आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में इंसान के पास अपने स्वास्थ्य के लिए समय नहीं बचा है। अनियमित खानपान, प्रदूषण और तनाव की वजह से रोगों से लड़ने की क्षमता धीरे-धीरे घटती जा रही है। यही कारण है कि छोटी-छोटी बीमारियाँ बड़ी समस्याओं का रूप ले लेती हैं और व्यक्ति अस्पतालों व दवाइयों पर निर्भर हो जाता है। लेकिन आयुर्वेद और प्रकृति में कई ऐसे उपाय मौजूद हैं जो शरीर को रोगमुक्त बना सकते हैं। ऐसा ही एक चमत्कारी उपाय है गेहूँ के ज्वारे का रस, जिसे “ग्रीन ब्लड” यानी हरा रक्त भी कहा जाता है। इसे प्रतिदिन पीने से कैंसर, गठिया, डायबिटीज, लिवर और किडनी की समस्याओं तक में आश्चर्यजनक लाभ देखा गया है।
गेहूँ के ज्वारे का महत्व और इतिहास
गेहूँ का ज्वारा कोई साधारण पत्ता नहीं है, बल्कि यह प्रकृति का ऐसा वरदान है जो शरीर के लिए टॉनिक का काम करता है। नवरात्रि जैसे त्योहारों पर घर-घर में मिट्टी के पात्रों में गेहूँ बोए जाते हैं, यही अंकुरित पत्ते ज्वारे कहलाते हैं। विदेशी वैज्ञानिक भी इसके महत्व को मान चुके हैं। डॉ. एन. विगमोर ने गेहूँ के ज्वारे के रस से असाध्य रोगों के इलाज में सफल प्रयोग किए और इसे स्वास्थ्य जगत में नई पहचान दिलाई। यही कारण है कि आज इसे दुनिया भर में “विटग्रास” (Wheatgrass) के नाम से जाना जाता है।
गेहूँ के ज्वारे का रस और स्वास्थ्य लाभ
ज्वारे का रस पीने से शरीर को प्राकृतिक रूप से कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, खनिज और विटामिन प्राप्त होते हैं। इसमें विटामिन ए, बी, सी, ई, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम और क्लोरोफिल भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। क्लोरोफिल को रक्त की शुद्धि और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए सबसे अधिक लाभकारी माना जाता है। यही वजह है कि इसे हरा रक्त कहा जाता है।
इसका सेवन करने से कैंसर, हृदय रोग, लिवर सिरोसिस, डायबिटीज, गठिया, पथरी, दमा, कब्ज, पीलिया और त्वचा रोगों तक में लाभ देखा गया है। हजारों लोग जिन्होंने इसे अपने दैनिक जीवन में शामिल किया है, वे मानते हैं कि इससे शरीर की थकान दूर होती है, दाँत और आँखें स्वस्थ रहते हैं और बालों की जड़ें मज़बूत होती हैं।
कैंसर में गेहूँ के ज्वारे का प्रयोग
कैंसर जैसे रोग में जब रोगी की जीवन आशा लगभग खत्म हो जाती है, तब भी गेहूँ के ज्वारे का रस उसे नई ऊर्जा और उम्मीद देता है। कई मरीजों को प्रतिदिन चार गिलास ज्वारे का रस दिया गया और उन्होंने तीन दिनों के भीतर ही सकारात्मक परिणाम महसूस किए। कैंसर कोशिकाओं पर यह रस प्राकृतिक ढंग से कार्य करता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को इतना मज़बूत बना देता है कि रोगी की स्थिति में सुधार आने लगता है।
शरीर की सफाई और रोगों से मुक्ति
गेहूँ के ज्वारे का रस केवल बीमार लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि स्वस्थ लोगों के लिए भी वरदान है। यह शरीर में जमा विषैले तत्वों को बाहर निकाल देता है। शुरुआत में कुछ लोगों को इसे पीने के बाद उल्टी, सर्दी या दस्त हो सकते हैं, लेकिन यह शरीर से ज़हरीले तत्वों के बाहर निकलने का संकेत है। नियमित सेवन से शरीर हल्का, ताज़ा और ऊर्जावान हो जाता है।
ज्वारे उगाने की आसान विधि
घर पर गेहूँ के ज्वारे उगाना बेहद आसान है। इसके लिए मिट्टी के छोटे पात्र, गमले या सकोरे लें और इनमें खाद मिली मिट्टी भरें। रासायनिक खाद का उपयोग बिल्कुल न करें। फिर गेहूँ के दाने बोकर हल्का पानी दें और उन्हें छाया में रखें। आठ से दस दिनों में यह ज्वारे पाँच से सात इंच तक ऊँचे हो जाते हैं और तभी इनमें सबसे अधिक गुण पाए जाते हैं। सात इंच से अधिक बड़े होने पर इनके औषधीय गुण कम हो जाते हैं, इसलिए उन्हें तुरंत काटकर उपयोग में लेना चाहिए।
ज्वारे का रस बनाने की विधि
ज्वारे काटने के बाद उन्हें अच्छी तरह धोकर कूटें और कपड़े से छान लें। इन्हें तीन बार कूटकर रस निकाला जा सकता है। रस निकालने के बाद उसे तुरंत धीरे-धीरे पीना चाहिए क्योंकि तीन घंटे बाद इसमें मौजूद पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। इसे सुबह खाली पेट पीना सबसे लाभकारी माना गया है। चाहें तो इसमें थोड़ा अदरक, शहद या नागरबेल का पत्ता डालकर स्वाद और गुण बढ़ा सकते हैं, लेकिन नमक या नींबू बिल्कुल नहीं डालना चाहिए।
सस्ता और सर्वोत्तम औषधीय पेय
गेहूँ के ज्वारे का रस दूध, दही और मांस से कई गुना अधिक पौष्टिक और गुणकारी है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसे घर पर आसानी से उगाया जा सकता है और गरीब से गरीब व्यक्ति भी इसका सेवन कर सकता है। यही कारण है कि इसे ईश्वर का आशीर्वाद कहा जाता है। नवजात शिशु से लेकर वृद्ध तक सभी इसका सेवन कर सकते हैं।
चमत्कारी उपाय
आज के समय में जब हर जगह दवाइयों और इलाज का खर्च आसमान छू रहा है, ऐसे में गेहूँ के ज्वारे का रस एक सस्ता, सरल और चमत्कारी उपाय है। यह न केवल कैंसर, लिवर और किडनी जैसे गंभीर रोगों से बचाव करता है बल्कि गठिया, दमा और पाचन से जुड़ी समस्याओं को भी दूर करता है। यदि आप भी निरोगी जीवन जीना चाहते हैं तो आज ही इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें और मात्र तीन हफ्तों में अपने शरीर में आए बदलाव को महसूस करें।