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16/12/2025 3:38 pm

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खानपान और आदतों में बदलाव करके कैसे बनें अपने डॉक्टर खुद?

आज के समय में जहां हर कोई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा है, यह समझना जरूरी है कि बीमारी का इलाज दवाइयों से ही नहीं बल्कि हमारी जीवनशैली और खानपान की आदतों से भी होता है। अक्सर कहा जाता है कि “आप वही हैं जो आप खाते हैं”। अगर हम रोजमर्रा की छोटी-छोटी चीज़ों पर ध्यान दें तो दवाइयों की जगह प्राकृतिक इलाज हमारे शरीर को सेहतमंद बनाए रख सकता है। आधुनिक विज्ञान भी इस बात को मानता है कि प्राकृतिक खानपान, स्वच्छ आदतें और सकारात्मक दिनचर्या इंसान को बीमारियों से बचाने का सबसे आसान उपाय हैं।

नमक, तेल और बर्तन की सही पसंद

आज ज्यादातर लोग बाजार से मिलने वाला आयोडीन युक्त सामान्य नमक इस्तेमाल करते हैं। जबकि सेन्धा नमक का उपयोग शरीर के लिए अधिक फायदेमंद साबित होता है। यह थायराइड को संतुलित करता है, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है और पाचन को भी बेहतर बनाता है। इसी तरह खाना पकाने के लिए जो बर्तन चुने जाते हैं उनका भी बहुत महत्व है। अगर एल्युमिनियम के बर्तन इस्तेमाल किए जाते हैं तो उसमें मिले अवांछित धातु जैसे लेड हमारे शरीर के लिए हानिकारक साबित होते हैं और धीरे-धीरे शरीर में ज़हर की तरह असर करते हैं। स्टील या लोहे की कढ़ाई में भोजन पकाना इस समस्या से बचाता है और साथ ही शरीर में आयरन की कमी भी नहीं होने देता।

तेल में भी सोच-समझकर चुनाव करना जरूरी है। रिफाइंड तेल भले ही पारदर्शी और आकर्षक दिखते हैं, लेकिन इनकी प्रोसेसिंग में इतने केमिकल डाले जाते हैं कि यह शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं और धीरे-धीरे डायबिटीज, मोटापा और हृदय रोग जैसी समस्याओं को जन्म देते हैं। इसके विपरीत तिल, सरसों, मूंगफली या नारियल का तेल प्राकृतिक और पोषक होने के साथ शरीर को ताकत भी देता है।

दूध, दही और घी का महत्व

भारत की संस्कृति में गाय को हमेशा से स्वास्थ्य का आधार माना गया है। खासकर देशी गाय का दूध, दही और घी स्वास्थ्य के लिए वरदान साबित होते हैं। देसी गाय का घी शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता देता है और यह गलतफहमी है कि इससे मोटापा बढ़ता है। सुबह के भोजन में ताजा दही लेने से पाचन ठीक रहता है और यह प्रोबायोटिक का काम करता है।

अनाज, मसाले और पत्तियों का महत्व

हमारे आहार में अंकुरित अनाज शामिल करना बेहद लाभकारी होता है। यह न सिर्फ पेट को स्वस्थ रखते हैं बल्कि इसमें विटामिन और फाइबर की भरपूर मात्रा होती है जो शरीर को मजबूती प्रदान करती है। भोजन में नीम और कढ़ी पत्ता शामिल करना भी सेहत को बेहतर बनाता है। ये छोटे पत्ते शरीर के कई रोगों से बचाते हैं और पाचन शक्ति को दुरुस्त करते हैं।

अदरक और अजवायन हमारी रसोई के सामान्य मसाले हैं लेकिन इनके औषधीय गुण असाधारण हैं। गैस और अपच को दूर करने से लेकर शरीर के दर्द को कम करने तक इनका उपयोग लाभकारी है। दालचीनी का नियमित सेवन भी निरोगी जीवन के लिए कारगर माना गया है।

चीनी की जगह गुड़ और देशी शक्कर

आज की सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोग चीनी का भरपूर सेवन करते हैं। सफेद चीनी शरीर की हड्डियों को नुकसान पहुंचाती है और उम्र बढ़ने के साथ हड्डियां कमजोर कर देती है। इसके स्थान पर बिना मसले का गुड़ या देशी शक्कर लेना ज्यादा सही है। इसका सेवन शरीर को प्राकृतिक ऊर्जा देता है और हड्डियों को भी मजबूत बनाए रखता है।

दांत और मसूड़ों की सही देखभाल

आजकल लोग महंगे टूथपेस्ट और माउथवॉश पर निर्भर हो गए हैं, लेकिन पारंपरिक तरीकों से दांतों और मसूड़ों की सुरक्षा बेहतर की जा सकती है। नींबू के एक टुकड़े में थोड़ा सा नमक, हल्दी और फिटकरी लगाकर दांतों पर रगड़ने से दांतों के सभी रोग दूर हो सकते हैं। कभी-कभी नमक और हल्दी के मिश्रण में सरसों का तेल डालकर दांतों को साफ करना अत्यंत हितकारी माना जाता है।

पाचन और पेट की देखभाल

पेट को सही रखना पूरे स्वास्थ्य की कुंजी है। अगर भोजन का समय निश्चित किया जाए और खाते समय अधिक बातें न की जाएं, तो भोजन का पाचन बहुत अच्छे से होता है। नाश्ते में अंकुरित अनाज लेना पेट को स्वस्थ रखता है। रात को भिगोया हुआ त्रिफला जल आंखों को स्वस्थ करता है, आंखों की रोशनी बढ़ाता है और पेट को भी साफ रखता है। जीरे को रात में पानी में भिगोकर सुबह चबाना और उसका पानी पीना एसिडिटी को खत्म करने का सबसे आसान उपाय है।

जीवनशैली और शुद्धता का महत्व

हमारी जीवनशैली का सीधा असर शरीर पर पड़ता है। अगर हम भोजन ताजा और घर पर पकाकर खाएं तो बाहर के खाने से होने वाले हानिकारक प्रभाव से बच सकते हैं। रसोई में प्रवेश से पहले स्नान करना, नंगे पांव चलकर या एक्यूप्रेशर वाले प्लेटफार्म पर खड़े होकर भोजन बनाना शरीर में संतुलन बनाए रखता है।

ठंडी चीजों और फ्रिज के बर्फीले पानी से परहेज करना भी पाचन और दांतों के लिए जरूरी है। इसके बजाय मिट्टी के मटके का पानी पीना ज्यादा लाभकारी साबित होता है।

बीमारियों से बचाव के छोटे उपाय

करेले, मेथी और मूली जैसी कड़वी सब्जियां रक्त को शुद्ध करती हैं और लंबे समय तक शरीर को रोगमुक्त रखती हैं। सर्दी के मौसम में अजवायन को मुंह में रखकर बाहर निकलने से सर्दी से नुकसान नहीं होता। बुखार की स्थिति में पानी को उबालकर उसकी मात्रा कम करके पीना प्राकृतिक उपचार के रूप में काम करता है।

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