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June 19, 2025 1:14 am

Yoga Tips-बढ़ती उम्र पर लगाम लगा सकता है सर्वांगासन

सेहतमंद रहने के लिए बचपन से ही अपने शरीर और मस्तिष्क को स्वस्थ रखने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए नियमित व्यायाम और योगाभ्यास करना चाहिए। कई तरह की बीमारियों से बचाव के लिए योगासन का अभ्यास फायदेमंद होता है। योग शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ही मस्तिष्क को भी स्थिर रखता है।

सर्वांगासन का महत्व:

  • संपूर्ण शरीर के लिए लाभकारी:
    सर्वांगासन, जिसे “शोल्डर स्टैंड” भी कहा जाता है, को योग की ‘क्वीन ऑफ़ आसन’ माना जाता है क्योंकि यह पूरे शरीर पर व्यापक प्रभाव डालता है।
  • रक्त संचार में सुधार:
    इस आसन से सिर में रक्त का प्रवाह बढ़ता है, जिससे मस्तिष्क में ऑक्सीजन की आपूर्ति बेहतर होती है।
  • थायराइड और हार्मोनल संतुलन:
    गर्दन के इस आसन से थायराइड ग्रंथि को उत्तेजना मिलती है, जिससे हार्मोन संतुलन में सुधार होता है।
  • मांसपेशियों की मजबूती और लचीलापन:
    कंधे, गर्दन, पीठ और पेट की मांसपेशियां मजबूत होती हैं तथा रीढ़ की हड्डी में लचीलापन आता है।
  • मानसिक शांति:
    यह आसन मानसिक तनाव को कम करता है, चिंता और थकान दूर करने में मदद करता है।

सर्वांगासन कैसे करें:

  1. तैयारी:
    • एक साफ योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएँ।
    • पहले कुछ हल्के गर्म-अप और स्ट्रेचिंग करें, खासकर गर्दन और कंधों के लिए।
  2. आसन में प्रवेश:
    • अपनी बाहों को शरीर के पास रखें और धीरे-धीरे पैरों को ऊपर उठाएं।
    • अपने हाथों का प्रयोग करते हुए अपनी पीठ के नीचे सपोर्ट लें। ध्यान रहे कि हाथों का बल कंधों पर हो, न कि गर्दन पर।
  3. शरीर का संतुलन:
    • अपने पैरों को सीधा ऊपर की ओर ले जाएँ।
    • सुनिश्चित करें कि आपकी गर्दन प्राकृतिक स्थिति में हो और अत्यधिक दबाव न पड़े।
    • गहरी साँस लें और स्थिति को स्थिर रखें।
  4. आसन में ठहराव:
    • शुरुआत में 15-30 सेकंड तक इस स्थिति में रहें।
    • जैसे-जैसे अभ्यास में सुधार हो, समय बढ़ाया जा सकता है।
  5. आसन से बाहर आना:
    • धीरे-धीरे अपने पैरों को नीची दिशा में लाएं।
    • हाथों का सहारा धीरे-धीरे हटाते हुए सावधानीपूर्वक वापस सामान्य स्थिति में आएँ।

सर्वांगासन करने के फायदे:

  • रक्त प्रवाह और मस्तिष्क क्रिया में सुधार:
    सिर में रक्त के बेहतर प्रवाह से मानसिक स्पष्टता और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है।
  • पाचन क्रिया में सहायता:
    पेट और आंतों के अंगों को उत्तेजना मिलती है, जिससे पाचन संबंधी समस्याएँ कम हो सकती हैं।
  • तनाव मुक्ति:
    यह आसन मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में सहायक है।
  • शारीरिक मजबूती:
    नियमित अभ्यास से कंधे, पीठ और गर्दन की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं।
  • हार्मोनल संतुलन:
    थायराइड और अन्य अंतःस्रावी ग्रंथियों के कार्य में सुधार होता है, जिससे शरीर का हार्मोन संतुलन बना रहता है।

किसे नहीं करना चाहिए:

  • गर्दन या पीठ की चोट वाले व्यक्ति:
    अगर गर्दन, कंधे या पीठ में किसी प्रकार की चोट या समस्या है तो सर्वांगासन से परहेज करें।
  • उच्च रक्तचाप या हृदय रोग:
    उच्च रक्तचाप या दिल की समस्याओं वाले लोगों के लिए यह आसन असुविधाजनक हो सकता है।
  • आंखों की समस्याएं:
    जैसे कि ग्लूकोमा या अन्य गंभीर आंखों के रोग।
  • गर्भावस्था:
    गर्भवती महिलाओं को इस आसन से बचना चाहिए क्योंकि उल्टे आसन में गर्भ पर दबाव पड़ सकता है।
  • हर्निया या अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ:
    यदि किसी अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्या से ग्रसित हैं, तो चिकित्सकीय सलाह के बाद ही इस आसन का अभ्यास करें।

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