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June 19, 2025 12:55 am

Ganesh Chaturthi-जानिए गणेश चतुर्थी के स्थापना, पूजा और विसर्जन का समय…

गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी और गणेश चौथ के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्व को भक्त बेहद धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। यह ज्ञान, सौभाग्य और समृद्धि के देवता भगवान गणेश के जन्म का प्रतीक है। गणेश महोत्सव हर साल धूमधाम और भव्यता के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान गणेश के जन्म का प्रतीक है और 10 दिनों तक चलता है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान (ganesh chaturthi 2024) व्रत रखने से घर में सुख और शांति आती है। साथ ही बप्पा प्रसन्न होते हैं।


हिंदू धर्म में हर साल भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश उत्सव बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है. यह उत्सव अनंत चतुर्दशी तक चलता है. 7 सितंबर 2024 शनिवार से 17 सितंबर 2024 मंगलवार तक पूरे 10 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना से लेकर विसर्जन करने तक की परंपरा रही है. इस गणेश उत्सव के दौरान तिथि, शुभ मुहूर्त, मूर्ति स्थापना मुहूर्त, विसर्जन की तिथि और मूर्ति स्थापना का सही नियम जानना बहुत जरूरी होता है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से बुद्धि में वृद्धि होती है. गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश से सुख-समृद्धि की कामना की जाती है.

गणेश चतुर्थी का महत्व:
भगवान गणेश की पूजा: गणेश चतुर्थी भगवान गणेश, जो विघ्नहर्ता (विघ्नों को नष्ट करने वाले) और समृद्धि, बुद्धि और भाग्य के देवता हैं, की पूजा के लिए समर्पित है। इसे गणेश जी की जयंती माना जाता है, जो गणेश चतुर्थी के दिन उनके जन्म की खुशी में मनाया जाता है।

कब शुरू होगा गणेश महोत्सव? (Ganesh Sthapana Subh Muhurat 2024)
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 6 सितंबर दोपहर 3 बजकर 1 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 7 सितंबर को शाम 5 बजकर 37 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि को देखते हुए गणेश चतुर्थी का शुभारंभ 7 सितंबर दिन शनिवार को होगा और इसी दिन गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना और व्रत की शुरुआत होगी।

इसके साथ ही 7 सिंतबर को गणेश चतुर्थी की पूजा (Ganesh Puja Muhurat 2024) सुबह 11 बजकर 03 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 34 मिनट के बीच होगी।

पूजा और समारोह:
मूर्ति स्थापना: गणेश चतुर्थी के दिन घरों और सार्वजनिक पंडालों में गणेश की मूर्ति की स्थापना की जाती है। मूर्तियाँ विभिन्न आकारों और डिज़ाइन में उपलब्ध होती हैं, और इनकी सजावट भी बहुत आकर्षक होती है।

पूजा विधि: गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है जिसमें मोदक, लड्डू, और अन्य प्रिय भोग अर्पित किए जाते हैं। पूजा में गणेश मंत्रों का जाप, आरती और भजन-कीर्तन शामिल होते हैं।

सामाजिक आयोजन: गणेश चतुर्थी पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाटक, और भव्य शो होते हैं। सार्वजनिक पंडालों में सामूहिक रूप से भजन कीर्तन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ होती हैं।

गणेश विसर्जन: गणेश चतुर्थी का समापन गणेश विसर्जन के साथ होता है, जिसे अनंत चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन, गणेश की मूर्ति को श्रद्धापूर्वक जल में विसर्जित किया जाता है, जिससे यह संदेश मिलता है कि हर एक चीज की एक समयावधि होती है और सब कुछ अंततः प्रकृति में मिल जाता है।

गणेश चतुर्थी का यह पर्व समर्पण, श्रद्धा, और आनंद का प्रतीक है। यह न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता का भी एक महत्वपूर्ण अवसर है।

 

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