सिंहासन (Simhasana) एक महत्वपूर्ण योगासन है, जिसे संस्कृत में “सिंह” (शेर) और “आसन” (मुद्रा) से मिलकर बनाया गया है। इसे “Lion Pose” भी कहा जाता है। इस आसन को करने से व्यक्ति के चेहरे और गले की मांसपेशियाँ सक्रिय होती हैं, जिससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और तनाव कम होता है।
सिंहासन का महत्व
- यह विशेष रूप से गले, चेहरे और श्वसन तंत्र के लिए फायदेमंद होता है।
- यह योगासन मानसिक तनाव को कम करने और आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करता है।
- यह कंठ (गला) और मुखमंडल के सभी अंगों को सक्रिय करता है, जिससे बोलने की क्षमता में सुधार आता है।
- सिंहासन को “अग्नि तत्व” को संतुलित करने वाला आसन माना जाता है, जिससे पाचन तंत्र मजबूत होता है।
सिंहासन करने से होने वाले लाभ
1. गले और स्वर तंत्र के लिए फायदेमंद
- यह गले की मांसपेशियों को मजबूत करता है और आवाज को मधुर बनाता है।
- गले में जमाव, खराश और टॉन्सिल जैसी समस्याओं को दूर करता है।
- वाणी में स्पष्टता और आत्मविश्वास बढ़ाता है, जिससे लोग सार्वजनिक बोलने में अधिक सहज महसूस करते हैं।
2. श्वसन तंत्र को मजबूत करता है
- गहरी साँस लेने की प्रक्रिया से फेफड़े मजबूत होते हैं।
- अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याओं में लाभदायक होता है।
- नासिका मार्ग को खोलता है, जिससे साइनस की समस्या में राहत मिलती है।
3. चेहरे की सुंदरता बढ़ाता है
- चेहरे की मांसपेशियों को सक्रिय करके झुर्रियों और बुढ़ापे के लक्षणों को कम करता है।
- त्वचा में रक्त संचार बढ़ाकर प्राकृतिक चमक लाता है।
- डबल चिन और चेहरे की चर्बी कम करने में सहायक है।
4. तनाव और चिंता को कम करता है
- जबड़े की मांसपेशियों को खोलकर और जीभ बाहर निकालकर करने वाली क्रिया तनाव को दूर करती है।
- मानसिक शांति और एकाग्रता में सुधार लाता है।
- यह आसन “थायरॉयड” और “पैराथायरॉयड” ग्रंथियों को सक्रिय करता है, जिससे हार्मोन संतुलित रहते हैं।
5. पाचन तंत्र को सुधारता है
- पेट की मांसपेशियों को सक्रिय कर गैस, अपच और कब्ज की समस्याओं में राहत दिलाता है।
- पेट में जमे विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक होता है।
किन बीमारियों में सिंहासन लाभदायक है?
✅ गले की समस्या – टॉन्सिल, खराश, गले में सूजन
✅ स्वर तंत्र की कमजोरी – आवाज की स्पष्टता में सुधार करता है
✅ अस्थमा और ब्रोंकाइटिस – फेफड़ों को मजबूत करता है
✅ स्ट्रेस और एंग्जायटी – मानसिक शांति और आत्मविश्वास बढ़ाता है
✅ पाचन से जुड़ी समस्याएँ – कब्ज, गैस और अपच को ठीक करता है
✅ थायरॉयड समस्याएँ – हार्मोनल संतुलन बनाए रखता है
सिंहासन करने की विधि
1. शुरुआती स्थिति:
- एक योगा मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं (वज्रासन की मुद्रा में)।
- अब घुटनों को थोड़ा खोलें और पैरों को पीछे फैलाकर पंजों को ज़मीन पर टिकाएं।
- हाथों को घुटनों पर रखें और शरीर को सीधा रखें।
2. मुद्रा बनाना:
- अपनी हथेलियों को फैलाकर घुटनों पर रखें और उंगलियों को आगे की ओर फैलाएं।
- चेहरे को ऊपर उठाएं और ध्यान नाक के सामने केंद्रित करें।
- अब मुँह को चौड़ा खोलें और जीभ को जितना हो सके बाहर निकालें।
- इस दौरान आँखों को चौड़ा करके और गहरी साँस लें।
3. गर्जना (सिंह की तरह दहाड़ना):
- गहरी साँस लें और फिर ज़ोर से “हा” की आवाज़ निकालते हुए साँस बाहर छोड़ें।
- इस प्रक्रिया को 4-5 बार दोहराएँ।
- श्वास को सामान्य करें और फिर विश्राम करें।
सिंहासन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
✅ इसे सुबह खाली पेट करना सबसे अच्छा होता है।
✅ यदि सुबह संभव न हो, तो खाने के 3-4 घंटे बाद करें।
✅ इस आसन को 2-3 बार दोहराना पर्याप्त होता है।
✅ बहुत ज़ोर से न करें, वरना गले में खिंचाव आ सकता है।
✅ उच्च रक्तचाप या किसी गंभीर हृदय रोग से पीड़ित लोग डॉक्टर की सलाह लेकर ही करें।
