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June 18, 2025 10:49 pm

युवाओं में स्टेरॉयड और अनियमित सप्लीमेंट्स का बढ़ता दुरुपयोग: स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा

आज के दौर में फिटनेस और आकर्षक शरीर की चाह ने युवाओं को जिम और बॉडीबिल्डिंग की ओर आकर्षित किया है। लेकिन इस चाह ने एक चिंताजनक प्रवृत्ति को जन्म दिया है – स्टेरॉयड और अनियमित सप्लीमेंट्स का अत्यधिक सेवन। शॉर्टकट के रूप में शरीर बनाने की इस दौड़ में लोग अपनी सेहत से समझौता कर रहे हैं।


स्टेरॉयड क्या होते हैं?

स्टेरॉयड सिंथेटिक हार्मोन होते हैं जो शरीर में टेस्टोस्टेरोन जैसे प्राकृतिक हार्मोन की नकल करते हैं। ये आमतौर पर चिकित्सकीय उपयोग जैसे हार्मोन की कमी, देरी से होने वाला यौवन, या मांसपेशियों के ह्रास की बीमारी में दिए जाते हैं। लेकिन बॉडीबिल्डिंग की दुनिया में इनका गैर-चिकित्सकीय उपयोग मांसपेशियों को तेजी से बढ़ाने और ताकत बढ़ाने के लिए किया जाता है।

अनियमित सप्लीमेंट्स क्या हैं?

सप्लीमेंट्स यानी ‘पूरक आहार’ बाजार में प्रोटीन पाउडर, फैट बर्नर, मसल गेनर, बीसीएए, प्री-वर्कआउट आदि के रूप में मिलते हैं। ये सप्लीमेंट्स तभी फायदेमंद होते हैं जब प्रमाणित ब्रांड के हों और किसी विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में लिए जाएं। लेकिन कई युवा ऑनलाइन या जिम ट्रेनर की सलाह पर बिना जांचे-परखे लोकल या घटिया ब्रांड के सप्लीमेंट्स का सेवन कर लेते हैं, जिससे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।


दुष्प्रभाव: शरीर को मिलने वाला धीमा जहर

1. हार्मोनल असंतुलन:

स्टेरॉयड के अधिक प्रयोग से शरीर में प्राकृतिक टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन रुक जाता है, जिससे पुरुषों में स्तन वृद्धि (गाइनेकोमैस्टिया), बांझपन, यौन कमजोरी आदि समस्याएं पैदा होती हैं।

2. हृदय रोग का खतरा:

स्टेरॉयड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बिगाड़ते हैं, जिससे दिल की बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। ब्लड प्रेशर भी असंतुलित हो सकता है।

3. जिगर और किडनी को नुकसान:

मेटाबॉलिक लोड बढ़ने से लिवर और किडनी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे लीवर डैमेज, किडनी फेलियर तक की नौबत आ सकती है।

4. मानसिक प्रभाव:

स्टेरॉयड के उपयोग से चिड़चिड़ापन, अवसाद, गुस्सा, आक्रामक व्यवहार (Roid Rage) जैसी मानसिक समस्याएं हो सकती हैं।

5. हड्डियों की कमजोरी:

अनियमित सप्लीमेंट्स और स्टेरॉयड से शरीर में कैल्शियम का असंतुलन हो सकता है, जिससे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। हाल ही में दिल्ली के एक अस्पताल की रिपोर्ट के अनुसार, युवाओं में हिप बोन डैमेज के मामलों में वृद्धि देखी गई है।


इसके पीछे की मानसिकता

सोशल मीडिया पर ‘फिटनेस आइकन’ की छवि और जल्दी बॉडी बनाने का दबाव युवाओं को जल्दबाजी में गलत कदम उठाने को मजबूर कर रहा है। जिम में प्रतिस्पर्धा, आत्म-संतुष्टि की कमी, और सही जानकारी का अभाव इस समस्या को और बढ़ाता है।


सरकार और संस्थानों की भूमिका

भारत में अभी भी स्टेरॉयड और सप्लीमेंट्स को लेकर कठोर निगरानी तंत्र नहीं है। कई बार लोकल दुकानों या ऑनलाइन पोर्टल्स से बिना डॉक्टर की पर्ची के स्टेरॉयड मिल जाते हैं।

FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) और CDSCO (केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन) को इस दिशा में जागरूकता और नियमों को कड़ा करने की आवश्यकता है।


सुरक्षित विकल्प क्या हैं?

  1. प्राकृतिक आहार: दूध, दाल, फल, सब्जियां, अंडे, पनीर जैसे संपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें।
  2. योग और प्राणायाम: शरीर के साथ-साथ मानसिक संतुलन भी बनाए रखने में मदद करता है।
  3. स्वस्थ दिनचर्या: नियमित नींद, संतुलित आहार और वर्कआउट के साथ धीरे-धीरे शरीर में विकास होता है जो टिकाऊ होता है।
  4. योग्य मार्गदर्शक: किसी प्रमाणित ट्रेनर या न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह लेकर ही सप्लीमेंट्स का सेवन करें।

युवाओं को जागरूक करने की जरूरत

स्टेरॉयड और अनियमित सप्लीमेंट्स का सेवन न केवल शरीर के लिए हानिकारक है, बल्कि यह मानसिक और सामाजिक स्तर पर भी गहरी चोट पहुंचाता है। युवाओं को जागरूक करने की जरूरत है कि शरीर निर्माण कोई एक रात की प्रक्रिया नहीं, बल्कि अनुशासन, संयम और समय की मांग करता है। सरकार, समाज, अभिभावक, और प्रशिक्षक सभी की मिलीजुली जिम्मेदारी है कि इस खतरनाक प्रवृत्ति पर लगाम लगाएं और युवाओं को एक स्वस्थ और प्राकृतिक जीवन की ओर प्रेरित करें।

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