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02/10/2025 6:27 pm

श्रीमद् भागवत कथा ही कलयुग के प्रभाव से बचा सकती है : मां चैतन्य मीरा

अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन रांची शाखा द्वारा अग्रसेन पथ स्थित अग्रसेन भवन में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन का आयोजन भक्तिमय वातावरण में संपन्न हुआ। इस अवसर पर गुरु मां चैतन्य मीरा ने कथा वाचन करते हुए बताया कि किस प्रकार से राजा परीक्षित को एक ऋषि के श्राप के कारण अपने जीवन के अंतिम दिनों में श्रीमद् भागवत कथा का सहारा लेना पड़ा। उन्होंने समझाया कि कलयुग ने स्वर्ण में अपना स्थान बनाकर कैसे स्वयं राजा की मति को भ्रमित कर दिया और यही कलयुग का प्रभाव आज भी हमारे जीवन में दिखाई देता है।

गुरु मां ने कथा

गुरु मां ने कथा के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि आज के समाज में आपसी भेदभाव, परिवारों में कलह और गृह क्लेश जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। यह सभी समस्याएं कलयुग के प्रभाव का परिणाम हैं। ऐसे समय में प्रभु का नाम और श्रीमद् भागवत कथा ही हमें इस नकारात्मक प्रभाव से बचा सकती है। यदि हम ईश्वर के प्रति प्रेम और आस्था रखते हुए भक्ति मार्ग को अपनाते हैं, तो किसी भी प्रकार की विपत्ति हमारे जीवन में स्थायी नहीं हो सकती।

प्रभु से जुड़ाव

आज के समाज को यह समझना अत्यंत आवश्यक है कि बिना प्रभु से जुड़ाव के जीवन का कल्याण संभव नहीं है। गुरु मां ने कहा कि हमें अपने जीवन को संवारने के लिए ईश्वर के मार्ग पर चलना ही होगा। यही भक्ति का मार्ग हमारे दुखों का निवारण कर सकता है और हमें आत्मिक शांति प्रदान कर सकता है।

योग शिविर का आयोजन

उन्होंने यह भी बताया कि नासिक स्थित उनके आश्रम में और ऑनलाइन माध्यम से ध्यान और योग के शिविर लगातार आयोजित किए जाते हैं। अब यह शिविर नासिक के अलावा अन्य स्थानों पर भी आयोजित होंगे ताकि हर व्यक्ति अपने मन की पीड़ा को दूर कर सके, मन को स्वच्छ बना सके और शरीर को स्वस्थ रख सके। उन्होंने विशेष रूप से कहा कि आज की युवा पीढ़ी में अनिद्रा, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। ध्यान और योग के अभ्यास से इन रोगों का समाधान संभव है और इसके माध्यम से एकाग्रता तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

कल्पवृक्ष तथा फलदार वृक्ष लगाए

कथा के द्वितीय दिवस सेवा कार्य के तहत महिला मंडल द्वारा गौ सेवा का आयोजन किया गया। गुरु मां और सम्मेलन की बहनों ने सुकुरहुटु गौशाला में जाकर कल्पवृक्ष तथा फलदार वृक्ष लगाए। उन्होंने गायों को रोटी, गुड़, चारा और सब्जियां खिलाकर सेवा का महत्व समझाया। गुरु मां ने कहा कि भगवान कृष्ण स्वयं गोविंद बनकर गायों के बीच रहे, इसलिए गौ माता की सेवा से हमें प्रभु की कृपा प्राप्त हो सकती है। उन्होंने बताया कि गौमूत्र से 140 रोगों का उपचार संभव है और हमें अपने जीवन में गाय का दूध, दही और घी का उपयोग करना चाहिए।

भक्तों को प्रसाद वितरण

कथा के समापन में समिति के सदस्यों द्वारा आरती की गई और सभी भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया। इस अवसर पर रूपा अग्रवाल, अनसूया नेवटिया, अलका सरावगी, मधु सराफ, उर्मिला पड़िया, नैना मोर, प्रीती बंका, मंजू केडिया, बीना मोदी, रीना सुरेखा, बीना बूबना, प्रीती पोद्दार, शोभा हेतमसरिया, मीरा टिंबरेवाल, करुणा अग्रवाल, सीमा टोटिया, प्रीती अग्रवाल, मीना अग्रवाल, रेनू राजगढ़िया, पूनम टेकरीवाल, रेखा अग्रवाल, छाया अग्रवाल, सीमा पोद्दार, सुनैना लॉयलका, प्रीति फोगला, रीता केडिया, शशि डागा, सरिता मोदी, प्रीति केडिया, बबीता नर्सरिया, जय बिजावत, सुषमा पोद्दार और मंजू गाड़ोदिया सहित कई बहनों ने सक्रिय भागीदारी निभाई। इस तरह श्रीमद् भागवत कथा न केवल अध्यात्मिक चेतना जगाती है बल्कि समाज में सेवा, संस्कार और भक्ति का संदेश भी देती है।

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