अगर सभी मिलकर प्रयास करें तो 2027 तक भारत को निकुष्ठ बनाना संभव होगा।